Antimonium Crudum – ऐन्टीमोनियम क्रूडम
ऐन्टिमोनियम क्रूडूम (Antimonium Crudum) के व्यापक लक्षणों को जानें, जिसमें अपरिचित व्यक्ति को देखकर बच्चे का रोना, पेट की खराबी से होने वाला दुख, ग्रीष्म ऋतु का अतिसार (Diarrhea) और पैर के तलवों में गट्टों (Corns) का दर्द शामिल है।
ऐन्टिमोनियम क्रूडूम (Antimonium Crudum) एक 'सर्द' (Chilly-प्रकृति) की औषधि है, जिसका मुख्य प्रभाव पाचन तंत्र (Digestive system), त्वचा और मन पर होता है।
मुख्य लक्षण तथा रोग (GENERALS AND PARTICULARS):
- बच्चा अपरिचित व्यक्ति द्वारा छूने या अपनी तरफ ताकने से ही रोने लगता है; युवा का चिड़चिड़ा स्वभाव।
- चांदनी में रोमान्तिक विचार (Romantic ideas in moonlight)।
- जवान पर दूध की तरह का मैला सफेद लेप (Milk-like white coating on tongue)।
- ग्रीष्म ऋतु का अतिसार (Diarrhea)।
- वृद्धावस्था की कब्जियत तथा पतले दस्तों का पर्याय-क्रम (Alternation) से आना-जाना।
- बवासीर के मस्सों से आँव (Mucus) आते रहना।
- गठिये का शांत होकर अन्य रोग में बदल जाना (Gouty Metastasis)।
- तलुओं में गट्टे (Corns) पड़ने से चलने में दर्द।
- त्वचा का फुन्सियाँ (Pimples)।
प्रकृति (MODALITIES)
लक्षणों में कमी (Better):
- खुली हवा में रोग में कमी।
- गर्म जल में स्नान से रोग में कमी।
- आराम से रोग में कमी।
लक्षणों में वृद्धि (Worse):
- अत्यधिक ठंड से रोग बढ़ना।
- अत्यधिक गर्मी से रोग बढ़ना।
- सूर्य या आग की गर्मी से।
- शीतल जल में स्नान से।
- खाने के बाद रोग बढ़ना।
- खटाई या खट्टी शराब से।
- सिर पर पानी डालने से।
(1) बच्चा अपरिचित व्यक्ति द्वारा छूने या अपनी तरफ ताकने से ही रोने लगता है; युवा का चिड़चिड़ा स्वभाव
- ये मानसिक लक्षण (Mental Symptoms) बच्चे तथा युवा दोनों में पाये जाते हैं।
- बच्चा तो इतना चिड़चिड़ा (Irritable) हो जाता है कि अगर कोई अपरिचित व्यक्ति (Stranger) उसकी तरफ देख भी ले तो वह नाराजगी जाहिर करता है, छूने से तो रो ही देता है।
- युवा-व्यक्ति का भी स्वभाव उदास, दुःखी रहने का होता है। छोटी-छोटी बात पर दिल को चोट लगती है। युवा व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़ा (Irritable) हो जाता है। वह इतना दुःखी रहने लगता है कि जीवन से ही उपराम (disgusted with life) हो जाता है। आत्म-हत्त्या (Suicide) करना चाहता है।
- डॉ० कैन्ट (Dr. Kent) कहते हैं कि इस औषधि में मन की बड़ी खिन्न-दशा (melancholic state) उत्पन्न हो जाती है, भयंकर दशा। जीवन के प्रति इच्छा ही नहीं रहती। ऐसे व्यक्ति की जीवनी-शक्ति (Vital Force) के केन्द्र में कुछ ऐसी विघटनकारिता (disintegrating tendency) उत्पन्न हो जाती है जिसे हटाना कठिन होता है।
- डॉ० हेरिंग (Dr. Hering) का कहना है कि इसका विलक्षण-लक्षण (Peculiar symptom) यह है कि रोगी अपने को शूट करके मारना (shoot himself) चाहता है। यह विचार उस पर इतना हावी हो जाता है कि इससे छुटकारा पाने के लिये उसे बिस्तर छोड़ देना पड़ता है।
- डॉ० एलन (Dr. Allen) कहते हैं कि रोगी की डूब कर मरने की इच्छा होती है।
चिड़चिड़े स्वभाव की मुख्य मुख्य औषधियां (Comparison of Irritable Remedies):
- ऐन्टिम टार्ट (Antim Tart): ऐन्टिम क्रूड में तो शिकायत का केन्द्र पेट होता है, बदहजमी (indigestion) होती है, ऐन्टिम टार्ट में शिकायत का केन्द्र फेफड़े (lungs) होते हैं, छाती में बलगम की घड़घड़ाहट (rattling mucus) होती है।
