Alumen (Alum) – एलूमेन (फिटकरी)
एलुमेन (Alumen) के व्यापक लक्षणों और उपयोगों के बारे में जानें, जिसमें मलद्वार और मूत्राशय में पक्षाघात (paralysis) जैसी कमजोरी, टांसिल और स्तन ग्रन्थियों का कड़ा पड़ना, तथा वृद्ध पुरुषों की खांसी शामिल है।
एलुमेन (Alumen) एक महत्वपूर्ण होम्योपैथिक औषधि है। इसका मुख्य उपयोग शरीर के ऊतकों (tissues) में आने वाली कठोरता (hardness) और शिथिलता (weakness) को ठीक करने में होता है।
यह विशेष रूप से कठोर कब्ज, मूत्राशय की कमजोरी, ग्रंथियों की सूजन, और कैंसर (Cancer) जैसी प्रवृत्ति में कारगर है।
मुख्य लक्षण तथा रोग:
- मलद्वार में लकवे-सी कमजोरी (Paralysis-like Weakness in Rectum): गुदा की मांसपेशियों की क्रियाशीलता का अभाव।
- मूत्राशय में पक्षाघात-सी कमजोरी (Paralysis-like Weakness in Bladder): पेशाब करने में कठिनाई और मूत्राशय का अधूरा खाली होना।
- शोधग्रस्त (inflamed-सूजा हुआ) त्वचा, जिह्वा, गुहा-द्वार (anal orifice-गुदा), जरायु (uterus-गर्भाशय) या फोड़े का कड़ा पड़ जाने की तरफ रुझान (कैंसर): ऊतकों में कठोरता की प्रवृत्ति।
- टांसिल (Tonsils), स्तन (Breast) आदि ग्रन्थियों (Glands) का कड़ा पड़ जाना: ग्रंथियों में कठोर गाँठ बनना।
- वृद्ध पुरुषों की खांसी: कफ निकालने में कठिनाई के साथ होने वाली पुरानी खांसी।
प्रकृति (Modalities)
लक्षणों में कमी (Better):
- सिर-दर्द में गर्मी से कमी।
लक्षणों में वृद्धि (Worse):
- ठंड से रोग में वृद्धि (सिर दर्द को छोड़ कर क्योंकि सिर दर्द गर्मी से कम हो जाती है)।
- निद्रा (sleep-नींद) से रोग का बढ़ जाना।
- दाईं तरफ लेटने से रोग में वृद्धि।
1. मल-द्वार में लकवे-सी कमजोरी (दस्त के लिये भी जोर लगाना, सख्त कब्ज)
- इस औषधि में मल-द्वार में ऐसी कमजोरी होती है मानो पक्षाघात (Paralysis-लकवा) हो गया हो। गुदा की क्रियाशीलता (activity-कार्य) समाप्त हो जाने के कारण, मल गुदा में चिपट जाता है। कोलन (colon-बड़ी आंत) में से मल निकलता ही नहीं। जो मल निकलता है, वह अत्यंत कठोर, सूखा हुआ, पत्थर की तरह गांठों वाला होता है। मल सप्ताह में एक बार या दो बार निकलता है।
2. मूत्राशय में लकवे, पक्षाघात-सी कमजोरी
- जैसे मल-द्वार शिथिल पड़ जाता है, वैसे मूत्राशय (bladder) में भी भयंकर (severe-बहुत ज्यादा) शिथिलता आ जाती है। मूत्र बड़ी कठिनाई से निकलता है। पेशाब करने के बाद भी मूत्राशय अधभरा ही रह जाता है। पहले तो मूत्र का प्रवाह शुरू होने में ही बहुत देर लग जाती है, और जब मूत्र आना आरंभ होता है, तो मूत्र नली से नीचे सीधा एक धार का गिरता है, वेग से जैसा आगे की तरफ गिरना चाहिए वैसा नहीं गिरता।
- इसका कारण मूत्राशय की प्रणालिका (canal-नली) का पक्षाघात अर्थात लकवे की-सी अवस्था का होना है जिससे मूत्राशय मूत्र के वेग को आगे की तरफ नहीं धकेल पाता।
3. शोधग्रस्त त्वचा, जिह्वा, गुहा-द्वार, जरायु या फोड़े का कड़ा पड़ जाने की तरफ रुझान जिससे कैंसर बनना है
- इस औषधि में त्वचा के कड़ा पड़ जाने (Induration-कठोरता) की प्रवृत्ति है। जहाँ त्वचा में शोथ (inflammation-सूजन) होगी वहां वह कड़ी पड़ जाएगी। जिन औषधियों में भी त्वचा के कड़ा पड़ जाने की प्रवृत्ति पायी जाती है, वे कम-अधिक रूप में कैंसर (Cancer) हो जाया करती हैं क्योंकि कैंसर का मुख्य आधार (basis-कारण) कड़ेपन की प्रवृत्ति है। जब जख्म (wound-घाव) कड़ा पड़ने लगे तो समझना चाहिए कि वह कैंसर में परिणत (converted-बदल) हो सकता है। यह कड़ापन बढ़ता-बढ़ता कैंसर बन जाता है।
