Calcarea Carbonica – कैलकेरिया कार्बोनिका

संशोधित: 28 December 2025 ThinkHomeo

कैलकेरिया कार्बोनिका मोटापा, हड्डियों की कमजोरी और बच्चों की वृद्धि के लिए एक खास दवा है। जानिए Gonorrhea, दाँत निकलने और ग्रंथि सूजन में इसका उपयोग।

Calcarea Carbonica – कैलकेरिया कार्बोनिका

Calcarea Carbonica (संक्षेप में Calcarea Carb.) होम्योपैथी (Homeopathy) की एक प्रमुख और अनेक-कार्य-साधक (Polychrest) (कई रोगों में उपयोगी) औषधि (Medicine) है, जो मुख्य रूप से उन लोगों पर कार्य करती है जिनका शरीर कफ़ प्रकृति (Phlegmatic Constitution) का होता है। यह एक दीर्घकालिक (Chronic) औषधि है।

व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग (Generals and Particulars)

  1. थुलथुलपना (Flabbiness); स्थूलता (Obesity) परन्तु दुर्बलता (Weakness); थोड़े-से श्रम से हाँफ जाना; अस्थियों (Bones) का असम-विकास (Uneven Development)
  2. बड़ा सिर; बड़ा पेट परन्तु पतली गर्दन और पतली टाँगें।
  3. ठंडा शरीर परन्तु सिर पर बेहद पसीना (Profuse Sweating) आना; ठंडे पाँव।
  4. शरीर तथा स्रावों (Secretions/Discharges) से खट्टी बू (Sour Odor) आना।
  5. शारीरिक (Physical) की तरह मानसिक दुर्बलता (Mental Weakness)
  6. मासिक-धर्म (Menstruation) जल्दी, अधिक और देर तक।
  7. शीत-प्रधान शरीर (Chilly Temperament) तथा आराम पसन्द (Averse to Exertion)
  8. बच्चों के दांत निकलते समय (During Dentition) के रोग।
  9. रोगी की कण्ठमाला की प्रकृति (Scrofulous or Glandular Diathesis) (ग्रंथियों में सूजन की प्रवृत्ति)

प्रकृति तथा लक्षणों में बदलाव (Modalities)

लक्षणों में कमी (Better)लक्षणों में वृद्धि (Worse)
  • गर्म हवा से अच्छा लगना (Amelioration by Warm Air)
  • ठंड, ठंडी हवा से रोग बढ़ना (Aggravation by Cold)
 
  • शारीरिक-परिश्रम से बढ़ना (Aggravation by Physical Exertion)
 
  • मानसिक-परिश्रम से बढ़ना (Aggravation by Mental Exertion)
 
  • चढ़ाई में ऊपर चढ़ने से बढ़ना (Aggravation by Ascending)
 
  • दाँतों के निकलने में कष्ट (Aggravation During Dentition)
 
  • दूध माफ़िक न आना (Aggravation from Milk)

1. थुलथुलपना; स्थूलता परन्तु दुर्बलता; थोड़े-से श्रम से हाँफ जाना; अस्थियों का असम-विकास (Flabbiness and Uneven Bone Development)

  • बच्चे के जब दाँत निकल रहे होते हैं तभी उसे देखकर पहचाना जा सकता है कि बड़ा होकर उसके शरीर की रचना कैसी होगी। 
  • अगर उसका शरीर भोजन-तत्वों से लाइम (Lime) (कैल्शियम) का समीकरण (Assimilation) नहीं कर रहा, तो उसकी हड्डियों (Bones) का विकास (Development) ठीक नहीं हो पाता। 
  • हड्डियों की रचना को देख कर कहा जा सकता है कि उनका नियमित विकास नहीं हो रहा। किसी अंग में हड्डियाँ पतली, टेढ़ी दिखाई देती हैं, किसी में स्थूल (Thick) दिखाई देती हैं। 
  • हड्डियाँ कोमल (Soft) और धीरे-धीरे बढ़ती हैं। 
  • टाँगें पतली, मेरु-दण्ड (Spine) टेढ़ा, कमजोर हड्डियाँ—ऐसी हालत होती है उस बच्चे की जिसके विकास में लाइम (Lime) नहीं रच पाता। 
  • एलोपैथिक (Allopathic) चिकित्सक ऐसे बच्चों को लाइम-वाटर (Lime-Water) देते हैं, परन्तु अधिक लाइम-वाटर देने से बच्चे का शरीर लाइम को नहीं रचा सकता। उसकी जीवनी-शक्ति (Vital Force) में कोई निर्बलता होती है जिसे दूर किये बिना बच्चे का विकास लाइम-वाटर देने पर भी रुका रहता है। 
  • इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि अगर किसी बच्चे को लाइम-वाटर देकर पाला गया है, तो सिर्फ इतनी ही बात Calcarea देने के लिये पर्याप्त कारण नहीं है। Calcarea तभी दिया जाना चाहिये जब इसके लक्षण विद्यमान हों, वे लक्षण लाइम-वाटर दिये जाने या बिना दिये जाने दोनों हालात में हो सकते हैं।

