Bryonia Alba – ब्रायोनिया एल्बा

संशोधित: 26 December 2025 ThinkHomeo

Bryonia Alba के व्यापक लक्षणों को जानें, जिसमें धीमी गति से आने वाला ज्वर, हिलने-डुलने से सभी तकलीफों में वृद्धि, दर्द वाली तरफ लेटने से आराम, और श्लैष्मिक झिल्ली (Mucous Membrane) की शुष्की शामिल है।

Bryonia Alba – ब्रायोनिया एल्बा

ब्रायोनिया (Bryonia) एक 'गर्म' (Hot) प्रकृति की औषधि है, जो अपने धीमी गति (slow pace) से आने वाले रोग-लक्षणों और अत्यधिक शुष्की (extreme dryness) के लिए विख्यात है।

मुख्य लक्षण तथा रोग (GENERALS AND PARTICULARS):

  1. जुकाम, खांसी, ज्वर आदि रोगों में ब्रायोनिया की गति धीमी होती है, एकोनाइट (Aconite) तथा बेलाडोना (Belladonna) की जोरों से और एकाएक (suddenly) होती है।
  2. हरकत (Motion) से रोगी की वृद्धि और विश्राम (Rest) से रोग में कमी
  3. जिस तरफ दर्द हो उस तरफ लेटे रहने से आराम (जैसे, प्लुरिसी में)।
  4. श्लैष्मिक-झिल्ली (Mucous Membrane) का खुश्क (Dry) होना और इसलिये देर-देर में, बार-बार अधिक मात्रा में पानी पीना
  5. रजोधर्म (Menstruation) बन्द होने पर नाक या मुँह से खून गिरना या ऐसा होने से सिर-दर्द होना।
  6. सूर्योदय के साथ सिर-दर्द शुरू होना, सूर्यास्त के साथ बन्द हो जाना।
  7. क्रोध (Anger) आदि मानसिक-लक्षणों से रोग।
  8. गठिये (Gout/Rheumatism) में गर्मी और हरकत से आराम (यह एक विरोधाभासी लक्षण है)।

प्रकृति (MODALITIES)

लक्षणों में कमी (Better):

  • दर्द वाली जगह को दबाने (Pressure) से रोग में कमी होना।
  • आराम (Rest) से रोग में कमी।
  • जिस तरफ दर्द हो उस तरफ लेटने से आराम।
  • गठिये में सूजन पर गर्म सेक (Warm application) से आराम।

लक्षणों में वृद्धि (Worse):

  • हरकत (Motion) से रोग बढ़ जाना।
  • गर्मी से सर्दी में जाने से रोग बढ़ना।
  • खाने के बाद रोग में वृद्धि।
  • झुंझलाहट, क्रोध से वृद्धि।
  • स्राव के दब जाने से रोग।

(1) जुकाम, खांसी, ज्वर आदि रोगों में ब्रायोनिया की गति धीमी, एकोनाइट तथा बेलाडोना की तेज, जोरों की, और एकाएक होती है (Pace of the remedy)

  • प्रायः लोग जुकाम, खांसी, ज्वर आदि रोगों में एकोनाइट (Aconite) या बेलाडोना (Belladonna) दे देते हैं। परन्तु चिकित्सक को समझना चाहिये कि जैसे रोग के आने और जाने की गति होती है, वैसे ही औषधि के लक्षणों में भी रोग के आने और जाने की गति होती है। 
  • ब्रायोनिया (Bryonia) के रोग शनैः शनैः (slowly) आते हैं, और कुछ दिन टिकते हैं। 
  • ब्रायोनिया का रोगी ठंड खा गया, तो उसके लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होंगे। पहले दिन कुछ छींके आयेंगी, दूसरे दिन नाक बहने लगेगा, तीसरे दिन बूखार चढ़ जायेगा। बूखार जैसे धीरे-धीरे आया वैसे ही जायेगा।
  • इसलिये टायफॉयड में एकोनाइट या बैलाडोना नहीं दिया जाता, इसके लक्षण ब्रायोनिया से मिलते हैं। 
  • एकोनाइट (Aconite) और बेलाडोना (Belladonna) के रोग तेजी से और एकाएक आते हैं, और एकाएक ही चले जाते हैं। 
  • ब्रायोनिया (Bryonia)  तथा पल्सेटिला के रोग  शनैः शनैः आनेवाले और कुछ दिन टिकने वाले रोगों हैं।
  •  थूजा (Thuja), साइलीशिया (Silicea), सल्फर (Sulphur) आदि के रोग स्थायी-प्रकृति (Chronic) के होते हैं। अतः चिर-स्थायी रोगों के इलाज के लिये इन औषधियों का प्रयोग करना चाहिये।
  • जब रोग बार-बार अच्छा हो-होकर लौटता है तब समझना चाहिये कि यह स्थायी-रोग है, तब एकोनाइट से लाभ नहीं होगा, तब सल्फर आदि देना होगा क्योंकि एकोनाइट की प्रकृति अस्थायी (Acute) है और सल्फर की प्रकृति स्थायी (Chronic) है।

टिप्पणी- 

  • औषधि का चुनाव करते समय औषधि की गति एवं प्रकृति समझ लेना जरूरी है। रोग के लक्षणों औषधि की गति तथा प्रकृति के लक्षणों में साम्य होना जरूरी है, तभी औषधि लाभ करेगी। 
  • रोग दो तरह के हो सकते हैं- स्थायी एवं अस्थायीस्थायी-रोग में स्थायी प्रकृति की औषधि ही लाभ करेगी, अस्थायी-रोग में अस्थायी प्रकृति की औषधि लाभ करेगी।

