Allium Cepa (Onion) – एलियम सीपा (प्याज़)

संशोधित: 21 December 2025 ThinkHomeo

एलियम सीपा (Allium Cepa) के व्यापक लक्षणों के बारे में जानें, जिसमें जलन वाला जुकाम, आँखों से पानी, ठंड से पेट दर्द और चोट के बाद नसों में दर्द शामिल है। यह औषधि कैसे अन्य दवाओं से भिन्न है, इसकी भी जानकारी प्राप्त करें।

Allium Cepa (Onion) – एलियम सीपा (प्याज़)

एलियम सीपा (Allium Cepa), जिसे सामान्य भाषा में प्याज के नाम से जाना जाता है, होम्योपैथी में जुकाम और तीव्र सूजन (acute inflammation) के लिए एक अत्यंत प्रभावी औषधि है। इसके लक्षण कच्चे प्याज के काटने पर होने वाली प्रतिक्रियाओं से काफी मिलते-जुलते हैं।

मुख्य लक्षण तथा रोग:

  1. शरीर के अंगों की आंतरिक झिल्ली का नवीन प्रदाह (inflammation-सूजन), जुकाम: नाक और आँख से चिरमिराता (irritating) पानी बहना।
  2. जुकाम अथवा मासिक धर्म (Periods) बंद होने के कारण सिर-दर्द: ठंड के प्रति संवेदनशीलता के साथ सिरदर्द।
  3. ठंड से पाँव भीगने, कच्ची साग-सब्जी-सलाद खाने से पेट-दर्द: विशेषकर जब दर्द बैठने से बढ़े और घूमने-फिरने से घटे।
  4. कान का दर्द: जुकाम से संबंधित कान का दर्द।
  5. लंबा, डोरे की तरह जाने वाला शियाटिका जैसा स्नायविक (neuralgic-नस का) दर्द: शरीर में एक लंबी नस के मार्ग में दर्द।
  6. किसी अंग के काटने के बाद नसों में दर्द: आघात (trauma) के बाद होने वाला तीव्र नस दर्द (post-amputation neuralgia)।

प्रकृति (Modalities)

लक्षणों में कमी (Better):

  • ठंडे कमरे में रोग में कमी।
  • खुली हवा में (पल्सेटिला (Pulsatilla) की तरह) रोग में कमी।

लक्षणों में वृद्धि (Worse):

  • बंद, गरम कमरे में वृद्धि।
  • मुख्य तौर पर सायंकाल रोग में वृद्धि।

1. शरीर के अंगों की आंतरिक झिल्ली का नवीन प्रदाह (नवीन सूजन)

  • एलियम सीपा प्याज को कहते हैं। यह हम सब लोगों का अनुभव है कि जब कच्चा प्याज काटा जाता है, तब उसके रस के लगने से नाक तथा आँख से जुकाम की तरह का पानी बहने लगता है। 
  • होम्योपैथी के मत के अनुसार जो औषधि जिन लक्षणों को स्वस्थ मनुष्य में उत्पन्न करती है, वही रोग में उन लक्षणों के विद्यमान होने पर सूक्ष्म मात्रा में - शक्तिकृत करके - देने से उन्हीं लक्षणों को दूर करती है। 
  • एलियम सीपा इसका सबको समझ में आ जाने वाला दृष्टांत (example-उदाहरण) है।
  • नाक से पतला, और जिस स्थान पर बहे उस पर जलन पैदा करना इसका मुख्य लक्षण है। इसके जुकाम का मुख्य लक्षण यह है कि नाक का पानी होंठों पर जहाँ बहता है, वहाँ लगता है, जलन पैदा करता है, उस स्थान को लाल बना देता है। इसमें आँख से भी पानी निकलता है, परंतु नाक का पानी जलन पैदा करता है, आँख से निकलने वाला पानी गाल पर लगता नहीं, खाल को छील नहीं देता।
  • जुकाम में इसकी यूफ्रेशिया (Euphrasia) से तुलना की जाती है। 
  • सीपा के जुकाम में मूँछ के बाल तक जलन के साथ बहने वाले नजले के पानी से जल जाते हैं। सीपा का जुकाम नाक पर जलन पैदा करता है और आँख पर नहीं, यूफ्रेशिया का जुकाम नाक पर नहीं जलन पैदा करता आँख पर करता है।
  • सीपा और यूफ्रेशिया इन दोनों के जुकाम में आँख तथा नाक दोनों से पानी बहता है, परंतु दोनों में एक-दूसरे से उल्टी प्रक्रिया होती है। सीपा के जुकाम का पानी नाक पर चिरमिराता (irritates) है, आँख का पानी आँख को नहीं चिरमिराता (irritates); यूफ्रेशिया के जुकाम का पानी आँख को चिरमिराता (irritates) है, नाक को नहीं।
  • जुकाम बाईं नाक से शुरू होकर दाईं तरफ जाता है: सीपा का जुकाम बाईं नाक की तरफ से शुरू होता है। उस तरफ चिरमिराने वाला पानी बहता है, नाक भर जाती है, और 24 घंटे के भीतर ही यह हालत दाईं तरफ भी हो जाती है। ऐसा क्यों होता है - कहा नहीं जा सकता, परंतु डॉ. केंट (Dr. Kent) कहते हैं कि सीपा के जुकाम में ऐसा पाया जाता है।

