Capsicum (Red Chili) – कैपसिकम (लाल मिर्च)

संशोधित: 11 December 2025 ThinkHomeo

कैपसिकम लाल मिर्च से बनी होम्योपैथिक दवा जो गले की जलन, पुराने जुकाम में, मिर्च की तरह जलन में तथा Homesickness में उपयोगी है। जानें इसके मानसिक और शारीरिक लक्षण।

Capsicum (Red Chili) – कैपसिकम (लाल मिर्च)

Capsicum Annuum, जिसे सामान्य भाषा में 'लाल मिर्च' कहा जाता है, होम्योपैथी में एक गहरी क्रिया करने वाली (Deep acting) औषधि है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जिनका शरीर भारी और स्वभाव सुस्त होता है।

व्यापक-लक्षणों की सूची (List of Generals and Particulars)

  1. मोटा, थुलथुला शरीर (Flabby Body) और नाक-गाल आदि की नोक पर लालिमा।
  2. घर जाने की उत्कट अभिलाषा (Homesickness)।
  3. पुराने जुकाम (Chronic Coryza) में किसी भी औषधि का काम न कर सकना।
  4. मिर्च की तरह जलन (Burning like pepper)।
  5. यह Sulphur आदि की तरह धातुगत (Constitutional) दवा है।
  6. आत्मघात (Suicide) का निरन्तर विचार।
  7. ज्वर (Fever) में दोनों कन्धों के बीच ठंड शुरू होकर जिस्म में फैलती है।
  8. अन्य लक्षण (खांसी, सिरदर्द आदि)।
  9. शक्ति (Potency) और प्रकृति (Nature)।

1. मोटा, थुलथुला शरीर और नाक-गाल की लालिमा

  • डॉ. केंट (Dr. Kent) का कहना है कि जिन पदार्थों को हम स्वाद के लिए निरन्तर लिया करते हैं, कई पीढ़ियों बाद वे हमारे शरीर में ऐसे लक्षण उत्पन्न कर देते हैं कि उन लक्षणों को दूर करने के लिए इन्हीं पदार्थों की शक्तिकृत (Potentized) मात्राएं औषधि का काम करती हैं। लाल मिर्च (Red Pepper) ऐसा ही एक पदार्थ है।

शारीरिक बनावट: 

  • इसका रोगी Calcarea Carb की तरह मोटा (Fat), थुलथुला (Flabby) होता है।
  • लाल मिर्च का रंग लाल होता है, ध्यान से देखने पर इस रोगी की भी नाक की नोक (Tip of nose), गाल के उभार लाल होते हैं और चेहरे पर रुधिर की बारीक रक्त-वाहिनियां (Capillaries) फैली पड़ी दीखा करती हैं।
  • इस रोगी का शरीर सुस्ती (Sluggishness) से भरा होता है, कोई दवा काम नहीं करती, सारे जिस्म का कार्य धीमा चलता है।
  • इस प्रकार के शरीर (Constitution) में किसी भी रोग पर Capsicum दिया जा सकता है। 
  • यह जीवनी-शक्ति (Vital Force) को क्रियाशील बना देगा और सुस्त पड़ रही शारीरिक-शक्तियां जाग उठेंगी। यह डॉ. केंट का सजीव तथा मूर्त-चित्रण है।

2. घर जाने की उत्कट अभिलाषा (Homesickness)

  • बच्चों को जब घर से बाहर किसी बोर्डिंग हाउस या हॉस्टल में दाखिल कर दिया जाता है तब उनका जी नहीं लगता, वे निरन्तर रोया करते हैं।
  • वे खेलने के स्थान में एक कोने में जा बैठते हैं और मां-बाप को याद किया करते हैं।
  • इस प्रकार के बच्चों को Capsicum की एक-दो मात्रा देने के बाद वे सब कुछ भूल जाते हैं और अन्य बच्चों के साथ खेलने लगते हैं।