(2) हरकत से रोग की वृद्धि और विश्राम से कमी

  • दर्द होने पर हरकत से रोग बढ़ेगा इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, परन्तु हरकत से रोग बढ़ने का गूढ़ अर्थ (deeper meaning) है। अगर रोगी लेटा हुआ है, तो आँख खोलने या आवाज सुनने तक से  रोगी कष्ट अनुभव करता है। 
  • डॉ0 मुकर्जी ने अपने "मैटेरिया मैडिका" में स्वर्गीय डॉ0 नाग का उल्लेख करते हुए लिखा है कि उन्होने हैजे के रोगी को यह देखकर की आँखें खोलने से ही उसे पाखाना (Toilet) होता था, ब्रायोनिया देकर ठीक कर दिया।
  • वात-रोग (rheumatism), गठिया (gout), सूजन (swelling), गिर जाने से दर्द आदि में हरकत से रोग की वृद्धि होने पर ब्रायोनिया (Bryonia) लाभ करता है। इस  प्रकार के कष्ट में आर्निका से लाभ न होने पर ब्रायोनिया से लाभ हो जाता है। 
  • ब्रायोनिया में हरकत से रोग की वृद्धि होती है- इस लक्षण को खूब समझ लेना चाहिये। अगर किसी व्यक्ति को ठंड लग गई है, रोग धीरे-धीरे बढ़ने लगा है, एक दिन छीकें, दूसरे दिन शरीर में पीड़ा तीसरे दिन बुखार- इस प्रकार रोग धीरे-धीरे बढ़ने लगा है, और वह साथ ही यह भी अनुभव करने लगता है कि वह बिस्तर में आराम से, शान्तिपूर्वक पड़े रहना पसन्द करता है; न्यूमोनिया, प्लुरिसी का दर्द शुरू नहीं हुआ, परन्तु वह देखता है कि रोग की शुरूआत से पहले ही उसकी तबीयत आराम चाहती है, हिलने-डुलने से उसका रोग बढ़ता है; ऐसी हालत में ब्रायोनिया ही दवा है। 
  • दायें फेफडे के न्यूमोनिया में उक्त लक्षण होने पर ब्रायोनिया और बांये फेफड़े के न्यूमोनिया में उक्त-लक्षण होने पर एकोनाइट फायदा करता है। 
  • यह तो ठीक है कि ब्रायोनिया में हरकत से रोग की वृद्धि होती है, परन्तु कभी-कभी ब्रायोनिया का रोगी दर्द से इतना परेशान हो जाता है कि चैन से लेट भी नहीं सकता। वह उठकर घूमना-फिरना नहीं चाहता, परन्तु दर्द इतना प्रबल होता है कि पड़े रहने में भी उसे चैन नहीं मिलता। शुरू-शुरू में वह चैन से पड़े रहना चाहता था, परन्तु अब तकलीफ़ इतनी बढ़ गई है कि न चाहते हुए भी इधर-उधर टहलने लगता है। इस हालत में चिकित्सक रस टॉक्स देने की सोच सकता है, परन्तु इस बेचैनी से टहलने में जिसमें रोग की शुरूआत में रोगी टहल नहीं सकता था, जिसमें अब भी दिल तो उसका आराम से लेटने को चाहता है, परन्तु दर्द लेटने नहीं देता, ऐसी हालत में हिलने-डुलने पर भी ब्रायोनिया ही दवा है। 
  • रोग का उपचार करते हुए रोग की समष्टि को ध्यान में रखना चाहिये, सामने जो लक्षण आ रहे हैं उनके पीछे छिपे लक्षणों को भी आंख से ओझल नहीं होने देना चाहिये। 

हरकत से दस्त आना परन्तु रात को दस्त (diarrhea) न होना-

  • जब तक रोगी रात को लेटा रहता है दस्त (diarrhea)नहीं आता, परन्तु सवेरे बिस्तर से हिलते ही उसे बाथरूम में दौड़ना पड़ता है। पेट फूला रहता है, दर्द होता है और टट्टी जाने की एकदम हाजत होती है। बड़ा भारी दस्त आता है, एक बार ही नहीं, कई बार आ जाता है, और जब रोगी टट्टी से निबट लेता है तब शक्तिहीन होकर मृत-समान पड़ा रहता है, थकावट से शरीर पर पसीना आ जाता है। अगर लेटे-लेटे ज़रा भी हरकत करे, तो फिर बाथरूम के लिये दौड़ना पड़ता है। 
  • जो दस्त दिन में कई बार आयें और रात को जब मनुष्य हरकत नही करता बन्द हो जायें, उन्हें यह दवा ठीक कर देती है। 
  • पैट्रोलियम (Petroleum) में रोगी रात को कितनी भी हरकत क्यों न करे उसे दस्त नहीं होता, सिर्फ दिन को दस्त होता है, रात को नहीं होता; ब्रायोनिया (Bryonia) में दिन को दस्त होता है, रात को जरा-सी भी हरकत करे तो दस्त की हाजत हो जाती है, अन्यथा रात को दस्त नहीं होता। 

(3) जिस तरफ दर्द हो उस तरफ लेटे रहने से आराम (जैसे, प्लुरिसी)