Calcarea का बच्चा टाँगें पतली और टेढ़ी होने के कारण शरीर से स्थूल (Obese) होता जाता है, मोटा हो जाता है, और चलने-फिरने में उसे तकलीफ होती है। ऐसे थुलथुले बच्चे को जहां बैठा दिया जाय वहीं मिट्टी के माधो (Inert/Sluggish) की तरह बैठा रहता है, अन्य बच्चों की तरह दौड़-धूप नहीं करता, चपलता (Agility) नहीं दिखलाता। उसके दाँत देर से निकलते हैं, किसी-किसी के निकलते ही नहीं। बड़ा होने पर यह हर समय अपने को थका-थका अनुभव करता है, जरा से परिश्रम (Exertion) से हाँफने लगता है। इस प्रकार के स्थूल (Obese), थुलथुल, कमजोर, अस्थियों (Bones) के टेढ़े-मेढ़े व्यक्ति के लिये, चाहे वह बच्चा हो, चाहे बचपन से इन लक्षणों को लेकर युवा हो गया हो, Calcarea ठीक कर देता है और उसकी शरीर की रचना को बदल देता है। 

  • आजकल लड़के-लड़कियां पतला होने (वजन कम करने) का बड़ा प्रयत्न करती हैं, इसमें वे सुन्दरता देखती हैं, मोटापे में रोग भी घर करने लगते हैं, उन रोगों से भी वे बचना चाहती हैं, परन्तु अगर उनके शरीर की रचना Calcarea की है, तो शक्तिकृत (Potentized) Calcarea देने से उनकी मनोकामना पूरी हो सकती है। 
  • अगर Calcarea शरीर की माता (जिस स्त्री को Calcareaके लक्षण हैं) को गर्भावस्था (Pregnancy) में यह औषधि दी जाय, तो बच्चा सुघड़ (Well-formed) पैदा होगा।

2. बड़ा सिर; बड़ा पेट परन्तु पतली गर्दन और पतली टाँगें (Large Head, Large Abdomen with Thin Limbs)

  • ऊपर जो कुछ कहा गया है उससे स्पष्ट है कि जिस व्यक्ति के विकास में अस्थियों (Bones) का और मांस-पेशियों (Muscles) का सम-विकास (Uniform Development) नहीं होगा उसकी क्या शक्ल होगी। 
  • Calcarea के बालक या युवा का मूर्त-चित्रण (Visual Profile) होगा—बड़ा सिर, बड़ा पेट और पतली गर्दन। इतने बड़े सिर, बड़े पेट, पतली गर्दन और पतली टाँग से अगर बालक या युवा चलने-फिरने में दिक्कत महसूस करे तो क्या आश्चर्य?

3. ठंडा शरीर परन्तु सिर पर बेहद पसीना आना; ठंडे पाँव (Cold Body, Profuse Head Sweat, Cold Feet)

  • इस रोगी की विशेषता यह है कि उसे अत्यन्त सर्दी (Cold) लगती है, शरीर ठंडा रहता है, परन्तु सोते समय पसीने (Sweat) से उसका तकिया तर-ब-तर (Soaked) हो जाता है। 
  • सोते में पसीना आना तो इसका विशेष-लक्षण (Particular Symptom) है ही, साथ ही Calcarea का विलक्षण लक्षण (Peculiar Symptom) यह है कि ठंडे कमरे में भी उसे पसीना आता है, ठंड में तो पसीना नहीं आना चाहिये परन्तु ठंड में भी उसे पसीना आता है—यह अद्भुत बात है। 
  • पाँव (Feet) उसके इतने ठंडे होते हैं मानो बर्फ के मौजे (Icy Socks) पहने हों। 

