Ipecacuanha (Ipecac) – इपिकाकुआन्हा

संशोधित: 12 December 2025 ThinkHomeo

Ipecac लगातार बनी रहने वाली मतली (Nausea), खूनी दस्त, ब्रोंकाइटिस और चमकीले रक्तस्राव की अचूक दवा है। जानें इसके लक्षण, Pulsatilla से तुलना और उपयोग।

Ipecacuanha (Ipecac) – इपिकाकुआन्हा

Ipecacuanha, जिसे आम बोलचाल में Ipecac कहा जाता है, होम्योपैथी की एक 'पॉलीक्रेस्ट' (Polychrest - बहु-उपयोगी) औषधि है। इसका सबसे प्रधान लक्षण है—"लगातार बनी रहने वाली जी की मिचली" (Persistent Nausea)।

व्यापक-लक्षणों की सूची (List of Generals and Particulars)

  1. कय (Vomiting) करने के पहले, और बाद में भी जी की मिचली (Nausea) बने रहना।
  2. गरिष्ठ-भोजन (Rich Food) से कय या मतली में Pulsatilla और Ipecac की तुलना।
  3. धमनी (Artery) से चमकीला रक्त-स्राव (Bright red hemorrhage)।
  4. श्वास-यंत्र की पीड़ा, ब्रौंकाइटिस (Bronchitis), जुकाम, दमा (Asthma)।
  5. कुकुर-खांसी (Whooping Cough)।
  6. घास के समान हरे रंग के दस्त; डिसेन्ट्री (Dysentery) का प्रकोप।
  7. मलेरिया ज्वर (Malaria Fever) में प्रयोग।
  8. शक्ति तथा प्रकृति (Potency and Nature)।

प्रकृति (Modalities) 

लक्षणों में वृद्धि (Worse):

  • गर्मी या तर हवा (Warm, damp wind) से बढ़ना।
  • आइसक्रीम (Ice cream) और गरिष्ठ भोजन (Rich food) से तकलीफ।
  • हरकत (Motion) से रोग बढ़ना।
  • कुनीन (Quinine) का दुरुपयोग।

लक्षणों में कमी (Better):

  • खुली हवा (Open air) में रोग में कमी।

 

1. उल्टी (Vomiting) करने के पहले, और बाद में भी जी की मिचली बने रहना (Persistent Nausea)

  • जी मिचलाने (Nausea) की औषधियों में इसका प्रमुख स्थान है।
  • रोगी को कोई भी शिकायत हो, जिसमें जी की मिचली पाई जाए, और उल्टी (Vomiting) हो जाने के बाद भी मिचली बनी रहे, तब भी दूर न हो।
  • शिकायत से पहले भी जी कच्चा (Squeamish) हो और कय हो जाने पर भी जी कच्चा रहे। इस प्रकार की लगातार बने रहने वाली मिचली में Ipecac को ही ध्यान में रखना होगा।

2. गरिष्ठ-भोजन से कय या मिचली में Pulsatilla और Ipecac की तुलना

  • इस प्रकार की जी की मिचली प्रायः पेट की खराबी (Gastric upset) से हुआ करती है। खाने में गड़बड़ हुई तो मिचली भी शुरू हो गई। ऐसे समय Pulsatilla और Ipecac—इन दो औषधियों का क्षेत्र आ जाता है।
  • दोनों में पेट की खराबी से जी मिचलाया करता है। दोनों में पेस्ट्री (Pastry), आइसक्रीम (Ice cream), पूड़ी-कचौड़ी, हलवा, गोश्त (Meat) आदि गरिष्ठ पदार्थों (Rich foods) के खाने से पेट खराब होता है।
  • इन दोनों में भेद यह है कि अगर मतली (Nausea) में उल्टी (Vomiting) न हो, और भोजन पेट में पड़ा-पड़ा जी को खराब कर रहा हो, तब तो Pulsatilla देना चाहिए। परन्तु, अगर भोजन पेट में से कय द्वारा निकल जाए और फिर भी मिचली बनी रहे, तब Ipecac देना चाहिए।
  •  इसके अतिरिक्त Pulsatilla में जीभ पर Antimonium Crud के समान सफेद या पीला, गाढ़ा लेप (Coated tongue) चढ़ा रहता है, जबकि Ipecac में जीभ या तो बिल्कुल साफ (Clean) होती है या बहुत थोड़ी मैली होती है।