  • यह लक्षण हरकत से रोग-वृद्धि के लक्षण का ही दूसरा रूप है। जिधर दर्द हो उधर का हिस्सा दबा रखने से वहाँ हरकत नहीं होती इसलिये दर्द की तरफ लेटे रहने से रोगी को आराम मिलता है। 
  • प्लुरिसी (Pleurisy) में जिधर दर्द हो उधर लेटने से आराम मिले तो ब्रायोनिया (Bryonia) लाभ करेगा।
  •  फेफड़े के आवरण (pleura) में जो शोथ (inflammation) हो जाती है, वह सांस लेते हुए जब साथ के आवरण को छूती है, तब इस छूने से दर्द होता है, परन्तु उस हिस्से को दबाये रखने से यह छूना बन्द हो जाता है, इसलिये कहते हैं कि ब्रायोनिया में जिस तरफ दर्द हो उस तरफ लेटने में आराम मिलता है।

 डॉ० बर्नेंट (Dr. Burnet) का अनुभव:

  • डॉ० बनेंट (Dr. Burnet) प्रसिद्ध होम्योपैथ हुए हैं। वे पहले एलोपैथ थे। उन्हें होम्योपैथ बनाने का श्रेय ब्रायोनिया (Bryonia) को है। 

वे लिखते हैं कि बचपन में उन्हें बायीं तरफ प्लुरिसी (Pleurisy) हो गई थी जिससे नीरोग होने पर भी उन्हें फेफड़े में दर्द बना रहा। सभी तरह के इलाज कराये-एलोपैथी के, जल-चिकित्सा के, भिन्न-भिन्न प्रकार के फलाहार के, भोजन में अदला-बदली के, परन्तु किसी से रोग ठीक न हुआ। अन्त में यह देखने के लिये कि होम्योपैथ इसके विषय में क्या कहते हैं, वे होम्योपैथी पढ़ने लगे। पढ़ते-पढ़ते ब्रायोनिया में उन्हें अपने लक्षण मिलते दिखाई दिये। उन्होंने ब्रायोनिया खरीद कर उसका अपने ऊपर प्रयोग किया और जो कष्ट सालों से उन्हें परेशान कर रहा था, जो किसी प्रकार के इलाज से ठीक नहीं हो रहा था, वह 15 दिन में ब्रायोनिया से ठीक हो गया। वे अपनी पुस्तक 'फिफ्टी रीजन्स फॉर बिइंग ए होम्योपैथ (Fifty Reasons for Being a Homoeopath)' में लिखते हैं कि यह अनेक कारणों में से एक कारण है जिसने उन्हें एलोपैथ से होम्योपैथ बना दिया।

हनीमैन (Hahnemann) और धोबिन का प्रकरण:

  • इस प्रकरण में ब्रायोनिया के संबंध में एक और दिलचस्प घटना का उल्लेख करना अप्रासंगिक न होगा। हनीमैन (Hahnemann) ने अपने उपचार के तरीके के कुछ ही उदाहरण प्रकाशित किये थे क्योंकि उन्हें यह भय था कि उनके अनुयायी उनकी औषधियों को लक्षणों की छान-बीन करने के स्थान में जैसा उन्होंने किया वैसा अनुकरण करने लगेंगे, रोग के लक्षणों के आधार पर दवा देने की जगह रोग के नाम के ऊपर दवा देने लगेंगे जो होम्योपैथी के आधारभूत सिद्धान्त के खिलाफ है। फिर भी उन्होंने अपनी चिकित्सा-पद्धति के कुछ उदाहरण दिये हैं जिनमें से एक का संबंध ब्रायोनिया से है। उनके 'लेस्सेर राइटिंग्स (Lesser Writings)' में लिखा है।

“एक धोबिन, 40 वर्ष की आयु, 1 सितम्बर 1815 को इलाज कराने आयी। पिछले तीन सप्ताह से वह अपना काम-काज करने में असमर्थ थी। जरा सी भी हरकत से, पांव उठा कर रखने से, और अगर गलती से पांव ऊंची-नीची जगह पर रखा जाय, तो उसे पेट में गोली लगने का सा दर्द होता था। जब वह आराम से लेट जाती थी, तो कहीं दर्द नहीं होता थाप्रातःकाल 3 बजे के बाद सो नहीं सकती थी। भोजन के लिये रुचि थी, परन्तु थोड़ा-सा भोजन करने के बाद तबीयत गिर जाती थी, तब मुँह में पानी आने लगता था। खाने के बाद खाली डकार आते थे। जब भी दर्द बढ़ जाता था तो शरीर पर पसीना आ जाता था। स्वभाव से क्रोधी थी। माहवारी ठीक थी, अन्य सब तरह से स्वस्थ थी।”

हनीमैन लिखते हैं कि क्योंकि ये सब लक्षण ब्रायोनिया के थे, उन्होंने उसे इस औषधि के मूल-अर्क का एक बूंद दिया और 48 घंटे बाद हालत बतलाने को कहा। उस समय उनके एक मित्र उनके पास बैठे थे, जिनका होम्योपैथी पर अधकचरा ही विश्वास था। हनीमैन ने अपने मित्र से कहा कि वह धोबिन कल तक ठीक हो जायगी। उनके मित्र ने इसमें शंका प्रकट की।