डॉ० एलिस बारकर अपनी पुस्तक 'मिरेकल्स ऑफ हीलिंग' (Miracles of Healing) में लिखते हैं कि 'पैर इतने ठंडे मानो ठंडे मौजे पहने हुए हों'—इस लक्षण पर डॉ० स्किनर ने एक रोगी को जिसमें यह लक्षण बड़ा प्रबल था Calcarea Carb दिया, तो उसके पेट के कीड़े निकल गये। इसका यह अर्थ नहीं कि Calcarea कीड़ों को निकालने की दवा है। इसका इतना ही अर्थ है कि अगर लक्षण किसी औषधि के हों, तो उससे वही बीमारी नहीं ठीक होगी जिसके लिये औषधि दी गई है, शरीर की जीवनी-शक्ति (Vital Force) में सुधार होगा और जिन रोगों का हमें पता भी नहीं, जीवनी-शक्ति (Vital Force) के स्वस्थ होने के कारण वे भी ठीक हो जायेंगे।

  • Calcarea Carb के शरीर में ठंड यहाँ-वहाँ भिन्न-भिन्न अंगों में महसूस होती है। कभी सिर ठंडा, कभी पाँव ठंडे, कभी पेट में ठंडक, कभी जाँघों में, कभी खोपड़ी पर—ठंडक भी कैसी, बर्फ की-सी ठंडक। 
  • डॉ० कैन्ट (Dr. Kent) कहते हैं कि Calcarea में भिन्न-भिन्न जगहों पर ठंडक महसूस होती है और भिन्न-भिन्न अंगों में पसीना आता है। 
  • Calcarea का रोगी जब बिस्तर में आता है, तो पैर बर्फ-के-से ठंडे होते हैं, परन्तु कुछ देर बाद ही पैर जलने (Burning) लगते हैं। कई चिकित्सक इस लक्षण पर Sulphur (सल्फर) दे देते हैं, परन्तु Sulphur का रोगी स्वभाव से ऐसा ठंडा नहीं होता जैसा Calcarea का रोगी होता है। जैसे Calcarea में टुकड़ों-टुकड़ों में ठंडक महसूस होती है वैसे Sulphur में टुकड़ों-टुकड़ों में, शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों में गर्मी महसूस होती है।

डॉ० टायलर (Dr. Tyler) ने अपनी पुस्तक 'होम्योपैथिक ड्रग पिकचर्स' (Homoeopathic Drug Pictures) में इसका निम्न शब्द-चित्रण दिया है, जिसे यहाँ पुनः दोहराया जा रहा है:

अंग्रेजी विवरण (English Description)हिन्दी अर्थ (Hindi Meaning)
Fatness without fitnessस्थूलता (Obesity) किन्तु स्वास्थ्य नहीं,
Sweating without heatपसीना (Sweat) बहुत किन्तु गर्मी नहीं,
Bones without strengthअस्थियाँ बड़ीं किन्तु बल नहीं,
Tissues of plus quantity minus qualityमांस-पेशियों (Muscles) की मात्रा घनी किन्तु उनमें कुछ गुण नहीं,
More flabby bulk, with weakness and wearinessकेवल थुलथुलपना और साथ में दुर्बलता (Weakness) और महा-थकान (Great Weariness)

4. शरीर तथा स्रावों (Secretions/Discharges) से खट्टी बू (Sour Odor) आना

  • Calcarea के व्यक्ति के शरीर से खट्टी बू (Sour Odor) आती है। उसका पसीना (Sweat) खट्टा, उल्टी (Vomitus) तथा दस्त (Stool) में खट्टी बू आती है। 
  • कई बार किसी मोटे थुलथुले व्यक्ति को देखकर जो चारों तरफ पसीने से खट्टी गंध बहा रहा हो, यह समझ सकना कठिन नहीं होता कि उसका शरीर Calcarea चाहता है।

5. शारीरिक की तरह मानसिक दुर्बलता (Mental Weakness)