2. जुकाम के कारण सिरदर्द

  • इसकी प्रकृति के विषय में हमने लिखा है कि इसका रोगी खुली हवा पसंद करता है, ठंड पसंद करता है, बंद कमरे में उसकी शिकायतें बढ़ जाती हैं, सायंकाल भी उसकी शिकायतों में वृद्धि होती है। इस प्रकृति के कारण जब रोगी को सीपा के जुकाम के साथ सिरदर्द होता है, तब उस सिर-दर्द में भी रोगी ठंडी हवा पसंद करता है, कमरे के बाहर ठंडक में घूमना चाहता है, और गर्म कमरे में आते ही उसका सिर-दर्द फिर से शुरू हो जाता है। 
  • यूफ्रेशिया (Euphrasia) और पल्सेटिला (Pulsatilla) में भी गर्म कमरे में आने से तकलीफ बढ़ जाती है, परंतु यूफ्रेशिया के जुकाम में पानी जैसा जुकाम और आँख में चिरमिराहट होती है, पल्सेटिला के जुकाम में पीला, गाढ़ा जुकाम होता है।

मासिक-धर्म शुरू होने पर सिर-दर्द चला जाता है, बंद होने पर शुरू हो जाता: 

  • स्त्रियों में सिर दर्द का मासिक धर्म शुरू होने पर बंद हो जाना और मासिक धर्म बंद होने पर सिर दर्द का शुरू हो जाना सीपा का लक्षण है। 
  • लैकेसिस (Lachesis) और जिंकम (Zincum) में भी यह लक्षण पाया जाता है। 
  • लैकेसिस का इस लक्षण के अतिरिक्त मुख्य लक्षण सोने के बाद तकलीफ का बढ़ जाना आदि हैं और जिंकम का मुख्य लक्षण स्नायु-रोग (nervous disease) से, मेरु-दण्ड (spinal cord) के रोगों से पीड़ित होना है।
  •  वैसे लैकेसिस तथा जिंकम मेटैलिकम (Zincum Metallicum) में मासिक धर्म शुरू होने पर सिर दर्द या अन्य दर्द हट जाते हैं।

सिर्फ इस एक लक्षण पर औषधि का निर्णय कर देना उचित नहीं है। होम्योपैथी में रोगी के अधिक-से-अधिक लक्षणों का औषधि के अधिक से अधिक लक्षणों के साथ मिलना करना ही औषधि के चुनने का उचित प्रकार है।