अगले दिन वे मित्र यह देखने के लिये हनीमैन के यहां पहुंचे कि देखें धोबिन का क्या हाल है, परन्तु धोबिन नहीं लौटी। क्योंकि वे मित्र होम्योपैथिक औषधि का प्रभाव जानने के लिये बहुत उत्सुक थे, हनीमैन ने उन्हें अपना रजिस्टर देख कर उसका पता बतलाया और कहा कि उसके गांव जाकर देखो, उसका क्या हाल है। 

वे सज्जन धोबिन की खोज में उसके गांव पहुंचे तो क्या देखते हैं कि वह दबादब कपड़े धोने में जुटी है। जब उससे पूछा कि वह लौट कर क्यों नहीं आयी तो उसने कहा कि हम लोगों के पास इतनी फुर्सत कहां है कि 'रोगी ठीक हो गया' इनकी सूचना देने भी जायें। पहले ही कई दिन बेकारी में गुजरे थे, काम किये बगैर गुजर नहीं। डाक्टर की दवा लेने के अगले दिन ही मेरा दर्द जाता रहा, डाक्टर को मेरा धन्यवाद दे देना।

खुश्क न्यूमोनिया (Dry Pneumonia) के दर्द में ब्रायोनिया, बेलाडोना तथा कैलि कार्ब की तुलना:

  • इस प्रकार के दर्द में ब्रायोनिया (Bryonia) तथा बेलाडोना (Belladonna) में अन्तर है। दोनों शोथ (Inflammation) की दवाएं हैं, परन्तु बेलाडोना जरा-से दबाव को भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। बेलाडोना के शोथ में टपकन (Throbbing) होती है और फोड़े के शोथ में कस कर पट्टी बांधने से उसे कष्ट होता है। ऐसे शोध में पट्टी बाँधने के स्थान में बेलाडोना की मात्रा मुख में देने से लाभ होता है। 

न्यूमोनिया (Pneumonia) और प्लुरिसी (Pleurisy) में स्थिति के अनुसार भेद:

लक्षणब्रायोनिया (Bryonia)बेलाडोना (Belladonna)कैलि कार्ब (Kali Carb)
दर्द वाले फेफड़े की तरफ लेटनादर्द वाली तरफ लेटे तो आराम (Pain better by lying on affected side).दर्द वाली तरफ न लेट सके, बिना दर्द वाले फेफड़े की तरफ लेटे (Worse by lying on affected side).बिना दर्द वाली तरफ लेटने से आराम।
दर्द का कारणसांस अन्दर लेने की हरकत से दर्द होता है (Aggravation from inspiration/motion).-सांस लेने की हरकत के बिना दर्द होता है (Pain without movement of breathing).
अन्य विशेषतासूई चुभते हुए से दर्द में समान लक्षण।जरा-से दबाव को भी बर्दाश्त नहीं कर सकतासूई चुभते हुए से दर्द में समान लक्षण।

नोट: ब्रायोनिया (Bryonia) एवं कैलि कार्ब (Kali Carb) में न्यूमोनिया दायें फेफड़े (Right lung) में होने की प्रवृत्ति होती है।

(4) श्लैष्मिक झिल्ली का खुश्क होना और इसलिये देर-देर में, बार-बार अधिक मात्रा में पानी पीना

  • खुश्की (Dryness) के कारण रोगी के होंठ सूख जाते हैं, खुश्की के कारण वे चिटक जाते हैं (crack), खून (blood) तक निकलने लगता है। ब्रायोनिया में इसी खुश्की के कारण उसे प्यास बहुत लगती है (great thirst)। वह देर-देर में पानी पीता है परन्तु अधिक मात्रा में (large quantity at long intervals) पीता है।

निम्न होम्योपैथी औषधियों में प्यास की तुलना (Comparison of Thirst)

  • यह चार्ट होम्योपैथी में दवा के चयन के लिए एक महत्वपूर्ण लक्षण, प्यास की मात्रा और आवृत्ति के आधार पर पाँच प्रमुख औषधियों की विशेषताओं को दर्शाता है:
औषधि का नाम (Medicine)प्यास की आवृत्ति (Frequency)प्यास की मात्रा (Quantity)पानी का तापमान (Temperature Preference)रोगी की प्रकृति (Key Characteristic)
एकोनाइट (Aconite)जल्दी-जल्दी (Frequent)ज्यादा-ज्यादा (Large quantities)ठंडा पानी (Cold water)अचानक, तीव्र बुखार और बेचैनी में प्यास अधिक।
आर्सेनिक (Arsenicum Album)जल्दी-जल्दी (Frequent)थोड़ा-थोड़ा (Small sips)ठंडा या बर्फीला पानी (Cold or Icy water)बेचैनी, जलने वाला दर्द, और कमजोरी में प्यास।
ब्रायोनिया (Bryonia)देर-देर में (Infrequent)ज्यादा-ज्यादा (Large quantities)ठंडा पानी (Cold water)हिलने-डुलने से लक्षणों में वृद्धि और सूखापन (Dryness) होने पर प्यास।
नक्स मौस्केटा (Nux Moschata)प्यास नहीं रहती (Thirstless)बिल्कुल नहीं (None)-अत्यधिक सूखापन (Dryness) होने के बावजूद प्यास का अभाव।
पल्सेटिला (Pulsatilla)प्यास नहीं रहती (Thirstless)बिल्कुल नहीं (None)-लक्षण बदलते रहते हैं और खुली हवा में आराम मिलता है; प्यास की कमी

समझने के लिए मुख्य बिंदु (Key Takeaways):