  • जिस प्रकार रोगी का शरीर दुर्बल होता है, उसी प्रकार उसका मन भी दुर्बल होता है। वह देर तक मानसिक श्रम (Mental Exertion) नहीं कर सकता। शारीरिक-श्रम से जैसे वह झट-से थक जाता है, पसीने से तर-ब-तर (Soaked) हो जाता है, वैसे ही मानसिक-श्रम से भी झट थक जाता है और उसे पसीना आने लगता है। 
  • मानसिक-उद्वेगों (Emotions) से शीघ्र उद्वेलित (Excited) हो उठता है। दीर्घ चिन्ता (Long Anxiety), व्यापारिक कार्यों में अत्यन्त व्यस्त रहने तथा मानसिक उत्तेजना (Mental Excitement) से जो रोग हो जाते हैं उनमें यह औषधि लाभप्रद है, परन्तु Calcarea का चरित्रगत-लक्षण (Characteristic Symptom) ध्यान में रखना चाहिये।

🧠 मानसिक-लक्षणों (Mental Symptoms) के संबंध में उसके निम्न-लक्षणों पर ध्यान देना चाहिये:

i. रोगी समझता है कि उसका मानसिक ह्रास (Mental Deterioration) हो रहा है: 

  • रोगी को विश्वास हो जाता है कि उसका मानसिक ह्रास (Mental Deterioration) हो रहा है, सोचता है, कि वह पागलपन (Insanity) की तरफ बढ़ रहा है, समझता है कि लोग भी ऐसा ही ख्याल कर रहे हैं। 
  • उसे विचार आता है कि लोग उसकी तरफ इसी सन्देह से देख रहे हैं, वह भी उनकी तरफ इसी सन्देह से देखता है और सोचता है कि वे कह क्यों नहीं देते कि उन्हें उसमें पागल होने के लक्षण दीखने लगे हैं। यह विचार हर समय उसके मन में रहता है और दिन-रात इसी विचार में डूबे रहने के कारण वह सो भी नहीं सकता।

ii. छोटे-छोटे विचार उसे नहीं छोड़ते: 

  • Calcarea के रोगी के मन को छोटे-छोटे विचार जकड़े (Gripped) रहते हैं। उसका मन छोटी-छोटी बातों से इतना जकड़ जाता है कि उनसे किसी प्रकार छुटकारा नहीं पा सकता। 
  • उसके मित्र कहते हैं: 'क्या छोटी-सी बात है, छोड़ो भी इसे'—परन्तु वह छोड़े कैसे, उसके लिये तो वह बड़ी बात बन गई है! वह बड़ा भारी दार्शनिक (Philosopher) हो सकता है, परन्तु उसका सब दर्शन ताक में धरा रह जाता है, उसका मानसिक-स्तर (Mental Level) ही बिगड़ चुका होता है। 
  • वह बुद्धि के स्थान में मनोभावों (Emotions) से काम ले रहा होता है। बहुत कोशिश करके अगर वह अपने मन को उन छोटे-छोटे विचारों से जुदा करके सोने की तैयारी करने लगता है, आँखें बन्द करता है, तो भी आँखें बन्द नहीं हो पातीं, वह एकदम उत्तेजित अवस्था (Excited State) में आ जाता है और ये विचार उसे इतना परेशान कर देते हैं कि वह सो नहीं सकता।

iii. ऐसा अनुभव करता है कि उठकर दौड़ता और चिल्लाता फिरे: 

  • जिन लोगों का मस्तिष्क उत्तेजना (Excitement) की अति तक पहुँच चुका होता है, जो गृहस्थी में मृत्यु आदि किसी दुखद घटना से अत्यंत पीड़ित होते हैं—माता का बच्चा, पति की पत्नी, युवती कन्या का प्रेमी उनके हाथ से काल द्वारा छीन लिया गया होता है—उनका हृदय टुकडे-टुकडे (Broken) हुआ होता है, मन उत्तेजना (Excitement) की सीमा पर पहुंचा होता है। इस प्रकार की उत्तेजना (Excitement) व्यापारिक-चिंताओं से भी हो जाती है। रोगी घर में आगे-पीछे चलता-फिरता है, उसे शान्ति नहीं मिलती। मन में आता है कि खिड़की में से कूद कर प्राण दे दे। 
  • यह एक प्रकार हिस्टीरिया (Hysteria) की अवस्था है जिसे Calcarea ठीक कर देता है।

iv. सब काम-काज छोड़ बैठना: 

