होम्योपैथी में रोगी की प्रकृति: शीत प्रधान (Chilly) अथवा उष्ण प्रधान (Hot)

संशोधित: 23 December 2025 ThinkHomeo

होम्योपैथी में रोगी की प्रकृति (शीत प्रधान या उष्ण प्रधान) क्यों महत्वपूर्ण है? जानें यह कैसे सही दवा चुनने में मदद करती है और उपचार को कैसे प्रभावित करती है।

होम्योपैथी में रोगी की प्रकृति: शीत प्रधान (Chilly) अथवा उष्ण प्रधान (Hot)

होम्योपैथी, जो व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर केंद्रित है, किसी भी बीमारी का इलाज करते समय रोगी की प्रकृति को अत्यंत महत्व देती है। यह प्रकृति इस बात पर आधारित है कि रोगी स्वाभाविक रूप से ठंड (शीत) या गर्मी (उष्णता) के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देता है। इस गहरे अवलोकन के बिना, होम्योपैथिक दवा का सही चुनाव असंभव हो सकता है।

रोगी की प्रकृति को समझना: शीत प्रधान या उष्ण प्रधान

  • रोगी की प्रकृति से तात्पर्य है कि व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक प्रणाली बाहरी तापमान, मौसम और वातावरण के प्रति किस प्रकार की संवेदनशीलता दर्शाती है। यह व्यक्ति की आंतरिक प्रतिक्रिया को समझने की कुंजी है।

1. शीत प्रधान (Chilly) रोगी:

शीत प्रधान रोगी वह होता है जिसे सामान्यतः ठंड बहुत अधिक सताती है और वह गर्म वातावरण में आराम महसूस करता है।

लक्षण एवं विशेषताएँ:

  • ठंड के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता: थोड़ी सी भी ठंड, ठंडी हवा या ठंडा पेय आसानी से उन्हें बीमार कर सकता है।
  • गर्म कपड़ों और गर्माहट की चाह: वे हमेशा गर्म कपड़े पहनना पसंद करते हैं, गर्म कमरे में रहना चाहते हैं और आग या हीटर के पास रहना उन्हें सुखद लगता है।
  • गर्म भोजन और पेय: गर्म पानी, गर्म चाय, कॉफी और गर्म भोजन उनकी प्राथमिकता होती है।
  • ठंड से लक्षणों में वृद्धि: उनके कई रोग लक्षण (जैसे सिरदर्द, शरीर में दर्द, पेट की समस्याएँ, जुकाम) ठंड लगने, ठंडी हवा या नमी वाले मौसम में बढ़ जाते हैं।
  • उदाहरण: पल्सेटिला (Pulsatilla), नक्स वोमिका (Nux Vomica), आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album), हेपार सल्फ (Hepar Sulph) जैसी दवाएँ अक्सर शीत प्रधान रोगियों के लिए उपयुक्त होती हैं।

2. उष्ण प्रधान (Hot) रोगी:

उष्ण प्रधान रोगी वह होता है जिसे सामान्यतः गर्मी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होती और वह ठंडा या खुली हवा में रहना पसंद करता है।

लक्षण एवं विशेषताएँ:

  • गर्मी के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता: गर्मी, गर्म कमरा, या गर्म कपड़े उन्हें बेचैन कर देते हैं।
  • हल्के कपड़े और खुली हवा की चाह: वे हल्के कपड़े पहनना पसंद करते हैं, अक्सर उन्हें उतारने की इच्छा होती है, और खुली हवा या ठंडी जगह में आराम महसूस करते हैं। वे कमरे में आते ही खिड़की-दरवाजे खोल देना चाहते हैं।
  • ठंडे भोजन और पेय: ठंडा पानी, जूस, ठंडे खाद्य पदार्थ और आइसक्रीम उन्हें पसंद होते हैं।
  • गर्मी से लक्षणों में वृद्धि: उनके कई रोग लक्षण (जैसे सिरदर्द, त्वचा की समस्याएँ, बेचैनी) गर्मी या गर्म वातावरण में बढ़ जाते हैं।
  • उदाहरण: बेलाडोना (Belladonna), सल्फर (Sulphur), एपिस मेलिफिका (Apis Mellifica), लैकेसिस (Lachesis) जैसी दवाएँ अक्सर उष्ण प्रधान रोगियों के लिए उपयुक्त होती हैं।

होम्योपैथिक उपचार में प्रकृति का मूल सिद्धान्त और महत्व:

