Cactus Grandiflorus – कैक्टस ग्रैन्डीफ्लोरस
कैक्टस ग्रैन्डीफ़्लोरस का मुख्य प्रभाव हृदय , रक्त-संचार प्रणाली , मूत्राशय (Bladder), गर्भाशय और जोड़ों पर देखा जाता है। इस औषधि की विशेषता है — जकड़न या कसाव का अनुभव, विशेषतः हृदय, छाती या किसी भी अंग में। Cactus Grandiflorus
कैक्टस ग्रैन्डीफ़्लोरस (Cactus Grandiflorus) एक 'गर्म' (Hot) प्रकृति की औषधि है, जो मुख्य रूप से हृदय (Heart) और रुधिर संचार (Blood Circulation) पर अपने विशिष्ट प्रभाव के लिए जानी जाती है, विशेषकर जकड़न (Constriction) की अनुभूति के साथ।
मुख्य लक्षण तथा रोग (GENERALS AND PARTICULARS):
- हृदय मानो मुट्ठी से जल्दी-जल्दी दबाया और छोड़ा जा रहा है (Angina pectoris - एन्जाइना पैक्टोरिस)।
- किसी भी अंग में जकड़न (Constriction) का अनुभव होना।
- वात-रोग (Rheumatism) या गठिया (Gout) में जकड़न का अनुभव।
- बायीं बांह का सुन्न हो जाना (Numbness of left arm)।
- रक्त-संचय (Congestion) के कारण भिन्न-भिन्न अंगों से रुधिर जाना (जैसे, बवासीर में)।
- पेट, आंतों, हाथों, टांगों, सिर में स्पन्दन (Pulsation/Throbbing)।
प्रकृति (MODALITIES)
लक्षणों में कमी (Better):
- खुली हवा से रोग में कमी।
लक्षणों में वृद्धि (Worse):
- दोपहर के समय रोग में वृद्धि।
- 11 बजे प्रातः तथा सांय।
- बायीं करवट लेटने से रोग में वृद्धि।
(1) हृदय मानो मुट्ठी से जल्दी-जल्दी दबाया और छोड़ा जा रहा है (एन्जाइना पैक्टोरिस)
- यह हृदय के रोग की प्रधान दवा (chief remedy) है। रोगी को ऐसा अनुभव होता है मानो उसका हृदय मुट्ठी में दबाया हुआ है, और जल्दी-जल्दी उसे दबाया और छोड़ा जा रहा है। उसे हृदय में ऐसा दर्द होता है कि वह समझता है कि उसका रोग असाध्य (incurable) है। उसे डर लगता है कि उसकी मृत्यु हो जायगी (fear of death)।
- मृत्यु-भय: मृत्यु का भय एकोनाइट (Aconite) में भी है, परन्तु कैक्टस में मृत्यु-भय की तीव्रता एकोनाइट (Aconite) जैसी नहीं है। रोगी उदास (sad) रहता है, अकेला, चुपचाप बैठा रहता है। हृदय के रोग में रोगी प्रायः रोया (weeps) करता है।
- घुटन: एकोनाइट (Aconite) में गले और छाती में रोगी ऐसी जकड़न (constriction) अनुभव करता है मानो घुट कर मर जायगा (suffocation)। यह घुटन कैक्टस की घुटन से ज्यादा है।
दिल के इस प्रकार के कष्ट में निम्न-औषधियां उपयुक्त हैं:
- कैक्टस (Cactus): मानों मुट्ठी से हृदय को बार-बार जकड़ा (clutched) और छोड़ा (released) जा रहा है।
- आयोडाइन (Iodine): मानों दिल को निचोड़ा (Squeeze) जा रहा है।
- लैकेसिस (Lachesis): सोकर उठने पर दिल का सिकोड़ा (Constriction) जाना और घबराहट दूर करने के लिये कपड़ा फेंक देना।
- आर्सेनिक (Arsenic): घूमते-फिरते मालूम होना कि दिल सिकुड़ (Constriction or oppression) रहा है।
(2) किसी भी अंग में 'जकड़न' (Constriction) का अनुभव होना
- जकड़न (Constriction) का अनुभव सिर्फ हृदय तक सीमित नहीं है। रोगी किसी भी अंग में जकड़न अनुभव करे, तो कैक्टस (Cactus) ही दवा है।