3. ठंडे पानी से भीगने, अधिक खाने, कच्ची साग-सब्जी-सलाद खाने से पेट-दर्द

  • पाँवों के भीग जाने से कभी-कभी ठंड लग जाने पर पेट-दर्द हो जाता है, अधिक खाने से भी पेट-दर्द हो जाता है, खीरा तथा अन्य कच्ची साग-सब्ज़ी खाने से भी पेट-दर्द हो जाता है। अगर बैठे रहने से यह दर्द बढ़े और घूमने-फिरने से घटे, तो इस लक्षण में सीपा उत्तम औषधि है। 
  • इस दर्द में बच्चा दोहरा हो जाता है। पेट-दर्द में प्रायः सर्व-साधारण लोग भी कच्चे प्याज का इस्तेमाल करते हैं जिससे पेट की गैस शांत हो जाती है।

4. कान का दर्द

  • जो लोग घर में होम्योपैथी की दवाइयों का बक्सा रखते हैं, उसमें कान के दर्द के लिए तीन दवाओं का होना आवश्यक है। वे हैं - पल्सेटिला (Pulsatilla), कैमोमिला (Chamomilla) तथा एलियम सीपा। 
  • पल्सेटिला तो कर्णशूल (earache-कान का दर्द) के लिए प्रसिद्ध दवा है। इसका कान के साथ विशेष संबंध है। जब बच्चा दयनीय भाव से कान के दर्द से कराह रहा हो, तो ऐसे कोमल-स्वभाव के बच्चों का कान के दर्द में पल्सेटिला अद्भुत काम करता है। 
  • जो बच्चे चिड़चिड़े हों, जो कुछ उन्हें दिया जाए उसे दे मारें (फेक दें), नर्स के मुँह पर भी थप्पड़ मारें, उनके लिए कान के दर्द में कैमोमिला उपयुक्त है। 
  • अगर सीपा के जुकाम की वजह से कान का दर्द हो, तो एलियम सीपा इस दर्द को शांत कर देगा। 
  • घरों में भी प्रायः कान के दर्द में प्याज गर्म करके बाँध देते हैं।

5. लंबा, डोरे की तरह जाने वाला शियाटिका जैसा स्नायविक दर्द

  • चेहरे में, सिर में, गर्दन में, छाती में कभी-कभी एक स्नायु (नस) में दर्द शुरू हो जाता है, जो डोरे की तरह की लंबी स्नायु के सारे भाग में महसूस होता है। शरीर के किसी भी भाग में ऐसा दर्द हो सकता है। शियाटिका (Sciatica) में ऐसा दर्द पाया जाता है। बाँह में एक धागे की सीध के तौर पर कभी-कभी दर्द होता है।

6. किसी अंग के काटने के बाद नसों में दर्द (Traumatic Neuritis)

  • अगर हाथ, पाँव या शरीर का कोई अंग कारण-विशेष (specific reason) से काट देना पड़े तो कभी-कभी किसी नस में भयंकर शूल (दर्द) होता है, असहनीय (unbearable-बर्दाश्त से बाहर) वेदना। इसे यह शांत कर देता है।

7. इस औषधि के अन्य लक्षण

i. अगर रोगी को कच्चा प्याज खाने की तीव्र इच्छा हो, दूसरा कोई पौष्टिक आहार न ले सके, तो यह भी इसका एक लक्षण है। 

ii. ऐसी खाँसी जिसमें रोगी खाँसते-खाँसते गला पकड़ लेता है - महसूस होता है कि गला अंदर से सूजा हुआ (Catarrhal Laryngitis) है। 

iii. जूते की या अन्य किसी रगड़ से पैरों में, खासकर पैर की एड़ी में स्पर्श असहष्णुता (intolerance-बर्दाश्त न करना) का अनुभव करना।

 iv. सीपा और एकोनाइट (Aconite) में भेद करना आवश्यक है। सीपा का स्थान एकोनाइट नहीं ले सकता। एकोनाइट में बच्चा सूखी ठंड में बाहर गया था, और ठंड लगने पर मध्य-रात्रि में ही बुखार और खाँसी के कारण उठ बैठता है और गले  को पकड़ता है; सीपा में सूखी ठंड लगने का प्रश्न नहीं होता, उसमें जुकाम प्रधान होता है, किंतु उसमें भी बच्चा खाँसता-खाँसता गले को इसलिए पकड़ता है क्योंकि वह सूजा हुआ-सा अनुभव होता है, दर्द करता है।