होम्योपैथी का मूल सिद्धान्त 'समः समं शमयति' (Like Cures Like) है। इसका अर्थ है कि जिस औषधि में किसी स्वस्थ व्यक्ति में कुछ रोग जैसे लक्षण उत्पन्न करने की शक्ति होती है, वही औषधि उन लक्षणों वाले रोगी को ठीक कर सकती है। यह सिद्धान्त रोगी की प्रकृति पर भी लागू होता है:

  • शीत-प्रधान रोगी के लिए शीत-प्रधान औषधि: यदि कोई रोगी स्वभाव से शीत-प्रधान है और उसकी शिकायतें ठंड से बढ़ती हैं, तो उसे ऐसी होम्योपैथिक औषधि दी जाएगी जिसकी अपनी प्रकृति भी शीत-प्रधान हो और जिसके लक्षण भी ठंड से बढ़ते हों।
  • उष्ण-प्रधान रोगी के लिए उष्ण-प्रधान औषधि: इसी प्रकार, यदि कोई रोगी स्वभाव से उष्ण-प्रधान है और उसकी शिकायतें गर्मी से बढ़ती हैं, तो उसे ऐसी होम्योपैथिक औषधि दी जाएगी जिसकी प्रकृति उष्ण-प्रधान हो और जिसके लक्षण भी गर्मी से बढ़ते हों।

आयुर्वेद और अन्य पद्धतियों से भिन्नता:

यह होम्योपैथी का एक अनूठा पहलू है जो इसे अन्य उपचार पद्धतियों से अलग करता है।

  • आयुर्वेद, एलोपैथी और यूनानी में अक्सर 'विपरीत' का इलाज किया जाता है – जैसे ठंडे मिजाज़ के रोगी को गर्म दवा दी जाती है, और गर्म मिजाज़ के रोगी को ठंडी दवा।
  • होम्योपैथी में ठीक इसका उल्टा किया जाता है, क्योंकि यहाँ 'समः समं शमयति' का सिद्धान्त कार्य करता है।

निदान और औषधि निर्वाचन में बारीकियां:

  • जैसे आयुर्वेद में रोगी की वात-पित्त-कफ प्रकृति को जानना आवश्यक है, वैसे ही होम्योपैथी में रोगी की शीत-प्रधान या उष्ण-प्रधान प्रकृति को जानना औषधि के निर्वाचन का मूल सिद्धान्त है।
  • होम्योपैथ चिकित्सक रोगी से बड़ी बारीकियों से पूछते हैं कि उन्हें ठंड पसंद है या गर्मी, वे कमरे में आते ही खिड़की-दरवाजे खोलना चाहते हैं या उन्हें बंद करना चाहते हैं।
  • कई औषधियों के विवरण में उनकी 'प्रकृति (Modality)' के नीचे यह स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि रोगी की शिकायतें ठंड से बढ़ती हैं या गर्मी से।
  • यदि दो औषधियों के सभी लक्षण मिलते हों, परन्तु एक शीत-प्रधान हो और दूसरी उष्ण-प्रधान, तो चिकित्सक रोगी की प्रकृति के अनुसार ही सही औषधि का चयन करेगा।

सर्दी के प्रकार:

सर्दी को भी दो भागों में बांटा जा सकता है:

  • 'खुश्क-सर्दी' (Dry cold)
  • 'नमीदार-सर्दी' (Wet cold)

कई रोगियों पर नमी (जैसे वर्षा ऋतु) का प्रभाव विशेष होता है। इन बारीकियों को भी औषधि चयन में ध्यान में रखा जाता है।