  • Aconite और Arsenic दोनों में प्यास जल्दी-जल्दी लगती है, लेकिन मात्रा का अंतर इन्हें अलग करता है।
  • Bryonia की प्यास ज्यादा मात्रा में होती है लेकिन विलंबित (देर-देर में)।
  • Nux Moschata और Pulsatilla प्यास के अभाव (Thirstlessness) के लिए प्रसिद्ध हैं, जो उनकी दवा चयन की पहचान है।

श्लैष्मिक झिल्ली (Mucous Membrane) की खुश्की (Dryness) और कब्ज (Constipation):

  • श्लैष्मिक झिल्ली की खुश्की का असर आंतों (Intestines) पर भी पड़ता है। रोगी को कब्ज रहती है। सूखा, सख्त, चुना हुआ-सा मल (Dry, hard, lumpy stool) आता है। बहुत दिनों में टट्टी (Stool) जाता है। सख्त मल को तर (Moisten) करने के लिये पेट में श्लेष्मा (Mucus) का नामोनिशान तक नहीं होता। अगर पेट में से म्यूकस निकलता भी है तो टट्टी से अलग, टट्टी खुश्क ही रहती है। भयंकर कब्ज (Severe constipation) को यह ठीक कर देता है।

श्लैष्मिक झिल्ली की खुश्की और खुश्क खांसी (Dry Cough):

  • श्लैष्मिक झिल्ली की शुष्कता का असर फेफड़ों (Lungs) पर भी पड़ता है। खांसते-खांसते गला फटने-सा लगता है, परन्तु कफ (Phlegm) भीतर से नहीं निकलता
  • ठंड से गरम कमरे में जाने से खांसी बढ़े तो ब्रायोनिया (Bryonia) उपयुक्त है।
  • गरम कमरे से ठंडे कमरे में जाने से खांसी बढ़े तो फॉस्फोरस (Phosphorus) या रुमेक्स (Rumex Crispus) ठीक हैं।
  • ब्रायोनिया की शिकायतें प्रायः नाक (Nose) से शुरू होती हैं। पहले दिन छींकें (Sneezing), जुकाम (Cold), नाक से पानी बहना, आंखों से पानी (Watering eyes), आंखों में और सिर में दर्द (Headache)। इसके बाद अगले दिन शिकायत आगे बढ़ती है, तालु (Palate) में, गले (Throat) में, श्वास प्रणालिका (Respiratory tract) में तकलीफ बढ़ जाती है। अगर इस प्रक्रिया को रोक न दिया जाय, तो प्लुरिसी (Pleurisy), न्यूमोनिया (Pneumonia) तक शिकायत पहुंच जाती है
  • इन सब शिकायतों में रोगी हरकत (Motion) से दुःख मानता है, आराम से पड़े रहना चाहता है (Worse by motion, better by rest)श्वास-प्रणालिका की शिकायतों – जुकाम, खांसी, गला बैठना (Hoarseness), गायकों की आवाज का पड़ जाना, गले में टेटवे का दर्द (Pain in larynx/trachea) आदि – में इस औषधि पर विचार करना चाहिये।

 (5) रजोधर्म बन्द होने के बाद नाक या मुँह से खून गिरना या सिर-दर्द

  • यह ब्रायोनिया (Bryonia) का विश्वसनीय लक्षण (reliable symptom) है। अगर रोगिणी (female patient) नाक (nose) या मुँह (mouth) से खून निकलने (hemorrhage) की शिकायत करे, तो उसे यह पूछ लेना चाहिये कि उसका रजोधर्म (Menstruation) तो बन्द नहीं हो गया। मासिक बन्द होने से भी सिर-दर्द (headache) हो जाया करता है।

(6) सूर्योदय के साथ सिर-दर्द शुरू होना, सूर्यास्त के साथ बन्द हो जाना

  • कब्ज़ होने से भी सिर-दर्द शुरू हो जाता है। इस सिर-दर्द का लक्षण यह है कि यह सूर्योदय (Sunrise) के साथ शुरू होता है और सूर्यास्त (Sunset) के साथ बन्द हो जाता है। इसके साथ ब्रायोनिया के अन्य लक्षण भी रह सकते हैं, यथा हिलने-डुलने से सिर-दर्द का बढ़ना, आँख खुलते ही बढ़ना

सिर-दर्द (Headache) में ब्रायोनिया (Bryonia) और बेलाडोना (Belladonna) की तुलना:

सूर्योदय (Sunrise) के साथ संबंध न होने पर भी ब्रायोनिया (Bryonia) में सिर-दर्द हो सकता है। प्रत्येक अस्थायी रोग (Acute illness) में सिर-दर्द उसके साथ जुड़ा ही रहता है। इतना सिर-दर्द होता है कि सिर को दबाने से ही आराम (Pressure ameliorates) आता है। ब्रायोनिया के सिर-दर्द में रोगी को गर्मी सहन नहीं होती (Heat aggravates)हरकत (Motion) से सिर-दर्द बढ़ता है, आंख झपकने तक से सिर में पीड़ा होती है (Even winking aggravates)। इस सिर-दर्द का कारण सिर में रक्त-संचय (Cerebral congestion) है।

बेलाडोना (Belladonna) में भी सिर में रक्त संचय के कारण सिर-दर्द होता है, परन्तु दोनों में अन्तर यह है कि:

