Aethusa Cynapium – इथूजा सिनैपियम
इथूज़ा (Aethusa) के व्यापक लक्षणों के बारे में जानें, जिसमें बच्चों का दूध पीकर तुरंत उल्टी करना, मानसिक कार्य में असमर्थता, और ऐंठन (convulsions) शामिल हैं। यह औषधि कैसे अन्य दवाओं से भिन्न है, इसके लक्षण, उपयोग, शक्ति और विशेष लाभ की जानकारी प्राप्त करें।
इथूज़ा (Aethusa) बच्चों के अनेक रोगों में उनकी सहायता करती है और इसे बच्चों की मित्र औषधि माना जाता है। इसके लक्षण विशिष्ट और तीव्र होते हैं।
1. बच्चे का दूध पीकर उल्टी करके एकदम सो जाना
- बच्चा ज्यों ही दूध पीता है, पीकर झट-से सब एकदम उल्टी कर देता है। अगर कुछ देर वह दूध को पेट में रख भी लेता है, तो कुछ देर बाद फटे हुए दूध की तरह, दही के समान जमे हुए थक्के की उल्टी कर देता है, इसका कुछ नीला-सा रंग होता है।
- उल्टी करने में उसे जो कमजोरी और थकावट (Weakness and exhaustion) हो जाती है, उससे वह एक तरह की निद्रा (sleep) में सो जाता है, परन्तु थोड़ी देर बाद जाग कर भूख के मारे रोने-चिल्लाने लगता है। माँ उसे फिर दूध पिला देती है, वह फिर पहले की तरह उल्टी कर देता है, और अगर कुछ देर दूध पेट में रहा तो दही की-सी पहले जैसी उल्टी कर देता है।
- ऐसा प्राय: दो कारणों से होता है - या तो बच्चे के पेट में कुछ खराबी होती है, या जब उसके दाँत निकल रहे होते हैं तब ऐसा होता है। बच्चे का दूध को न पचा सकना इथूज़ा का लक्षण है।
1.1 दूध हजम न कर सकने में इथूज़ा तथा कैल्केरिया कार्ब (Calcarea Carb) से तुलना:
- इथूज़ा की तरह कैल्केरिया कार्ब का बच्चा भी दूध पीकर जमे हुए दही की तरह उल्टी कर देता है, परन्तु इनमे भेद यह है कि इथूज़ा का बच्चा तो उल्टी करने के बाद फिर दूध पीने लगता है,
- कैल्केरिया का बच्चा उल्टी करने के बाद दूध पीना नहीं चाहता। इसके अतिरिक्त कैल्केरिया के बच्चे के सिर पर पसीना आता है, उसके शरीर तथा वमन (vomit) से खट्टी बू आती है, इथूज़ा में ऐसा नहीं होता।
2. उल्टी के साथ कभी-कभी सब्ज़ (green) और पीले रंग के दस्त (diarrhea) आते हैं
- ग्रीष्म-ऋतु (summer season) में प्रायः ऐसी उल्टी के साथ कभी-कभी सब्ज़ (green) और पीले रंग के दस्त (diarrhea) आते हैं।
- यह जरूरी नहीं कि दस्त आएं ही, नहीं भी आते, परंतु यह देखा गया है कि बच्चों को उल्टी के साथ सब्ज़ (green) अथवा पीले रंग के दस्त भी आ जाते हैं।
3. उक्त रोग की चिकित्सा न होने पर हैजे (Cholera) के-से लक्षण आ जाते हैं
- जब बच्चे को दूध पीते ही उल्टी आ जाए, उल्टी आने पर थक कर वह निढाल पड़ कर निद्रित सा हो जाए, और उठने पर फिर दूध के लिए रोने लगे, सब्ज़ पीले रंग के दस्त आने लगें, तब उसकी चिकित्सा न करने से उसे हैजे (Cholera) की-सी शिकायत हो जाती है, बच्चा मरणासन्न हो जाता है।
- इन शिकायतों में इथूज़ा बच्चे का परम मित्र है।
4. परीक्षा के समय की थकावट, ध्यान केन्द्रित न कर सकना (Examination Funk)
- डॉ. क्लार्क (Dr. Clarke) ने इथूज़ा के लक्षणों को अपनी डिक्शनरी में लिखते हुए लिखा है, “वह कुछ पढ़ नहीं सकता, मानसिक-कार्य (mental work) नहीं कर सकता, किसी विचार पर जम नहीं सकता, मस्तिष्क (brain) साफ नहीं रहता।” प्रायः विद्यार्थी परीक्षा के समय ऐसी मानसिक दशा अनुभव करते हैं जब मन में और-कुछ समा नहीं सकता, कितना भी विद्यार्थी प्रयत्न करे मन कुछ ग्रहण नहीं कर सकता।
- उस समय मन की इस थकावट को इथूज़ा दूर कर देता है।
- डॉ. क्लार्क परीक्षा के समय विद्यार्थियों को जो ध्यान केन्द्रित न कर सकने की शिकायत किया करते थे यही दिया करते थे।
4.1 इथूज़ा, अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum) तथा जेलसीमियम (Gelsemium) की ध्यान केन्द्रित न कर सकने में तुलना:
- मन की इस प्रकार की थकावट में तीन दवाओं की तरफ ध्यान जाता है।
- इथूज़ा में तो पढ़ते-पढ़ते दिमाग थक जाता है, आगे काम नहीं करता, जैसा परीक्षा से पहले हुआ करता है।
- अर्जेन्टम नाइट्रिकम में घबराहट, चिंता, परीक्षा में फेल हो जाने की आशंका उत्पन्न हो जाती है। साधारण-से कारण के उपस्थित होने पर दस्त आ जाता है, अपनी असमर्थता की पूर्व-कल्पना (Anticipatory fear) के भय से घबराहट होने लगती है।
- जेलसीमियम में भी अर्जेन्टम नाइट्रिकम का यह लक्षण रहता है।
- इथूज़ा मस्तिष्क की थकावट को सूचित करता है, मस्तिष्क की काम करने में असमर्थता का द्योतक है,
- अर्जेन्टम नाइट्रिकम मानसिक तनाव, घबराहट, आशंका का द्योतक है।
- इसके अतिरिक्त, इथूज़ा में पेट की शिकायत होती है, उल्टी आती है, अर्जेन्टम नाइट्रिकम में पेट फूल जाता है, उसमें हवा भरी होती है, हवा भरी होने के कारण बदहजमी (indigestion) होती है, ऐसा लगता है कि पेट फूट जाएगा।
- इथूज़ा तथा अर्जेन्टम नाइट्रिकम दोनों में दस्त आ जाते हैं, हरा आव आता है। अर्जेन्टम मीठे का शौकीन होता है, परन्तु मीठा उसे माफिक नहीं आता, मीठे से उसकी शिकायतें बढ़ जाती हैं।
- डॉ. क्लार्क इसे मूर्खों की औषधि (Medicine for fools) कहते हैं। वे लिखते हैं कि एक विद्यार्थी जो परीक्षा में बैठ रहा था, शिकायत करने लगा कि उसका ध्यान बिल्कुल नहीं लगता, मन टिकने में असमर्थ हो गया है। उसे इथूज़ा दिया गया और वह परीक्षा में पूर्णतया सफल रहा। अपने मन की असमर्थता के कारण उसने पढ़ना-लिखना ही छोड़ दिया था, परन्तु इथूज़ा ने उसकी मानसिक दशा को बदल दिया।
- जिन विद्यार्थियों का ध्यान पढ़ने में नहीं लगता, उनका इथूज़ा परम मित्र है। डॉ. क्लार्क अपने पाउडर को 'फंक पिल्स' कहा करते थे। मस्तिष्क की थकावट और परीक्षा-भय को दूर करने के लिए पिकरिक एसिड (Picric Acid) भी उपयोगी है।
5. ऐंठन (Convulsions)
बच्चों की ऐंठन (Convulsions) में भी इथूज़ा बहुत लाभ पहुँचाता है। ऐंठन के समय बच्चा मुट्ठी बाँध लेता है। उसकी आँखें नीचे की तरफ फिरी रहती हैं, चेहरा लाल हो जाता है, पुतलियां फैल जाती हैं, मुँह से झाग निकलती है।
6. इस औषधि के अन्य लक्षण
- डॉ. एलन (Dr. Allen) लिखते हैं कि इस औषधि का विशेष लक्षण यह है कि ज्वर में प्यास बिल्कुल नहीं होती यद्यपि गर्मी पर्याप्त लगती है।
- गर्दन के चारों तरफ ग्रंथियों (Glands) की माला-सी उभर आती है।
- तेज उल्टी, तेज अकड़न, तेज दर्द—सब शिकायतों में तेजी (Violence)।
7. शक्ति तथा प्रकृति
- यह औषधि 3, 30, 200 शक्ति में प्रयोग की जाती है।
- यह औषधि 'गर्म – Hot' प्रकृति की है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. इथूज़ा का मुख्य उपयोग किस बीमारी के लिए है?
इथूज़ा का मुख्य उपयोग बच्चों के पाचन संबंधी रोगों, विशेष रूप से जब वे दूध पीकर तुरंत उल्टी कर देते हैं और उसके बाद थक कर सो जाते हैं, के लिए है। यह मानसिक थकावट और परीक्षा के भय में भी उपयोगी है।
Q2. इथूज़ा और कैल्केरिया कार्ब में क्या अंतर है?
दोनों में बच्चे दूध की उल्टी करते हैं, लेकिन इथूज़ा का बच्चा उल्टी के बाद फिर से दूध पीने लगता है, जबकि कैल्केरिया कार्ब का बच्चा दूध नहीं चाहता। कैल्केरिया कार्ब के बच्चे को सिर पर पसीना आता है और उसके शरीर से खट्टी गंध आती है, जो इथूज़ा में नहीं होता।
Q3. क्या इथूज़ा ऐंठन में भी उपयोगी है?
हाँ, इथूज़ा बच्चों की ऐंठन में बहुत लाभदायक है, खासकर जब ऐंठन के दौरान बच्चा मुट्ठी बाँध लेता है, आँखें नीचे फिर जाती हैं और मुँह से झाग निकलती है।
यह सामग्री सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।