- रोगी अनुभव करता है कि उसकी छाती लोहे की जंजीर से जकड़ी हुई है, सिर पर इस प्रकार का दबाव (pressure) अनुभव करता है कि मानों सिर पर भारी बोझ (weight) से सिर जकड़ा पड़ा है। यह जकड़न हृदय और छाती के अलावा मूत्राशय (Bladder), गुदा (Rectum), जरायु (Uterus), योनि (Vagina) आदि किसी अंग में भी हो सकती है।
- सिर में सिर के कस कर बंधे होने का अनुभव, छाती में बोझ जिसमें सांस लेना कठिन हो, गले में जकड़न भरी ऐंठन, जरायु (uterus) में ऐसी जकड़न कि मैथुन न हो सके, मस्तिष्क में ऐसा अनुभव होना कि कपड़े से जोर से लपेटा हुआ है- ये हैं भिन्न-भिन्न अंगों के जकड़न के अनुभव जिमें कैक्टस उपयोगी है।
(3) वात-रोग या गठिये में 'जकड़न' (Constriction) का अनुभव
- वात-रोग (Rheumatism) में रोगी जोड़ में ऐसे अनुभव करता है मानो पट्टी से जोड़ जकड़ा हुआ है, बंधा पड़ा है। इस प्रकार के अनुभव में जकड़न, दबाव का-सा महसूस होता है। इस जकड़न में दर्द की अनुभूति होती है।
- कल्पना करो कि जिस जोड़ में वात-शोथ (rheumatic inflammation) है उसे पट्टी से लगातार जोर-जोर से कसकर बांधा जा रहा है। तब जैसी अनुभूति होती है वैसी जोड़ों में 'जकड़न' (Constriction) महसूस होती है।
(4) बायीं बांह का सुन्न हो जाना
- हृदय के रोग में बायीं बांह (Left Arm) में ऐंठन (cramps) और सुन्नपना (numbness) हो जाता है
- जो लोग गठिया या हिस्टीरिया (Hysteria) के रोगी होते हैं उनमें भी बायीं बांह में ये लक्षण पाये जाते हैं।
- कैक्टस में भी हाथ का सुन्नपना (numbness) या कीड़ियां-सी चलना (formication) मौजूद है इसलिये यह इस रोग की भी दवा है।
(5) रक्त-संचय के कारण भिन्न-भिन्न अंगों से रुधिर जाना (बवासीर)
- हृदय के रोग में रक्त का संचार (blood circulation) विघटित हो जाता है इसलिये किन्हीं अंगों में रक्त का संचय (congestion) अधिक हो जाता है। परिणामस्वरूप अधिक रक्त-संचय के कारण भिन्न-भिन्न अंगों से रुधिर (blood) बहने लगता है।
- सिर में रुधिर का संचय इतना हो जाता है कि नकसीर (nosebleed) फूटती है, खांसते हुए गले से खून आता है, छाती से खून आता है। यह खून रक्त-संचय के कारण होता है, जरायु (uterus) से रुधिर आता है, मूत्राशय (bladder) से और मूत्र (urine) में रुधिर आने लगता है। यह रक्त-स्राव (hemorrhage) टी०वी० (Tuberculosis) के कारण नहीं होता। बवासीर (piles) में मस्से खून से भर कर बड़े हो जाते हैं इसलिये कैक्टस खूनी बवासीर (bleeding piles) की भी दवा है।
(6) पेट, आंतों, हाथों, टांगों, सिर में स्पन्दन
- शरीर के भिन्न-भिन्न स्थानों में - पेट (abdomen) में, आंतों (intestines) में, हाथों (hands) में, टांगों (legs) में, सिर (head) में हृदय की नाड़ी का स्पन्दन (pulsation) अनुभव करना इस औषधि का विचित्र-लक्षण (peculiar symptom) है।
(7) इस औषधि के अन्य लक्षण
i. ग्यारह बजे रोग-वृद्धि:
- 11 बजे प्रातः या सांय रोगी को लक्षण सताते हैं। छाती पर बोझ की शिकायत होगी तो 11 बजे सवेरे या 11 बजे शाम; ज्वर आयेगा तो 11 बजे सुबह या शाम या सुबह और शाम ठंड सताने लगेगी।
ii. मूत्रावरोध (Retention of Urine):