  • बेलाडोना (Belladonna) का सिर दर्द आंधी-तूफान की तरह आता है, यकायक आता है (Sudden onset, violent)
  • ब्रायोनिया (Bryonia) का सिर-दर्द धीरे-धीरे आता है, उसकी चाल मध्यम और धीमी होती है (Gradual onset, slow progression)

(7) क्रोध आदि मानसिक लक्षणों से रोग की उत्पत्ति

  • ब्रायोनिया (Bryonia) में अनेक मानसिक-लक्षण (mental symptoms) हैं। बच्चा क्रोध करता है और जो वस्तु मिल नहीं सकती उसे फौरन चाहता है और दे दी जायें तो लेने से इन्कार करता है; घर में होने पर भी कहता है-घर में जाऊंगा, उसे ऐसा लगता है कि वह घर में नहीं है। बड़ा आदमी अपने रोजगार (business) की बातें अंटसंट बका (muttering) करता है। ये लक्षण मानसिक रोग में, डिलीरियम आदि में प्रकट होते हैं।
  • क्रोध से उत्पन्न मानसिक लक्षणों में स्टैफ़िसैग्रिया (Staphisagria) भी उपयोगी है। अगर रोगी कहे :- डा0 अगर मेरा किसी से झगड़ा हो जाय, तो मै इतना उत्तेजित हो जाता हूँ कि सिर दर्द होने लगता है, नींद नहीं आती, तो ऐसे रोगी को स्टैफिसैग्रिया ठीक कर देगा।

(8) गठिये के रोग में गर्मी और हरकत से आराम

  • ब्रायोनिया (Bryonia) का रोगी ठंडी हवा पसन्द करता है, परन्तु गठिये के दर्द (gouty pain) में अपनी प्रकृति के विरुद्ध उसे गर्मी (heat) से आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त यह भी ध्यान रखना चाहिये कि यद्यपि ब्रायोनिया में रोगी आराम से लेटे रहना चाहता है, तो भी गठिये के रोग में वह चलने-फिरने से ही ठीक रहता है क्योंकि इस प्रकार उसके दुखते अंगों को गति से गर्मी मिलती है।
  • इस प्रकार हम देखते हैं कि ब्रायोनिया में परस्पर विरुद्ध प्रकृतियां काम कर रही हैं। वह प्रकृति से ऊष्णता-प्रधान है परन्तु गठिये में उसे गर्मी पसन्द है, यह होते हुए भी उसकी आधारभूत प्रकृति ऊष्णता प्रधान ही रहती है।

गठिया ठीक होने पर आंख में दर्द-

  • अगर यह देखा जाय कि जिस अंग में गठिये का दर्द था वह तो ठीक हो गया, परन्तु आंख में दर्द शुरू हो गया, आंख लाल हो गई, सूज गई, उसमें से रुधिर आने लगा, तब ब्रायोनिया से यह ठीक होगा। 

(9) ब्रायोनिया (Bryonia): अन्य महत्त्वपूर्ण लक्षण

i. नौ बजे रोग की वृद्धि: 

  • ब्रायोनिया (Bryonia) के ज्वर (Fever) के लक्षण 9 बजे शाम को बढ़ जाते हैं। 9 बजे ज्वर आएगा या सर्दी लगनी शुरू हो जायगी। कैमोमिला (Chamomilla) के लक्षण 9 बजे प्रातः बढ़ जाते हैंबेल (Belladonna) के लक्षण 3 बजे दोपहर बढ़ जाते हैं

ii. रोगी खुली हवा चाहता है: 

  • ब्रायोनिया का रोगी एपिस (Apis) और पल्स (Pulsatilla) की तरह दरवाजे-खिड़कियां खुली रखना पसन्द करता है। बन्द कमरा उसे घुटा-घुटा लगता है। बन्द कमरे में उसकी तकलीफें बढ़ जाती हैंखुली हवा उसे रुचती है

iii. खाने के बाद रोग-वद्धि: 

  • खाने के बाद रोग बढ़ जाना इसका व्यापक लक्षण (General Symptom) है। रोगी कहता है कि खाना खाने के बाद तबीयत गिर जाती है

iv. दांत के दर्द में दबाने और ठंडे पानी से लाभ: 

  • दांत के दर्द में मुँह में ठंडे पानी से लाभ होता है क्योंकि ब्रायोनिया ठंड पसन्द करने वाली दवा है। जिधर दर्द हो उधर लेटने पर दर्द वाली जगह को दबाने से आराम मिलता है। यह भी ब्रायोनिया का चरित्रगत-लक्षण (Characteristic Symptom) है। 
  • होम्योपैथी में रोग तथा औषधि की प्रकृति को जानकर उनका मिलान करने से ही ठीक औषधि का निर्वाचन हो सकता है। ठंडे पानी से और दर्द वाले दांत को दबाने से रोग बढ़ना चाहिये था, परन्तु क्योंकि ब्रायोनिया में ठंड से और दर्द वाली जगह को दबाने से आराम होना इसका 'व्यापक-लक्षण' (General symptom) है, इसलिये ऐसी शिकायत में ब्रायोनिया से लाभ होता है।

v. गर्म-शरीर में शीत से रोग में वृद्धि: 