  • Calcarea का रोगी अपनी मानसिक अवस्था के कारण, जिसका दुर्बलता (Weakness) प्रधान अंग है, अपना सब काम-धंधा छोड़ कर घर बैठ जाता है। कितना ही चमकता व्यापार क्यों न हो, उसे अपने काम में रुचि नहीं रहती, घर पर बैठना और कुछ न करना—यही उसे सूझ पड़ता है। वह अपने काम-धंधे का मुँह तक नहीं देखना चाहता।

V. जीवन के प्रति उदासीन हो जाता है: 

  • जीवन के प्रति उदासीनता (Indifference) भी Calcarea का एक मानसिक-लक्षण (Mental Symptom) है। 
  • 8-9 वर्ष की छोटी बच्ची दुखी रहती है शोकाकुल है, इस नहीं, उस दुनिया की बात करने लगती है, अगर बायबल (Bible) पढ़ती है, कुरान (Quran) या रामायण-महाभारत (Ramayana-Mahabharata) पढ़ती है, तो दिन भर उसी में रत रहती है। छोटे बच्चों के लिये यह चित्त की विचित्र अवस्था है, परन्तु Calcarea इसे दूर कर देता है। 
  • चित्त की इस उदासी, शोकातुरता को Arsenic (आर्सेनिक) तथा Lachesis (लैकेसिस) भी दूर करते हैं।
  • बच्चे ही नहीं, वृद्ध लोग भी जीवन के प्रति उदास, निराश, हतोत्साह (Disheartened) हो जाते हैं, जीवन से घृणा करने लगते हैं, जीवन से तंग आ जाते हैं। Aurum (ऑरम) में भी यह लक्षण है। Calcarea में भी यह लक्षण पाया जाता है। 
  • मनुष्य में 'बुद्धि' (Intelligence) तथा 'उद्वेग' (Will or Emotion) —ये दो मानसिक-तत्व हैं। जब 'उद्वेग' (Will or Emotion) में रोग आ जाता है, तब व्यक्ति अपने प्रति, अपने परिवार के प्रति, जीवन के प्रति उदास हो जाता है, इनसे घृणा करने लगता है, मृत्यु पसन्द करता है। यह Aurum का लक्षण है जिसमें 'उद्वेग' (Will or Emotion) में विकार आ जाता है। जब उसकी 'बुद्धि' (Intelligence) तथा 'उद्वेग' (Will or Emotion)—इन दोनों में उदासीनता आ जाती है, तब यह लक्षण Calcarea का है।

6. मासिक-धर्म जल्दी, अधिक और देर तक होता है (Menses Early, Profuse, and Lasting Too Long)

  • इस औषधि के मासिक-धर्म (Menstruation) के विषय में तीन बातों को ध्यान में रखना चाहिये। 
  1.  यह समय से बहुत पहले (Too Early) होता है, 
  2.  बहुत अधिक खून (Profuse Bleeding) जाता है, 
  3.  बहुत देर तक (Lasting Too Long) जारी रहता है। 
  • प्रायः मासिक-धर्म हर तीसरे सप्ताह शुरू हो जाता है, रुधिर की मात्रा बहुत अधिक होती है, और समाप्त होते हुए भी लगभग एक सप्ताह ले लेता है। परन्तु मासिक-धर्म (Menstruation) में इन लक्षणों के साथ Calcarea के अन्य लक्षणों का होना भी जरूरी है।
  • रोगी की जिस शारीरिक-रचना का हमने वर्णन किया है, उसे ध्यान में रखना उचित है। 
  • हनीमैन (Hahnemann) ने लिखा है कि अगर मासिक ठीक समय पर या कुछ देर में होता हो, फिर चाहे कितना ही ज्यादा क्यों न हो Calcarea नहीं देना चाहिये।

 

7. शीत-प्रधान शरीर तथा आराम पसन्द (Chilly and Averse to Exertion)