✅ Quick Prescribing Tips

✅ यदि रोगी कहे —

"ठंड से बिल्कुल नहीं चलता"
→ उसे Chilly Constitution मानें

✅ यदि रोगी कहे —

"गर्मी में घुटन होती है"
→ वह Hot Constitution है

✅ बच्चों/शिशुओं में
ताप-प्रकृति सबसे विश्वसनीय Constitutional Marker

केन्ट रेपरटरी (Kent Repertory) के प्रमुख थर्मल रूब्रिक्स

  • ये रूब्रिक्स रोगी के शरीर की समग्र प्रकृति (Generalities) को दर्शाते हैं।
GENERALITIESसामान्य लक्षणविवरण (संक्षेप में)उदाहरण औषधियाँ
Heat, aggravationगर्मी से वृद्धिरोगी को गर्मी बर्दाश्त नहीं होती, और गर्मी या गर्म कमरा लक्षणों को बढ़ाता है।सल्फर (Sulph.), एपिस (Apis), लैकेसिस (Lach.), पल्सेटिला (Puls.)
Cold, aggravationठंड से वृद्धिरोगी को ठंड बर्दाश्त नहीं होती, और ठंड या ठंडी हवा लक्षणों को बढ़ाती है।नक्स वोमिका (Nux-v.), आर्सेनिक (Ars.), हिपर सल्फ (Hep-s.), सिलिका (Sil.)
Cold, amel.ठंड से कमीरोगी को ठंड से आराम मिलता है, और गर्म वातावरण में बेचैनी होती है।लैकेसिस (Lach.), एपिस (Apis)
Heat, amel.गर्मी से कमीरोगी को गर्मी से आराम मिलता है, और ठंड बर्दाश्त नहीं होती।नक्स वोमिका (Nux-v.), आर्सेनिक (Ars.), रस टॉक्स (Rhus-t.)
Air, open, agg.खुली हवा से वृद्धिखुली हवा रोगी के लक्षणों को बढ़ाती है।नक्स वोमिका (Nux-v.), साइलीशिया (Sil.)
Air, open, amel.खुली हवा से कमीरोगी खुली हवा में बेहतर महसूस करता है।पल्सेटिला (Puls.), सल्फर (Sulph.)
Warm, agg. (Warm air, room, bed)गरमाहट से वृद्धि (गर्म हवा/कमरा/बिस्तर)गर्मी और गर्म स्थान लक्षणों को बढ़ाते हैं।पल्सेटिला (Puls.), इग्नेशिया (Ign.)
Warm, amel. (Warm air, room, bed)गरमाहट से कमी (गर्म हवा/कमरा/बिस्तर)गर्मी और गर्म स्थान से आराम मिलता है।नक्स वोमिका (Nux-v.), रस टॉक्स (Rhus-t.)

🔥❄️ Chilly vs Hot Constitutional Remedies – Differentiation Chart

Clinical FeatureChilly Patient (ठंड-प्रधान)Hot Patient (गर्मी-प्रधान)
ताप की सहनशीलताठंड बर्दाश्त नहींगर्मी बर्दाश्त नहीं
पसंदगर्म कपड़े, कंबल, आग/हीटरखुली हवा, ठंडा वातावरण, पंखा
कमरागर्म कमरा चाहिएगर्म कमरा असहनीय
त्वचा अनुभवहमेशा ठंड महसूसशरीर में गर्मी/जलन
स्नानगर्म पानी से आरामठंडा पानी पसंद
भूख-प्यासगर्म पेय अधिकठंडा पानी अधिक
मौसम प्रभावसर्दी में रोग बढ़तेगर्मी में रोग बढ़ते
संपर्कहवा/ठंडी हवा से बढ़तधूप/आग/ऊन से बढ़त
हाथ-पैरठंडेगर्म या जलनयुक्त
Comfort Positionढँककर रहना सुरक्षितकपड़े उतारकर ठंडक ढूँढना
मानसिक अवस्थाडर,  चिंता,  कमजोरी का भावचिड़चिड़ापन, बेचैनी, घुटन

🎯 Quick Clinical Prescribing Clues

ObservationSuggestion
बच्चे कंबल में लिपटे रहेंChilly Remedies सोचें
रोगी पंखा Full में चलाएHot Remedies सोचें
Burnings → but better heatArsenicum-like cases
Burning soles → wants feet outSulphur / Medorrhinum
Cold Feet + Hot headSilicea / Calcarea Carb
Wants cold drinks even in winterPhosphorus family

निष्कर्ष

  • होम्योपैथी में रोगी की शीत प्रधान या उष्ण प्रधान प्रकृति को समझना केवल एक छोटा सा विवरण नहीं, बल्कि उपचार की आधारशिला है। 
  • यह होम्योपैथी के व्यक्तिगतकरण (Individualization) के सिद्धान्त का एक अभिन्न अंग है, जो यह सुनिश्चित करता है कि रोगी को उसकी संपूर्ण शारीरिक-मानसिक संवेदनशीलता के अनुरूप सबसे उपयुक्त दवा मिले। 
  • इस गहरे विश्लेषण के माध्यम से ही होम्योपैथी रोग को जड़ से ठीक करने और रोगी के समग्र स्वास्थ्य को बहाल करने में सक्षम होती है।
  •  इसलिए, अपनी प्रकृति के बारे में चिकित्सक को विस्तार से बताना आपके सफल होम्योपैथिक उपचार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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