8. शक्ति तथा प्रकृति

  • यह एकोनाइट की तरह तेजी से काम करने वाली 'Short-acting' औषधि है। 
  • मूल अर्क (Mother Tincture), 3, 6, 30 शक्तियां प्रभावी हैं। 
  • यह औषधि 'गर्म' (Hot) प्रकृति के रोगियों के लिए है।

सारांश (Summary)

एलियम सीपा (Allium Cepa) एक होम्योपैथिक औषधि है जो मुख्य रूप से शरीर की आंतरिक झिल्लियों में होने वाले तीव्र प्रदाह (acute inflammation) और स्नायविक  (neuralgic - नसों) दर्दों के लिए जानी जाती है।

इसके प्रमुख लक्षण और उपयोग इस प्रकार हैं:

  • जुकाम और आँखों से पानी: नाक से पतला, जलन पैदा करने वाला पानी बहना जो होंठों को छील देता है। आँखों से भी पानी आता है, लेकिन उसमें जलन नहीं होती।
  • सिरदर्द: जुकाम या मासिक धर्म के चक्र से जुड़ा सिरदर्द, जो ठंडी हवा में बेहतर और गर्म कमरे में बिगड़ता है।
  • पेट दर्द: पाँव भीगने, अधिक खाने या कच्ची साग-सब्जी खाने से होने वाला पेट दर्द, जो बैठे रहने से बढ़ता है और चलने से घटता है।
  • नसों में दर्द: लंबा, डोरे की तरह जाने वाला स्नायविक दर्द (जैसे शियाटिका), और किसी अंग के विच्छेदन (amputation) के बाद होने वाला तीव्र नस दर्द।
  • कान का दर्द: जुकाम से संबंधित कान का दर्द।
  • खाँसी: ऐसी खाँसी जिसमें रोगी खाँसते-खाँसते गला पकड़ लेता है, क्योंकि गले में सूजन महसूस होती है।
  • प्रकृति: यह औषधि 'गर्म' (Hot) प्रकृति के रोगियों के लिए उपयुक्त है, जिनके लक्षण बंद, गर्म कमरे में और सायंकाल में बढ़ते हैं, जबकि ठंडे कमरे या खुली हवा में उन्हें आराम मिलता है।

संक्षेप में, एलियम सीपा तीव्र जुकाम और संबंधित लक्षणों, साथ ही विभिन्न प्रकार के स्नायविक दर्दों और सूजन के लिए एक शक्तिशाली और विशिष्ट औषधि है।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. एलियम सीपा का उपयोग किन मुख्य रोगों में होता है? 

एलियम सीपा का उपयोग मुख्य रूप से जुकाम (जिसमें नाक से जलन पैदा करने वाला पतला पानी बहता है), आँखों से पानी आने, सिरदर्द, पेट दर्द, कान के दर्द और स्नायविक (neuralgic) दर्दों के उपचार में होता है।

Q2. एलियम सीपा के जुकाम और यूफ्रेशिया (Euphrasia) के जुकाम में क्या अंतर है?

एलियम सीपा के जुकाम में नाक का पानी जलन पैदा करता है और होंठों को छील देता है, जबकि आँखों के पानी में जलन नहीं होती। इसके विपरीत, यूफ्रेशिया के जुकाम में आँखों के पानी में जलन होती है और नाक के पानी में जलन नहीं होती।

Q3. क्या एलियम सीपा पेट दर्द के लिए उपयोगी है?

हाँ, एलियम सीपा पेट दर्द के लिए उपयोगी है, खासकर जब यह ठंड लगने, अधिक खाने या कच्ची साग-सब्जी खाने से होता है। इस दर्द में रोगी को बैठे रहने से तकलीफ बढ़ती है और घूमने-फिरने से आराम मिलता है।

यह सामग्री सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

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