- कैमोमिला (Chamomilla): ऐन्टिम क्रूड में बच्चा उसकी तरफ ताकने से या उसे छूने से परेशान हो जाता है, परन्तु कैमोमिला में ऐसा नहीं होता, बच्चे को गोद में लेकर जल्दी-जल्दी घुमाने से उसे शांति मिलती है, वह रोना-चिल्लाना बन्द कर देता है।
- सिना (Cina): ऐनिटम क्रूड में बच्चे की जबान सफेद, दूध की-सी मैली होती है, सिना में जबान बिल्कुल साफ होती है, परन्तु उसके पेट में कीड़े (worms) होते हैं, वह नाक को बार-बार खुजलाता है और चिड़चिड़ा होता है।
- आयोडियम (Iodium): इसमें बच्चा हर समय भूखा रहता है, हर समय कुछ खाने को मांगता है, और खाने-पीने पर भी कमजोर होता जाता है, हर समय चिल्लाया करता है।
- सैनिक्यूला (Sanicula): चिड़चिड़ाहट जाहिर करता हुआ भी अगर पुचकारा जाय, प्यार से उससे बात की जाय, तो बच्चा झट बोलने हंसने लगता है। सोते समय सिर और गर्दन पर पसीना आता है और जाड़े में भी रजाई परे फेंक देता है।
- साइलीशिया (Silicea): इसका सिर और पेट बड़ा होता है, शरीर सारा कमजोर होता है और सिर पर पसीना आता है, सर्दी को बहुत मानता है। इन लक्षणों के साथ चिड़चिड़ाहट जाहिर करता है।
(2) चांदनी में रोमान्तिक विचार
- ऐन्टिम क्रूड के रोगियों में चांद की रोशनी (moonlight) में भावोद्रेक (sentimental arousal) हो उठता है। हताश प्रेमियों के चित्त की प्रायः ऐसी मानसिक अवस्था (mental state) हो जाती है। खिड़की से चांद की मीठी-मीठी रोशनी आ रही हो तो उसे देखकर चित्त उद्वेलित (agitated) हो जाता है, कविता करने को जी करता है। ऐसा रोगी भावाभिभूत (sentimental) होता है।
- प्रेम का प्रतिफल (reciprocation) न मिलने में निराशा से जो लक्षण उत्पन्न होते हैं वे नैट्रम म्यूर (Natrum Mur) और ऐसिड फॉस (Acid Phos) में भी हैं। कभी-कभी चित्त की यह अवस्था उन्माद (mania) का रूप भी धारण कर लेती है और रोगी के चित्त-पटल पर चांद की रोशनी का उत्तेजक प्रभाव (stimulating effect) पड़ता है।
(3) जवान पर दूध की तरह का मैला सफेद लेप
- इस औषधि के विषय में डॉ० कैन्ट (Dr. Kent) लिखते हैं कि किसी प्रकार के रोग से भी रोगी क्यों न क्लेश पा रहा हो, उस क्लेश में पेट का हिस्सा अवश्य होता है। जब भी यह रोगी पेट को खराब कर लेता है, तो उसकी समूची सत्ता (entire being) क्लेशमय हो जाती है। जिन रोगियों के कष्टों का उद्गम (origin) पेट के खराब होने से होता है उन्हें इस औषधि की आवश्यकता होती है।
- इसकी परख है-जवान पर दूध की तरह का मैला तथा मोटा सफेद लेप। इस औषधि का विशेष गुण यह है कि श्लैष्मिक झिल्ली (Mucous membrane) से सफेद रस बह निकलता है जो विशेष तौर से जिह्वा (tongue) पर आकर जमा हो जाता है। जिस किसी रोग में भी इस दवा की आवश्यकता होगी उसमें जीभ पर सफेद लेप (white coating) अवश्य होगा।
- बच्चों की टीके की खराबी (vaccination troubles) में, पेट की खराबी के कारण होने वाले बुखार में, अपचन (indigestion) के कारण बार-बार उल्टी आने में जीभ का सफेद होना इस औषधि का विशिष्ट लक्षण (Characteristic symptom) है।
- जीभ की सफेदी अनेक औषधियों में है, परन्तु इस औषधि जितनी सफेदी किसी दूसरी में नहीं है। अतिभोजन (overeating) के बाद उल्टी (vomiting) या जी मिचलाना (nausea), जो खाया है उसका वैसा ही डकार (belching) आना, और फिर जीभ का सफेद लेप-यह सब इस औषधि से जल्दी ठीक हो जाता है।