नोट: जीभ के लक्षण को निर्णायक लक्षण नहीं समझना चाहिए।

Cina: इसमें भी जीभ बिल्कुल साफ रहती है, परन्तु उसमें पेट में कृमि (Worms) होने की वजह से उल्टी आ जाती है।

Digitalis: इसमें भी जीभ साफ रहती है परन्तु उसमें हृदय-रोग (Heart disease) के कारण उल्टी आ जाती है।

Tabacum: इसमें जरा सी हरकत (Motion) से उल्टी आ जाती है।

Lobelia: इसमें कमजोरी और पसीने के साथ उबकाई आती है।

Ipecac: इसमें पेट की खराबी और लगातार मिचली मुख्य है।

पेट में मिचलाहट के साथ काटने का-सा दर्द जो बायें से दायें को जाये- 

  • नाभि से नीचे या ऊपर पेट में ऐसा दर्द होता है जो दायें से बायें को जाता है, रोगी को ऐसा अनुभव होता है जैसे कोई कर्तनी से काट रहा है। 
  • रोगी हिल नहीं सकता, जिस स्थिति में है उसी में स्थिर हो जाता है, सांस तक रुक जाता है, एक ही हालत में रोगी स्थिर बना रहता है। इस दर्द के साथ बेहद कमजोरी और जी की मिचलाहट बनी रहती है। इपिकाक में जो भी दर्द होगा, उसके साथ जी की मिचलाहट भी जुड़ी रहेगी।

खांसी के साथ मिचलाहट: 

  • इस औषधि में खांसी के साथ भी मिचलाहट होती है, खांसते-खांसते कय (Vomiting) भी आ जाती है। यह सूखी खांसी होती है, जिसमें रोगी खों-खों करता है और उसका दम घुटने (Suffocation) लगता है।

3. धमनी से चमकीला रक्त-स्राव (Bright Red Hemorrhage)

  • डॉ. केंट (Dr. Kent) का कथन है कि रक्त-स्राव (Hemorrhage) में इस औषधि का इतना प्रमुख स्थान है कि इसके बिना वे रक्त-स्राव का इलाज करने में ही असमर्थ रहते।
  • रक्त-स्राव से उनका अभिप्राय सब प्रकार के रक्त-स्राव से है—जरायु (Uterus) से रक्त-स्राव, गुर्दों (Kidneys) से रक्त-स्राव, अंतड़ियों (Bowels) से रक्त-स्राव, पेट (Stomach) से रक्त-स्राव, फेफड़ों (Lungs) से रक्त-स्राव।
  • शर्त: अगर रक्त-स्राव किसी स्थूल वस्तु के प्रहार (Physical Injury) आदि के कारण नहीं हो रहा, बल्कि किसी शारीरिक-रोग (Pathological cause) के कारण हो रहा है, तो इस होम्योपैथिक औषधि से अवश्य लाभ होगा।

जरायु (Uterus) से रक्त-स्राव: 

  • जब जरायु (Uterus) से रुधिर लगातार रिस रहा हो, थोड़ी-थोड़ी देर बाद रुधिर का वेग बढ़ जाता हो (जैसे धमनी/Artery के रुधिर में होता है), और जरायु से चमकीला उज्ज्वल (Bright red) रुधिर बहता हो। रोगिणी समझती हो कि इससे वह बेहोश हो जाएगी, सांस लेना भारी हो रहा हो। रुधिर की मात्रा की अपेक्षा कमजोरी, मिचलाहट (Nausea), बेहोशी, और पीलापन (Pallor) बहुत अधिक होता जा रहा हो, तब समझ लेना चाहिए कि Ipecac ही औषधि है।