- ऐसे जख्म त्वचा पर कहीं भी हो सकते हैं, जिह्वा (tongue) पर, गुदा-द्वार में, जरायु (uterus-गर्भाशय) में हो सकते हैं। इनका शुरू में ही उपचार एलुमेन द्वारा होने से रोगी कैंसर से बच जाता है।
4. टांसिल, स्तन आदि ग्रन्थियों का कड़ा पड़ जाना
- जैसे त्वचा में या जिह्वा आदि में कड़ापन आ जाता है, वैसे शरीर की ग्रन्थियों (glands-गाँठें) में - टांसिल (Tonsils), स्तन (Breast) आदि में - भी ये ग्रन्थियां गोली की तरह कड़ी पड़ जाती हैं।
- यह प्रवृत्ति टांसिलो में विशेष रूप से पायी जाती है। जिन लोगों की ठंड सीधी टांसिल में बैठ जाती है, उसे कड़ा कर देती है, उनके रोग को एलुमेन ठीक कर देता है।
- यह स्मरण (remember-याद) रखना चाहिए कि टांसिल के कड़ा होने की प्रवृत्ति जैसे एलुमेन में पायी जाती है, वैसी ही यह प्रवृत्ति बैराइटा कार्ब (Baryta Carb) में भी पायी जाती है। कड़े टांसिल में बैराइटा कार्ब ही उत्तम औषधि है।
5. वृद्ध पुरुषों की खांसी
- जिन वृद्धों की छाती में कफ बैठ जाता है, कठिनाई से निकलता है, लंबी-लंबी तार से निकलता है, उसे यह ठीक कर देता है। यह लक्षण एंटिम टार्ट (Antim Tart) में भी है।
6. शक्ति तथा प्रकृति
- यह औषधि 30, 200 या इससे भी ऊंची शक्ति (potency) का प्रयोग होता है।
- यह दीर्घ-कालिक (chronic-लंबे समय का) एंटिसोरिक (antisoric) दवा है।
- औषधि 'सर्द' (Chilly) - प्रकृति के लिए है।
एलुमेन (Alumen) का सारांश
- एलुमेन एक होम्योपैथिक औषधि है जिसका मुख्य उपयोग शरीर के ऊतकों (tissues) में आने वाली कठोरता (hardness-कड़ापन) और शिथिलता (weakness-कमजोरी) को ठीक करने के लिए होता है।
- यह विशेष रूप से कठोर कब्ज (hard constipation) और मूत्राशय की कमजोरी (bladder weakness) के लिए प्रभावी है, जहाँ मल और मूत्र को निकालने में कठिनाई होती है। यह दवा शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली सूजन और गाँठ को भी ठीक करती है, जो आगे चलकर कैंसर (Cancer) में बदल सकती हैं।
- इसके अलावा, एलुमेन का प्रयोग उन सभी स्थितियों में होता है जहाँ शरीर के किसी भी हिस्से में कड़ापन या गाँठ बन जाती है, जैसे कि टांसिल (Tonsils) और स्तन ग्रन्थियों (Breast Glands) में। यह दवा रक्तस्राव (hemorrhage) को रोकने, पुराने घावों (chronic wounds) को ठीक करने और वृद्ध पुरुषों की खाँसी में भी सहायक है।
- मानसिक स्तर पर, यह उन लोगों के लिए उपयोगी है जो निराश, उदासी और सुस्त महसूस करते हैं। संक्षेप में, एलुमेन उन रोगों का उपचार करती है जो पक्षाघात जैसी कमजोरी और ऊतकों के कठोर होने से उत्पन्न होते हैं।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. एलुमेन का मुख्य उपयोग क्या है?
एलुमेन का मुख्य उपयोग मलद्वार और मूत्राशय में पक्षाघात (paralysis) जैसी कमजोरी, सख्त कब्ज (hard constipation), और टांसिल, स्तन या त्वचा में कड़ापन (induration) आने की प्रवृत्ति के लिए होता है।
Q2. एलुमेन में कब्ज की क्या विशेषता है?
एलुमेन में कब्ज बहुत सख्त होता है, मल पत्थर की तरह कठोर, सूखा और गांठों वाला होता है, और रोगी को मल निकालने के लिए जोर लगाना पड़ता है, क्योंकि गुदा की मांसपेशियाँ शिथिल पड़ चुकी होती हैं।
Q3. क्या एलुमेन कैंसर की प्रवृत्ति को रोक सकती है?
हाँ, एलुमेन उन सूजनग्रस्त (inflamed) और कड़े पड़ गए जख्मों या ग्रंथियों के लिए उपयोगी है, जिनमें कठोरता (induration) की प्रवृत्ति पाई जाती है। होम्योपैथी में माना जाता है कि यह कठोरता कैंसर में परिवर्तित हो सकती है, इसलिए एलुमेन इस प्रवृत्ति को रोकने में सहायक है।
यह सामग्री सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।