3. पुराने जुकाम में किसी भी औषधि का काम न कर सकना

  • Capsicum की शारीरिक-रचना में धीमापन (Sluggishness) अन्तर्निहित है।
  • ऐसे रोगी मिलते हैं जिन्हें पुराना जुकाम सताता रहता है, किसी दवा से लाभ नहीं होता। अच्छी-से-अच्छी दवा चुन कर दी जाए, परन्तु जीवनी-शक्ति प्रतिक्रिया (Reaction) करती ही नहीं।
  • चिकित्सक देखता है कि रोगी के नाक की नोक लाल है, ठंडी है। चेहरे पर पता चलता है कि वह पाठशाला में कुछ पढ़-लिख नहीं सकता। अगर शारीरिक या मानसिक श्रम (Exertion) करता है, तो पसीना छूटने लगता है। सर्दी बर्दाश्त नहीं कर सकता, सर्दी में मानो जम जाता है।

समाधान: 

  • इन लक्षणों को देखकर उसकी जीवनी-शक्ति को चेतन बनाने के लिए Capsicum देने पर या तो वह ठीक ही हो सकता है, या कुछ देर बाद Silicea या Kali Bichromicum आदि औषधियां, जो पहले काम नहीं करती थीं, अब देने पर काम करने लगती हैं और रोगी ठीक हो जाता है।

4. मिर्च की तरह जलन (Burning sensation)

  • मिर्च में 'लाली' और 'जलन'—ये दो बातें मुख्य हैं।
  • श्लैष्मिक-झिल्ली (Mucous Membrane) में जहां भी जलन का लक्षण पाया जाए, वहां इस औषधि की तरफ ध्यान जाना जरूरी है।
  • जलन ऐसी होती है जैसे मिर्च लग रही हो। इस प्रकार की जलन कहीं भी हो सकती है—जीभ, मुँह के भीतर, पेट, आंतें, मूत्रद्वार, मलद्वार (Anus), छाती, फेफड़े, त्वचा, बवासीर (Piles)। 
  • कहीं भी नंगी श्लैष्मिक-झिल्ली (Mucous Membrane) पर मिर्ची के लगने जैसी जलन हो, तो इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

5. यह Sulphur आदि की तरह धातुगत (Constitutional) दवा है

  • कई रोगी ऐसे आते हैं जिन्हें सर्दी लग जाती है, परन्तु उनका रोग 'नवीन-रोगों' (Acute diseases) पर असर करने वाली दवाओं से शान्त हो जाता है। Aconite, Bryonia, Hepar Sulph आदि औषधियां ठंड से उत्पन्न होने वाले उस रोग से निबट लेती हैं।
  • परन्तु कभी-कभी यह नवीन-रोग 'पुराना' (Chronic) हो जाता है। जुकाम Aconite आदि से ठीक होकर बार-बार लौट आता है। इसका अर्थ यह है कि जीवनी-शक्ति अपने पूर्ण-वेग से जगी नहीं है, उसकी तरफ से प्रतिक्रिया धीमी है।
  • ऐसी हालत में Sulphur, Phosphorus, Lycopodium आदि गहन क्रिया करने वाली औषधियों का प्रयोग करना पड़ता है। 
  • ठंड से होने वाले रोगों का हठधर्मी (Obstinate) होकर बैठ जाना, रोगी को न छोड़ना, गठिया आदि पुराने रोगों को जड़-मूल से नष्ट करने के लिए 'धातुगत-औषधि' (Constitutional remedy) की आवश्यकता होती है। इसी श्रेणी में Capsicum की गणना है।

6. आत्मघात का निरन्तर विचार (Persistent thoughts of Suicide)

  • आत्मघात संबंधी लक्षणों पर विचार करते हुए चिकित्सक को दो बातों में भेद करना सीखना होगा
  • एक तो है: आत्मघात-सम्बन्धी विचार, दूसरा है आत्मघात-संबंधी-आवेग। 'विचार' (Thought) पर मनुष्य नियन्त्रण करता रहता है; 'आवेग' (Impulse) पर काबू पाना कठिन होता है।

आत्मघात-सम्बन्धी विचार- 

  • व्यक्ति आत्मघात की बात सोचा करता है परन्तु आत्मघात करना नहीं चाहता। वे विचार इस पर हावी होने का प्रयत्न करते हैं परन्तु वह उन विचारों से लड़ा करता है, उन्हें परे फेंकने का प्रयत्न किया करता है।