तुलनात्मक अध्ययन (रक्त-स्राव में):

  • Aconite: इसमें भी Ipecac के समान चमकीला खून बहता है, परन्तु Aconite में रक्त-स्राव के साथ 'मृत्यु का भय' (Fear of death) रहता है।
  • Phosphorus: अगर जच्चा को प्लेसेन्टा (Placenta) के निकल जाने के बाद रक्त-स्राव जारी रहता है, रोगिणी 'शीत-प्रधान' (Chilly) है परन्तु उसे बर्फ के समान ठंडे पानी की इच्छा होती है, तो Phosphorus से लाभ होगा।
  • Secale Cor: अगर रोगिणी 'ऊष्णता-प्रधान' (Hot patient) है, कपड़े से शरीर को ढकने नहीं देती, ठंडक चाहती है, और खून में थक्के (Clots) हैं या पतला, काला रुधिर है, तब Secale काम करेगा।

गुर्दों (Kidneys) से रक्त-स्राव: 

  • जब पेशाब में रुधिर (Blood) हो, रुधिर के छोटे-छोटे कण हों, थक्के हों, और पीठ में गुर्दों की जगह सख्त दर्द (Severe pain) हो। बार-बार पेशाब जाने की हाजत हो, और दर्द के हर आक्रमण के साथ लाल रंग का पेशाब आता हो, तो Ipecac इसे बंद कर देगा। (नोट: यदि रक्त-स्राव के बाद रोगी रक्तहीन/Anemic हो जाए, तो रक्त श्राव  में  इपिकाक के बाद China से लाभ होगा।)

रक्त-स्राव की अन्य मुख्य औषधियां (Dr. Nash के अनुसार):

  • एकोनाइट (Aconite): चमकीला, उज्ज्वल, लाल रंग का रक्त-स्राव; इसके साथ मृत्यु-भय (Fear of death) और बेचैनी रहती है।
  • आर्निका (Arnica): मांसपेशियों पर चोट लगने से होने वाला रक्त-स्राव (Hemorrhage)।
  • बेलाडोना (Belladonna): सिर में रक्त की अधिकता (Congestion), गर्म रक्त निकलना, कनपटियों में दोनों तरफ की धमनियों में तपकन (Throbbing)।
  • कार्बो वेज (Carbo Veg): सारा शरीर बर्फ के समान ठंडा, फिर भी रोगी पंखे की हवा चाहे; बेहद कमजोरी; रोगी मुर्दे की तरह पड़ा रहता है और रक्त-स्राव होता रहता है।
  • चायना (China): बहुत अधिक रक्त-स्राव होने के कारण कमजोरी और बेहोशी (Fainting)।
  • क्रोकस (Crocus): डोरे (Thread) की तरह जमा हुआ, थक्के-थक्के वाला, काला-काला रक्त-स्राव।
  • क्रोटेलस, इलैप्स, सल्फ्यूरिक ऐसिड (Crotalus, Elaps, Sulphuric Acid): शरीर के सब छिद्रों (Orifices) से काले रंग का रक्त-स्राव।
  • फेरम (Ferrum Met): रक्त-स्राव के साथ रोगी का चेहरा बहुत लाल या कभी लाल, कभी स्याह (Pale/Dark); रक्त-स्राव कुछ पतला, कुछ जमा हुआ।
  • हायोसाएमस (Hyoscyamus): रक्त-स्राव के साथ बेसुधी (Stupor) और शरीर की मांसपेशियों की फड़कन (Twitching)।
  • इपिकाक (Ipecac): बहुत अधिक रक्त-स्राव, चमकीला, ताजा खून—इसके साथ उबकाई (Nausea) आती है और सांस भारी चलता है।
  • लैकेसिस (Lachesis): सड़ा हुआ (Decomposed) रक्त-स्राव, मैल भरा-सा।
  • फॉसफोरस (Phosphorus): ज़रा-सी चोट से खून बहने की प्रकृति (Hemorrhagic Diathesis)।
  • पल्सेटिला (Pulsatilla): रुक-रुक कर होने वाला रक्त-स्राव।
  • सिकेल (Secale Cor): कमजोर, दुबली-पतली स्त्रियों का जरायु (Uterus) से काला रक्त-स्राव।
  • सल्फर (Sulphur): अन्य औषधि से लाभ न हो तो इसे दें।