- मूत्राशय (bladder) में ऐसी 'सिकुड़न' (Constriction) होती है कि मूत्र नहीं निकलता, रुका रहता है। इस औषधि में रुधिर के थक्के (blood clots) आसानी से बन जाते हैं।
- मूत्राशय (bladder) में अगर रुधिर-स्राव (hemorrhage) हो जाय, तो उसके थक्के जम कर मूत्र-मार्ग को रोक देते हैं, रोगी का मूत्र रुक जाता है।
iii. मासिक-धर्म का कष्ट:
- मासिक-धर्म (menstruation) के समय तंदुरुस्त, हृष्ट-पुष्ट स्त्री का जरायु-मार्ग (uterine passage) इन रुधिर के थक्कों से रुक जाता है और इन्हें बाहर धकेलने के लिये जरायु में ऐंठन (cramps) पैदा होती है, जो प्रजनन के समय के कष्ट (labor-like pain) के समान होती है।
- अगर यह अवस्था गठिये के रोगी में पायी जाय तब तो हर हालत में कैक्टस ही इस शिकायत को दूर करेगा।
यह स्मरण रखना चाहिये कि कैक्टस मुख्य तौर पर हृदय की औषधि है और इसीलिये रुधिर (blood) से संबंध रखने वाले रोगों में लक्षणानुसार इसका प्रयोग होता है।
(8) शक्ति तथा प्रकृति
- यह औषधि 6, 30, 200 (शक्ति - potency) में प्रयोग की जाती है।
- औषधि 'गर्म' (Hot)-प्रकृति के लिये है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. कैक्टस ग्रैन्डीफ़्लोरस (Cactus Grandiflorus) का सबसे प्रमुख और विशिष्ट लक्षण क्या है?
कैक्टस का सबसे विशिष्ट लक्षण यह है कि रोगी को हृदय (Heart) में ऐसा अनुभव होता है मानो उसे मुट्ठी से जल्दी-जल्दी दबाया और छोड़ा जा रहा है (Angina Pectoris), या शरीर के किसी भी अंग में लोहे की जंजीर जैसी जकड़न (Constriction) महसूस होती है।
Q2. इस दवा के लक्षण किस विशिष्ट समय पर बढ़ते हैं?
इस दवा के लक्षण दोपहर के समय (Worse at Noon) और 11 बजे प्रातः तथा सांय को विशेष रूप से बढ़ते हैं।
Q3. क्या कैक्टस (Cactus) केवल हृदय रोगों में ही काम आती है?
नहीं। यह मुख्य रूप से हृदय की औषधि है, लेकिन 'जकड़न' (Constriction) के लक्षण के कारण यह मूत्राशय (Bladder), जरायु (Uterus), गुदा (Rectum), सिर और जोड़ों में होने वाली जकड़न और दर्द में भी उपयोगी है।
Q4. रक्त-संचय (Blood Congestion) से संबंधित इसके लक्षण क्या हैं?
हृदय रोग के कारण रक्त-संचय होने से नकसीर (Nosebleed), खाँसी में खून, और खूनी बवासीर (Bleeding Piles) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, रुधिर के थक्के बनने की प्रवृत्ति के कारण मासिक धर्म (Menstruation) में दर्द और मूत्रावरोध (Urinary Retention) भी हो सकता है।
Q5. कैक्टस (Cactus) का रोगी किस करवट नहीं लेट सकता?
कैक्टस के रोगी को बायीं करवट लेटने से (Worse lying on Left Side) रोग में वृद्धि होती है और हृदय की तकलीफें बढ़ जाती हैं।
Q6. क्या कैक्टस (Cactus) ग्रैन्डीफ़्लोरस का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह के किया जा सकता है?
नहीं, इसका प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए। कैक्टस (Cactus) एक शक्तिशाली (potent) दवा है और इसका उपयोग केवल एक प्रशिक्षित और अनुभवी होम्योपैथिक चिकित्सक की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। आपकी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।