  • शरीर गर्म हो जाने पर ठंडा पानी पीने, या उसमें स्नान से रोग बढ़ जाता है। यद्यपि ब्रायोनिया के रोगी को ठंड पसन्द है, ठंडा पानी उसे रुचता है, परन्तु अगर वह गर्मी से आ रहा है, शरीर गर्म हो रहा है, तब ठंडा पानी पीने या ठंडे स्नान से उसे गठिये का दर्द बढ़ जायगा। अगर उसे खांसी होगी या सिर-दर्द होता होगा, वह बढ़ जायगा, या हो जायगा। शरीर के गर्म रहने पर ठंडा पानी पीने से जोर का सिर-दर्द हो जायगा। 
  • ब्रायोनिया (Bryonia) की तरह रस टॉक्स (Rhus Tox) में भी शरीर गर्म हो, तो ठंडे जल से सिर-दर्द आदि तकलीफें भयंकर रूप धारण कर लेंगी। अगर शरीर की गर्मी की हालत में ठंडा पानी पी लिया जायगा, तो पेट की भी शिकायत पैदा हो सकती है जिसमें ब्रायोनिया लाभ करेगा।
  • गर्म से ठंडक में जाने से खांसी आदि किसी रोग की वृद्धि ब्रायोनिया और नैट्म कार्ब (Natrum Carbonicum) में पायी जाती है; 
  • ठंडक से गर्मी में जाने से खांसी आदि किसी रोग की वृद्धि रुमेक्स (Rumex Crispus) में पायी जाती है।

vi. दायें फलक (Right Scapula) में दर्द: 

vii. भोजन के विषय में नियम: 

  • प्रायः चिकित्सक लोग रोगियों को कहा करते हैं- तम्बाकू न खाओ, पान न चबाओ, लहसन-प्याज न खाओ।
  •  डॉ० कैन्ट (Dr. Kent) का कहना है कि क्या खाना क्या न खाना- इस विषय में एक मोटा नियम ठीक नहीं है। प्रत्येक औषधि का अपना क्षेत्र है जिसमें उसे किसी वस्तु से हानि हो सकती है। उसे ध्यान में रखते हुए ही क्या खाना, क्या न खाना- इसका आदेश देना चाहिये। 
  • उदाहरणार्थ, ब्रायोनिया के रोगी को साग-भाजी या चिकन सलाद से नुकसान होगा
  • पल्सेटिला के रोगी को घी के या सकील पदार्थ (Rich/Fatty food) खाने से हानि होगी,
  •  लाइकोपोडियम (Lycopodium) ओयस्टर (Oyster) हज्म नहीं कर सकता। 
  • होम्योपैथिक औषधियां पेट में ऐसी दशा उत्पन्न कर देती हैं जो भिन्न-भिन्न भोजनों के लिये अनुपयुक्त होती हैं। कई औषधियों का अम्ल या नींबू के रस के साथ विरोध है। अगर इन बातों को ध्यान में रखकर रोगी को सावधान न किया जायगा, तो औषधि का गुण नष्ट हो जायगा। 
  • रस टॉक्स (Rhus Tox) के रोगी को ठंडे पानी के स्नान से रोक देना चाहिये अन्यथा उसके लक्षण औषधि के बावजूद लौट आयेंगे। 
  • कैलकेरिया (Calcarea Carb) में ठंडे स्नान से औषधि का असर समाप्त हो जायगा। 
  • रोगी को बने-बनाये नियम न बतला कर औषधि की प्रकृति के अनुकूल नियम बतलाने चाहियें। सब रोगियों को क्या करना क्या न करना- इसकी एक ही सूची बना कर दे देना होम्योपैथी नहीं है

(10) ब्रायोनिया का मूर्त-चित्रण

  • रोगी को काटने, चुभने वाला दर्द होता हो, जरा-सी भी हरकत से रोग बढ़ जाता हो, दर्द वाली जगह पर दवाब पड़ने से आराम आता हो, देर-देर में, भर-भर गिलास पानी पीता हो, बड़ा चिड़चिड़ा (irritable) हो, क्रोधी स्वभाव का हो, सफेद जीभ (white tongue), उन्माद (Delirium) में घर में रहते हुए भी घर जाने की बात करता हो, धीमी गति से रोग आता हो, खुश्की (dryness) के कारण छाती से बलगम कठिनाई से निकलता हो, तो ऐसे रोग को ब्रायोनिया (Bryonia) का मूर्त तथा सजीव रूप समझो।

(11) शक्ति तथा प्रकृति

  • यह औषधि 6, 30, 200 (शक्ति - potency) में प्रयोग की जाती है। 
  • औषधि 'गर्म' (Hot)-प्रकृति के लिये है।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: ब्रायोनिया (Bryonia) किन मुख्य रोगों के लिए सबसे अधिक उपयोग की जाती है?

"ब्रायोनिया का उपयोग मुख्य रूप से तेज बुखार, न्यूमोनिया (Pneumonia), प्लुरिसी (Pleurisy), तीव्र गठिया (Acute Rheumatism), और भयंकर कब्ज (Constipation) जैसे रोगों के लिए किया जाता है।"

Q2: ब्रायोनिया का मुख्य और निर्णायक लक्षण क्या है?

"इसका मुख्य निर्णायक लक्षण है हरकत से लक्षणों में वृद्धि (Worse from slightest motion)। रोगी बिल्कुल आराम से पड़े रहना चाहता है, और थोड़ी सी भी हरकत (जैसे हिलना-डुलना, खांसना या आंख झपकाना) दर्द को बढ़ा देती है।"

Q3: ब्रायोनिया के रोगी में प्यास की क्या विशेषता होती है?