4. श्वास-यंत्र की पीड़ा, ब्रौंकाइटिस, जुकाम, दमा में Ipecac तथा Antimonium Tart की तुलना: 

  • डॉ. केंट ने इसे "बच्चों का मित्र" कहा है। बच्चों के ब्रौंकाइटिस (Bronchitis - श्वास-नली की सूजन) में प्रायः इसी की आवश्यकता पड़ती है।
  • इपिकाक के लक्षण रोग शुरू होते ही (Stage of Irritation) दिखने लगते हैं। रोग शुरू होते ही छाती में घड़घड़ाहट (Rattling) और सांय-सांय शुरू हो जाती है। बच्चा खांसता है, उसका दम घुटता है, और कफ (Mucus) कुछ-कुछ निकलता रहता है।
  • Antimonium Tart यह अवस्था देर में, धीरे-धीरे प्रकट होती है (Stage of Relaxation)। जब रोगी कफ को निकालने में असमर्थ हो जाता है तब Antimonium Tart में अन्दर अटका हुआ कफ घड़घड़ाता रहता है। मालूम पड़ता है जरा-सा ही खांसने से कफ निकल आएगा, परन्तु ज्यादा खांसने पर भी कफ नहीं उठता। रोगी चुपचाप आंखें बन्द करके पड़ा रहता है।

जुकाम (Coryza): 

  • जुकाम में भी इपिकाक (Ipecac) से विशेष लाभ होता है। जब जुकाम के साथ नकसीर फूटने (Epistaxis) का लक्षण मिला हो, तब इसकी तरफ ध्यान जाना चाहिए। ठंड नाक में बैठ जाती है, रात को नाक बन्द हो जाती है, छींकें आने लगती हैं, गले तक ठंड पहुंच जाती है, गला भी बैठ जाता है, और पक जाने का-सा दर्द करता है। अन्त में यह ठंड छाती तक पहुंच जाती है, सांस रुकने लगता है, और नाक से चमकीला खून निकलता है। इस औषधि का श्वास-यंत्र (Respiratory System) तथा रुधिर-स्राव (Hemorrhage) पर विशेष प्रभाव है, इसलिए ऐसे जुकाम में जिसमें श्वास-यंत्र का कष्ट हो, जुकाम हो और नाक से खून जाता हो, इपिकाक लाभ करता है।

दमा (Asthma): 

  • श्वास-यंत्र का मुख्य रोग दमा है। इस औषधि का दमे पर विशेष प्रभाव है। डॉ. मारगरेट टायलर (Dr. Margaret Tyler) ने अपनी पुस्तिका 'रिपर्टराइज़िंग' (Repertorising) में हनीमैन (Hahnemann) का निम्न उद्धरण दिया है:

"होम्योपैथी केवल दवा की सूक्ष्मतम मात्रा देने का ही नाम नहीं है, अपितु यह उस पद्धति का नाम है जिसमें समझा जाता है कि स्वस्थ व्यक्ति पर दवा जिन लक्षणों को उत्पन्न करती है, रोग में उन्हीं लक्षणों को वह दवा दूर करती है। क्योंकि स्वस्थ-व्यक्ति पर स्ट्रिकनीन (Strychnine) पक्षाघात (Paralysis) उत्पन्न करती है, इसलिए पक्षाघात को यह दूर करती है; स्वस्थ-व्यक्ति पर कोलोसिंथ (Colocynth) पेट-दर्द पैदा करती है, इसलिए पेट-दर्द को यह ठीक करती है; क्योंकि ऐन्टीमनी (Antimony) स्वस्थ-व्यक्ति को रोगी कर देती है, इसलिए उसी प्रकार के रोग को यह ठीक कर देती है; क्योंकि इपिकाक स्वस्थ-व्यक्ति में दमे के-से लक्षण उत्पन्न कर देती है, इसलिए दमे को यह ठीक कर देती है; क्योंकि स्वस्थ-व्यक्ति में रुबर्ब (Rhubarb/Rheum) दस्त लाती है, इसलिए रोगी के दस्तों को यह ठीक कर देती है।"