आत्मघात-सम्बन्धी आवेग (Suicidal Impulse): 

  • इस पर काबू पाना कठिन होता है।

अंतर: 

  • Capsicum में आत्मघात का 'विचार' (Thought) आता है, जबकि Aurum Metallicum में आत्मघात का 'आवेग' (Impulse) आता है।

7. ज्वर में दोनों कन्धों के बीच ठंड शुरू होकर जिस्म में फैलती है

  • Capsicum के ज्वर (Fever) का विशिष्ट-लक्षण यह है कि इसमें दोनों कन्धों के बीच (Between Shoulders) में ठंड लगनी शुरू होती है, और वहां से जिस्म में फैल जाती है।
  • ज्वर में जाड़ा चढ़ने से पहले प्यास (Thirst) लगती है परन्तु पानी पीते ही शरीर में कंपकंपी (Shivering) फैल जाती है।

8. इस औषधि के अन्य लक्षण

(i) खांसी पर दूरवर्ती स्थानों में दर्द: इसका एक अद्भुत-लक्षण यह है कि खांसने पर टांगों में, घुटने में, मूत्राशय में या अन्य किसी दूरवर्ती अंग (Distant parts) में दर्द का अनुभव होता है।

(ii) मुँह में छाले: मुँह में ऐसे छाले पड़ जाना जो भीतर जलन पैदा करते हों।

(iii) कानों के पीछे की शोथ (Mastoiditis): कान के पीछे की हड्डी (Mastoid process) का प्रदाह (Inflammation) भी इसमें है। यह कान के पीछे की सूजन और दर्द के लिए बहुत प्रसिद्ध दवा है।

(iv) सिर-दर्द: मानो खोपड़ी फूट पड़ेगी। ज़रा-सी हरकत से भयंकर सिर-दर्द होता है। इसलिए रोगी चलता-फिरता नहीं, खांसी को भी रोकता है क्योंकि खांसने से भी सिर-दर्द बढ़ता है। वह सिर को पकड़ कर बैठे रहता है ताकि वह हिल न पाए।

9. शक्ति तथा प्रकृति (Potency and Nature)

  • शक्ति: 6, 30, 200।
  • प्रकृति: औषधि 'सर्द' (Chilly) प्रकृति के लिए है। (इसे ठंड बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होती)।

प्रकृति (Modalities) - लक्षण कम या ज्यादा होना

लक्षणों में वृद्धि (Worse):

  • ठंडी, खुली हवा से रोग बढ़ना।
  • शरीर का कपड़ा न होने (Uncovering) से वृद्धि।
  • खाने और पीने से रोग बढ़ना।
  • आधी रात के बाद रोग में वृद्धि।

लक्षणों में कमी (Better):

  • गर्मी (Heat) से रोग में कमी।
  • दिन के समय रोग में कमी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: क्या Capsicum केवल मोटे लोगों के लिए ही है? 

उत्तर: हालाँकि यह मोटे और सुस्त (Sluggish) लोगों पर बहुत अच्छा काम करती है, लेकिन यदि किसी पतले व्यक्ति में भी 'घर की याद' (Homesickness) या 'मिर्च जैसी जलन' के लक्षण हों, तो उसे भी यह दवा दी जा सकती है।

प्रश्न 2: "घर की याद" (Homesickness) के लिए इसे कैसे लें? 

उत्तर: यदि कोई बच्चा या वयस्क घर से दूर होने के कारण उदास रहता है, सो नहीं पाता और उसका मन काम में नहीं लगता, तो Capsicum 30 या 200 की 2-3 खुराकें उसकी मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद करती हैं।

प्रश्न 3: क्या यह दवा कान के दर्द (Earache) में काम आती है? 

उत्तर: जी हां, विशेषकर यदि कान के पीछे (Mastoid region) सूजन और दर्द हो, और कान को छूने से दर्द बढ़ता हो, तो यह एक बेहतरीन दवा है।

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