  • Calcarea का रोगी शीत-प्रधान (Chilly) होता है। ठंडी हवा उसे माफ़िक नहीं आती। 
  • आंधी-तूफ़ान, सर्दी का मौसम उसके रोग को बढ़ा देता है। 
  • वह शरीर को गर्म रखना चाहता है, कपड़े लपेट कर रहता है, दरवाजे-खिड़कियाँ बन्द रखता है। उसके शरीर को छुआ जाय, तो वह ठंडा लगता है, उसके पैर ठंडे रहते हैं। 
  • ठंडापन (Coldness) और कमजोरी (Weakness) उसका चरित्रगत-लक्षण (Characteristic Symptom) है। शीत-प्रधान (Chilly) होने के साथ वह आराम-पसन्द (Loves Rest) भी होता है।
  •  शारीरिक-मेहनत नहीं कर सकता। देखने को वह मोटा-ताजा दीखता है, मांस चढ़ा हुआ, थुलथुल (Flabby), लाल फूला हुआ चेहरा, परन्तु जरा-सा मेहनत से, सीढ़ियों पर चढ़ने से हाँफ जाता है। अगर थोड़ा-सा भी परिश्रम (Exertion) करना पड़े, तो सिर-दर्द (Headache), बुखार (Fever) हो जाता है।ज्यादा चलना, मेहनत करना, बोझ उठाना उसके लिये रोग का आमन्त्रण देना है। 
  • शरीर से अत्यन्त स्थूल (Obese) होता हुआ भी परिश्रम (Exertion) के लिये अत्यन्त निर्बल (Weak), शरीर की मांस-पेशियाँ (Muscles) कसी हुई न होकर लटकती हुई-सी!

8. बच्चों के दांत निकलते समय के रोग (Ailments During Dentition)

  • कैलकेरिया (Calcarea) का मूर्त-चित्रण (Visual Profile) करते हुए बच्चे की शिकायतों को नहीं भुलाया जा सकता। 
  • दाँत निकलते समय बच्चा भारी कष्ट (Distress) में से गुजरता है। दाँत निकलते समय मुख्य तौर पर उसे तीन शिकायतें हो जाती हैं:

वह दूध हज़म नहीं कर सकता, जो पीता है उसकी जमे हुए दही (Curdled Milk) की तरह उल्टी (Vomitus) कर देता है, उसमें से खट्टी बू आती है।

दूसरी शिकायत यह है कि उसे दस्त (Diarrhea) आने लगते हैं, वे भी फटे हुए दूध (Sour Stool) की तरह होते हैं और उनमें भी खट्टी बू आती है।

दाँत निकलते समय तीसरी शिकायत खांसी (Cough) की होती है जिसका संबंध भी दाँतों की खुरखुराहट से होता है।

  • इन तीनों शिकायतों में अगर बच्चे को सोते समय सिर पर पसीना (Head Sweat) आता हो, तकिया पसीने से तर (Wet) हो जाता हो, तो Calcarea से सब रोग ठीक हो जायेंगे। इनके अलावा Calcarea के बच्चे की खोपड़ी की हड्डी की सीवन (Suture) खुली रहती है, खोपड़ी पिलपिली (Soft) महसूस होती है, वह चल-फिर नहीं सकता। 
  • हनीमैन (Hahnemann) का कथन है कि अगर बच्चे का Calcarea का शरीर है, तो उसे जब तक रोग दूर न हो यह औषधि बिना हानि के बार-बार दी जा सकती है, परन्तु वयस्क लोगों में इस औषधि की एक मात्रा के बाद दूसरी मात्रा किसी उचित औषधि के बीच में दिये बिना बहुत सोच-समझ कर दी जानी चाहिये क्योंकि इससे लाभ के स्थान में हानि हो सकती है।

9. रोगी की कण्ठमाला की प्रकृति (Scrofulous or Glandular Diathesis)

  • Calcarea के रोगी की गर्दन के चारों ओर गिल्टियाँ (Glands) फूली होती हैं। शरीर के अन्य स्थानों में भी गिल्टियाँ (Glands) फूल जाती हैं। 
  • गिल्टियों (Glands) पर आक्रमण करना इस औषधि का चरित्रगत-लक्षण (Characteristic Symptom) है।
  •  पेट की गिल्टियाँ (Glands) सख्त हो जाती है। इन ग्रंथियों (Glands) का होना टी०बी० (Tuberculosis) का लक्षण है। 
  • कभी-कभी इन गिल्टियों (Glands) का आकार मुर्गी के अंडे जितना मोटा हो जाता है। किसी भी अंग में गिल्टियों (Glands) का होना Calcarea के अन्य सामान्य लक्षणों के होने पर इसी औषधि के प्रयोग को सूचित करता है।