  • इपिकाक के स्वस्थ-व्यक्तियों पर जो परीक्षण (Provings) हुए, उनमें प्रायः सब में सांस का कष्ट पाया गया है। नमी (Dampness) में यह दमा बढ़ जाता है। रोगी ठंडक में भी खिड़की खोलकर घंटों खुली हवा में रहना चाहता है, नहीं तो दम घुटता है। बरसाती हवा से, या हवा के बदलने से दमे के उठ खड़े होने में, या हर बार ठंड लग जाने से दमे का आक्रमण होने पर—जब गला घुटता हो, थूक में थोड़ा-बहुत खून जाता हो, फेफड़ों में इतना कफ भर जाता हो कि सांस रुक जाने की आशंका हो—ऐसी हालत में यह लाभकारी है।
  • सेलर लोग (Sailors/नाविक) जो समुद्र पर रहते हैं, वे जब कहीं भूमि पर उतरते हैं, उन्हें दमे का प्रकोप हो जाता है—उनके लिए रिपर्टरी में एक ही दवा है—कैलि ब्रोम (Kali Brom)। दमे के पुराने रोगियों के लिए लक्षण मिलने पर इपिकाक उत्तम औषधि है।

(5) कुकुर-खांसी (Whooping cough): 

  • इस औषधि का श्वास-प्रणालिका पर जो प्रभाव है, उसके कारण कुकुर-खांसी में भी यह अच्छा काम करती है। 
  • बच्चा खांसते-खांसते उल्टी कर देता है, कफ में पतला-पतला झाग निकलता है, चेहरा पीला या नीला पड़ जाता है, कभी-कभी कफ में रुधिर भी आ जाता है, और बच्चा ऐंठ जाता है। खांसी के साथ जी की मिचलाहट का उल्लेख हम ऊपर भी कर आए हैं।

 

(6) घास के समान हरे रंग के दस्त, डिसेन्ट्री का प्रकोप: 

  • डॉ. नैश का कहना है कि गर्मियों में बच्चों को तीन प्रकार के दस्त आ जाया करते हैं:
  1. खमीर के समान झाग वाले दस्त,
  2. घास के समान हरे रंग के दस्त—आंव सहित या पनीले,
  3. डिसेन्ट्री वाले दस्त जिनमें थोड़ा-बहुत रुधिर होता है।
  • ये दस्त गर्मियों के दिनों में ज्यादा खा जाने या गड़बड़ खाने से आने लगते हैं। अगर इनमें इपिकाक 200 की एक मात्रा दे दी जाए, तो कष्ट शीघ्र जाता रहता है। 
  • इधर ध्यान न देने से 'कोलन का शोथ' (Colitis) हो जाता है और आंव आने लगती है। इन दस्तों में जी मिचलाने के लक्षण होने पर इपिकाक देने में देर नहीं करनी चाहिए।

डिसेन्ट्री या पेचिश का प्रकोप: 