ब्रायोनिया के रोगी को प्यास बहुत देर-देर में लगती है, लेकिन जब लगती है, तो वह बड़ी मात्रा में ठंडा पानी पीता है। शरीर में अत्यधिक सूखापन (Dryness) होने के कारण यह प्यास लगती है।”

Q4: ब्रायोनिया का कब्ज कैसा होता है?

"ब्रायोनिया का कब्ज बहुत खास होता है: मल सूखा, सख्त (Hard), और कठोर होता है। ऐसा लगता है जैसे मल जला हुआ या चुना हुआ है।"

Q5: क्या ब्रायोनिया का प्रयोग गठिया (Arthritis) के दर्द में होता है?

"हाँ, तीव्र गठिया (Acute Rheumatism) के लिए यह एक प्रमुख दवा है। दर्द सूजन और लालिमा के साथ होता है, और जोड़ों को छूने या हिलाने पर दर्द असहनीय हो जाता है।"

Q6: सिर दर्द में ब्रायोनिया और बेलाडोना (Belladonna) में क्या अंतर है?

"बेलाडोना का सिर दर्द यकायक (Sudden) और तेज आता है, जबकि ब्रायोनिया का सिर दर्द धीरे-धीरे (Gradual) शुरू होता है और हर हरकत से बढ़ता है।"

Q8: ब्रायोनिया का रोगी किस तरफ लेटने से बेहतर महसूस करता है?

"ब्रायोनिया का रोगी पीड़ित अंग (Affected Side) या दर्द वाले फेफड़े की तरफ लेटने से बेहतर महसूस करता है, क्योंकि उस तरफ दबाव पड़ने से हरकत कम हो जाती है, जिससे उसे आराम मिलता है।"

इस लेख को साझा करें

संबंधित लेख

0 संबंधित लेख
bryonia bukhar homeopathy dawa
+127 और खोजें
dry cough ki dava bryonia homeopathy bryonia 30 uses bryonia 200 uses bryonia alba bryonia alba homeopathic medicine bryonia mother tincture bryonia ke fayde bryonia kya hai bryonia alba hindi me bryonia for cough bryonia homeopathy in hindi bryoniya briyonia bryoniya dawa brayonia bryonia homyopethy homyopathi bryonia bryonea khushk khansi homeopathy sookhi khansi ki dawa jukaam dheere dheere badhna ilaj dard wali khansi homeopathy bistar se uthne par khansi badhna chest pain during cough treatment thandi hawa se aram wali khansi pneumonia me bryonia kab den pleurisy me jis taraf dard ho us taraf letna khusk khasi sukhi khansi dawa chest dard khansi body pain jisme harkat se dard badhe harakat se dard badhe dawa aaram se lete rehne par aram wali dard gout me dard badhna joints ka dard movement par badhna kamar dard hilne par badhna gaout pain dawa jont pain homeopathy pachan kamjor aur constipated stool sookha khushk kabz homeopathy sookha mal nikalna muskil khane ke baad tabiyat kharab homeopathy suryoday ke sath sir dard suryast ke sath sir dard band gussa karne se sir dard badhna chidhchida swabhav medicine stress se headache homeopathy gusse wala patient homeopathy bachcha zidd kare to which medicine chhidchhidapan ilaj homeopathy bryonia 30 uses in hindi bryonia 200 potency uses bryonia 1m kab den bryonia dose for adults bryonia bachchon ko kaise de bryonia 30 use kaise kare bryonia 200 fayde bryonia 1m dose hindi ब्रायोनिया 30 के फायदे ब्रायोनिया 200 किस रोग में दी जाती है सूखी खांसी की होम्योपैथिक दवा जुकाम और खांसी में ब्रायोनिया कब दें प्लुरिसी में कौन सी होम्योपैथिक दवा दें दर्द हिलने से बढ़े तो कौन सी दवा कब्ज में खुश्क मल की दवा bryonia homeopathy bryonia alba bryonia 30 uses in hindi bryonia 200 uses bryonia 1m uses bryonia mother tincture bryonia ke fayde bryonia kya hai khushk khansi homeopathy sukhi khansi ki dawa sardi khansi jisme harkat se dard badhe chest dard during cough pleurisy jisme jis taraf dard ho us taraf letne se aram pneumonia me bryonia jukaam dheere dheere badhna constipation sookha mal homeopathy khane ke baad tabiyat kharab suryoday ke sath sir dard suryast par dard band hona gusse wala patient homeopathy chidhchida swabhav ilaj gout jisme movement se dard badhe joint pain on movement bryonia 30 dose bryonia 200 dose bryonia for cough bryonia for pleurisy bryonia hot constitution medicine ब्रायोनिया होम्योपैथी हरकत से वृद्धि प्लुरिसी न्यूमोनिया श्लैष्मिक झिल्ली की खुश्की कब्ज देर-देर में प्यास सूर्योदय सिरदर्द गर्म प्रकृति Bryonia Homeopathy Aggravation by motion Pleurisy Pneumonia Dryness of mucous membranes Thirst large quantity Sunrise Headache Hot Patient Bryonia Homeopathy Hille dulne se dard Ruk ruk ke pani peena Pet dard Khushk khansi Bryonia Alba homeopathic remedy for pain worse by motion and better by pressure Homeopathy for pleurisy dry cough and constipation due to dryness Bryonia for slow onset of fever and sunrise to sunset headache ब्रायोनिया होम्योपैथी हरकत से बढ़ने वाले दर्द के लिए