10. इस औषधि के अन्य लक्षण

i. कैंसर (Cancer): 

  • डॉ० कैन्ट (Dr. Kent) का कहना है कि अगर रोगी की शारीरिक-रचना (Constitution) Calcarea की है, तो कैंसर (Cancer) में अगर रोगी सवा साल जी सकता होगा, तो Calcarea देने से वह पाँच साल तक चलता रहेगा। ऐसे रोग में इससे अधिक कुछ आशा नहीं की जा सकती।

ii. गहरे घाव (Deep Wounds): 

  • अगर शरीर में कहीं गहरा घाव हो, गर्दन में हो, जाँघ में हो, पेट में हो, और Calcarea की शारीरिक-रचना (Constitution) हो, तो वह घाव पीब (Pus) पड़ जाने पर भी Calcarea से सूख जायगा और ठीक हो जायगा। शर्त यही है कि 'शारीरिक-रचना' (Constitution) Calcarea की होनी चाहिये। 
  • कभी-कभी हथौड़े आदि की चोट लगने से हड्डियों के परिवेष्टन (Periosteum) में सूजन आ जाती है, पीब (Pus) भी पड़ जाती है, परन्तु Calcarea की शारीरिक-रचना (Constitution) होने पर सर्जन (Surgeon) के नश्तर (Scalpel) के बगैर इस औषधि से घाव ठीक हो जाता है, पीब (Pus) सूख जाती है।

iii. मांसार्म्बुद (Polypus): 

  • नाक, कान, मल-द्वार (Rectum), जीभ की जड़, भग (Vulva), मूत्राशय (Bladder) आदि में मांस के पिंड—ट्यूमर (Tumors)—को यह दूर कर देता है, परन्तु शारीरिक-रचना (Constitution) को ध्यान में रखना आवश्यक है।

iv. अंडा खाने की रुचि और दूध से अरुचि (Craving for Eggs and Aversion to Milk): 

  • अंडा (Egg) खाने की प्रबल-इच्छा (Strong Desire) होती है, दूध माफ़िक नहीं पड़ता (Aversion)। बच्चों में दूध बिना पचे दस्त (Diarrhea) में निकल जाता है।

v. पाँव (Feet) में ठंड और जलन: 

  • पाँव ठंडे रहते हैं, ऐसे मानो गीली जुराब पहनी हुई हो। सोते समय शरीर के अन्य अंगों की अपेक्षा पैरों पर अधिक गर्म कपड़ा डालना पड़ता है। जब पैर गर्म हो जाते हैं, तब उनमें जलन (Burning) होने लगती है और रोगी उन्हें बिस्तर से बाहर निकालने लगता है।

vi. खांसी (Cough): 

  • खांसी में गले में पंख होने की सी अनुभूति (Sensation) होती है।

vii. Calcarea तथा Pulsatilla (पल्सेटिला) की तुलना: 

  • कल्पना करो कि एक रोगी के 5-6 लक्षण, जिन्हें लक्षणों की कुंजी (Keynotes) कहा जा सकता है, Calcarea के हैं, परन्तु 5-6 ऐसे ही लक्षण उस रोग में Pulsatilla के हैं, तो उनमें से किस औषधि का चुनाव होगा? 

अगर वह रोगी ठंड पसन्द करता है, गर्मी से घबराता है, खुली हवा चाहता है, तब Calcarea के कितने ही कुंजी (Keynotes) कहे जाने वाले लक्षण क्यों न हों, उसे Calcarea से लाभ नहीं होगा 

क्योंकि Calcarea तो ठंड से घबराता है, गर्मी पसन्द करता है। 

ऐसी अवस्था में अनेक 'विशेष-लक्षणों' (Particulars) के समान होने पर भी 'व्यापक-लक्षण' (Generals) के आधार पर ही औषधि का निर्वाचन (Selection) होगा। 

क्योंकि 'व्यापक-लक्षण' (General Symptoms) में रोगी खुली हवा पसन्द कर रहा है, ठंड चाह रहा है, इसलिये इस रोगी को जिसके अनेक 'विशेष-लक्षण' (Particular Symptoms) Calcarea के हैं, Pulsatilla देने से ही लाभ होगा। 