  • डॉ. केंट का कहना है कि जब पेचिश की बीमारी फैल जाती है, इसका प्रकोप (Epidemic) हो जाता है, तब यह औषधि उत्तम साबित होती है। 
  • रोगी लगभग लगातार कमोड पर बैठा रहता है, थोड़ी-सी आंव आती है या थोड़ा-सा चमकीला रुधिर आता है। आंतों के निचले हिस्से में, बड़ी आंत के अंतिम गुदा तक के हिस्से (कोलन) में तथा गुदा में शोथ होता है। मरोड़ बड़ा जबर्दस्त होता है, जलन होती है, मरोड़ के साथ थोड़ी-थोड़ी आंव तथा खून जाता है। 
  • इस सब के साथ जी की मिचलाहट बनी रहती है। पाखाने में जोर लगाते हुए दर्द इतना ज्यादा होता है कि जी मिचलाने लगता है, कभी-कभी पित्त की उल्टी भी हो जाती है।
  • कभी-कभी इस प्रकार की पेचिश का इतना प्रकोप हो जाता है कि सारे परिवार पर इसका आक्रमण हो जाता है।
  • अगर पेचिश में मल के साथ सफेद आंव का भाग अधिक रहे, तो मर्क सोल (Merc Sol),
  • अगर मल के साथ खून का भाग अधिक रहे, तो मर्क कॉर (Merc Cor) दिया जाता है,
  • और अगर पेचिश के साथ जी मिचलाये, तो इपिकाक दिया जाता है।

(7) मलेरिया-ज्वर में डॉ. जाह्न (Jahr) इपिकाक का प्रयोग करते थे: 

  • डॉ. नैश, डॉ. जाह्न का उल्लेख करते हुए लिखते हैं कि अगर किसी औषधि विशेष के लक्षण न हों, तो मलेरिया-ज्वर में शुरू-शुरू में वे इपिकाक का प्रयोग करते थे। 
  • इससे उन्हें अनेक दवाओं में से एक के चुनने के झंझट में नहीं पड़ना पड़ता था। इपिकाक के ज्वर में प्यास नहीं रहती। 
  • कुनीन (Quinine) का अधिक सेवन करने से अगर मलेरिया-ज्वर दब जाए और कोई दूसरे उपद्रव उठ खड़े हों, तो इपिकाक के प्रयोग से विशेष लाभ होता है। 
  • टाइफॉयड आदि ज्वर के बाद जब थोड़ा-थोड़ा बुखार बना रहता है, हटता ही नहीं, तब भी यह औषधि इस लटकते बुखार को समाप्त कर देती है।

(8) शक्ति तथा प्रकृति: 

  • 3 से 200 शक्ति। 
  • हनीमैन का कथन है कि यह अल्प-कालिक (Short-acting) औषधि है। 
  • अनुभव से देखा गया है कि 200 शक्ति अच्छा काम करती है। इसे बार-बार दोहराया जा सकता है, परन्तु लाभ देखते ही औषधि को बन्द कर देना चाहिए। 
  • यह नियम हर होम्योपैथिक औषधि के विषय में लागू है। 
  • औषधि 'गर्म' (Hot) प्रकृति के लिए है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: क्या Ipecac को उल्टी रोकने के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के ले सकते हैं? 

उत्तर: सामान्यतः उल्टी और मतली के लिए Ipecac 30 की कुछ खुराकें सुरक्षित मानी जाती हैं। लेकिन, यदि उल्टी के साथ पेट में तेज दर्द हो या रक्तस्राव हो, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

प्रश्न 2: Ipecac और Pulsatilla में सबसे बड़ा अंतर क्या है? 

उत्तर: दोनों पेट खराब होने पर दी जाती हैं, लेकिन Ipecac में 'लगातार मतली' (उल्टी के बाद भी) बनी रहती है और जीभ साफ होती है। जबकि Pulsatilla में मतली होती है पर उल्टी कम होती है, और जीभ पर सफेद परत होती है।

प्रश्न 3: क्या यह दमा (Asthma) के लिए अच्छी दवा है? 

उत्तर: जी हां, विशेषकर जब मौसम में नमी (Humidity) हो, छाती में कफ की घड़घड़ाहट हो और साथ में जी मिचला रहा हो, तो Ipecac दमे में बहुत राहत देती है।

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