  • 'व्यापक-लक्षण' (General Symptoms) की तुलना में 'विशेष-लक्षण' (Particular Symptoms) का कोई महत्व नहीं है।

viii. Belladonna (बेलाडोना) का क्रौनिक (Chronic) Calcarea है: 

  • जब Belladonna से लाभ हो पर वह स्थिर न होता हो, तब Calcarea दिया जाता है।

ix. Sulphur (सल्फर), Calcarea, Lyco (लाइको) की त्रिक-शृंखला (Triad Series): 

  • डॉ० कैन्ट (Dr. Kent) अपने मैटीरिया मैडिका (Materia Medica) में लिखते हैं कि कई दवाइयां त्रिकों (Triads) में चक्कर काटती हैं। इनमें सब से प्रसिद्ध त्रिक-शृंखला (Triad Series) Sulphur, Calcarea तथा Lyco (Lycopodium) की है। 
  • डॉ० नैश (Dr. Nash) कहते हैं कि मानव-समाज में अधिकांश लोग इस त्रिक (Triad) में आ जाते हैं। कई Sulphur  प्रकृति के, कई Calcarea प्रकृति के, और कई Lycopodium प्रकृति के होते हैं। 
  • आयुर्वेद (Ayurveda) की दृष्टि से मानव-समाज को पित्त (Pitta), कफ़ (Kapha) तथा वात (Vata)—इन तीन प्रकृतियों में बाँटा गया है। 
  • Sulphur को पित्त-प्रकृति (Pitta Constitution) कहा जा सकता है; 
  • Calcarea को कफ़ प्रकृति (Kapha Constitution) कहा जा सकता है; 
  • Lycopodium को वात-प्रकृति (Vata Constitution) कहा जा सकता है। 
  • प्रायः देखा जाता है कि Sulphur देने के बाद रोगी Calcarea के लक्षण प्रकट करने लगता है, Calcarea के बाद Lycopodium के लक्षण प्रकट करने लगता है। 
  • अगर रोगी के लक्षण इस प्रकार प्रकट हों, तब तो यह त्रिक (Triad) उसे अत्यन्त लाभप्रद होगा। 
  • होम्योपैथी में ऐसी अनेक त्रिक-शृंखलाएं (Triad Series) हैं जिनका उल्लेख हमने Kali Sulph (कैलि सल्फ़) में किया है।

11. शक्ति तथा प्रकृति (Potency and Temperament)

  • यह 'अनेक-कार्य-साधक' (Polychrest) दवा है, दीर्घकालिक (Chronic) है। 
  • 6, 12, 30, 200 शक्ति साधारण तौर पर दी जाती है। 
  • औषधि 'सर्द'-Chilly-प्रकृति (Cold Temperament) के लिये है।

FAQ - अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: Calcarea Carbonica की शारीरिक प्रकृति कैसी होती है?

A1: Calcarea Carbonica (कैलकेरिया कार्ब) की प्रकृति थुलथुल (Flabby), स्थूल (Obese), और शीत-प्रधान (Chilly Temperament) होती है, जहाँ रोगी को बहुत ठंड लगती है और वह आराम पसंद करता है।

Q2: Calcarea के रोगी में पसीने का विशिष्ट लक्षण क्या है?

A2: रोगी का शरीर ठंडा रहता है, परन्तु सोते समय उसके सिर पर बेहद पसीना (Profuse Head Sweat) आता है, जिससे तकिया तर-ब-तर (Soaked) हो जाता है।

Q3: Calcarea Carbonica को किन दो अन्य औषधियों की त्रिक-शृंखला (Series) में शामिल किया जाता है?

A3: डॉ० कैन्ट के अनुसार, Calcarea Carbonica को Sulphur (सल्फर) और Lycopodium (लाइकोपोडियम) के साथ एक प्रसिद्ध त्रिक-शृंखला (Triad Series) में शामिल किया जाता है।

Q4: क्या Calcarea Carbonica का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह के किया जा सकता है?

A4: नहीं। Calcarea Carbonica जैसी दीर्घकालिक (Chronic) और अनेक-कार्य-साधक (Polychrest) होम्योपैथी औषधि का प्रयोग बिना योग्य एवं पंजीकृत होम्योपैथी चिकित्सक की सलाह के नहीं करना चाहिए।

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