(4) ग्रीष्म ऋतु का अतिसार (Diarrhea)
- ग्रीष्म ऋतु (Summer season) में पेट की खराबी से ऐसे दस्त (diarrhea) आने लगते हैं कि पहले ठीक शौच आता है और साथ थोड़ा-सा पनीला दस्त (watery stool) आ जाता है, फिर थोड़ी ही देर के बाद दुबारा जाना पड़ता है, तब कुछ और ठोस शौच और साथ पनीला दस्त आता है। अन्त में पेट खाली हो जाता है, और मरोड़ (griping) आने लगता है। यह अतिसार डिसेन्ट्री (Dysentery) का रूप धारण कर लेता है। यह कुछ ठोस और कुछ द्रव रूप में आने वाली टट्टी (stool) पेट की खराबी के कारण आती है। इस लक्षण के साथ जीभ की सफेदी की तरफ भी ध्यान दे देना उचित है।
(5) वृद्धावस्था की कब्जियत तथा पतले दस्तों का पर्याय-क्रम (Alternation)
- वृद्धावस्था (Old age) में प्रायः पेट की खराबी से पतले दस्त और बाद में कब्ज (Constipation), फिर दस्त, फिर कब्ज, इस प्रकार पर्याय-क्रम (alternating) से एक-दूसरे के बाद कब्ज़ और दस्त आते हैं। यह भी पेट की खराबी से होता है, और इसमें यह औषधि गुणकारक (beneficial) है।
(6) बवासीर के मस्सों से आँव (Mucus) आते रहना (Mucous piles)
- आँव वाली बवासीर (Mucous piles) की यह अत्युत्तम औषधि (excellent medicine) है। गुदा (Anus) से निरन्तर आँव (continuous mucus) के निकलते रहने से अन्दर का कपड़ा खराब हो जाता है जिससे रोगी परेशान रहता है।
(7) गठिये का शान्त होकर अन्य रोग में बदल जाना (Gouty metastasis)
- कभी-कभी ऐसा देखा गया है कि गठिया (Gout/Rheumatism) एकदम एक रात में ही शान्त हो जाता है, परन्तु उसके स्थान में रोगी निरन्तर उल्टी (continuous vomiting) करने लगता है। हाथ-पाँव का गठिये का दर्द बदलकर उसके स्थान में पेट के रोग (stomach ailments) के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इसके बाद जब गठिये वाले पहले लक्षण फिर प्रकट होते हैं तब अपना पहला स्थान बदल देते हैं। ऐसे लक्षणों में यह औषधि लाभप्रद है।
(8) पैर के तलुओं में गट्टे (Corns) पड़ने से चलने में पीड़ा होना
- पैर के तलुवों (Soles of feet) में गट्टे (Corns) पड़ जाते हैं, रोगी के तलुवे असहिष्णु (intolerant) हो जाते हैं। तलुवों की इस असिष्णुता (intolerance) के 'विशिष्ट लक्षण' (Characteristic symptom) के आधार पर कई गठियाग्रस्त (Gouty) रोगी ठीक होते देखे गये हैं।
(पैर के तलुओं के गट्टों में दर्द की मुख्य मुख्य औषधियां):
- बैराइटा कार्ब (Baryta Carb): पैरों में पसीना आने के कारण पैर के तलवों की असहिष्णुता।
- पल्सेटिला (Pulsatilla): तलुवे असहिष्णु ही नहीं पर दर्द भी करते हैं।
- लाइकोपोडियम (Lycopodium): पैर के तलुवे सूज जाते हैं और दर्द करते हैं।
- लीडम (Ledum): चलते समय एड़ी (heel) और पैर की अंगुलियां (toes) दर्द करती हैं।
- मैडोराइनम (Medorrhinum): रोगी पैरों से चल ही नहीं सकता, घुटनों के बल चलता है।
(9) त्वचा पर फुन्सियां (Pimples)
- डॉ० क्लोटर मुल्लर (Dr. Kloter Muller) का कहना है कि त्वचा की फुन्सियों (skin pimples) के लिये जो चुभती सी हैं, खुजली करती हैं और जिन्हें रगड़ने घिसने से त्वचा में कुछ मीठा-मीठा दर्द-सा होने लगता है उसके लिये ऐन्टिम क्रूड अद्भुत औषधि (wonderful medicine) है।
### इस औषधि के अन्य लक्षण
ⅰ. यह एक विचित्र (Peculiar) लक्षण है कि हूपिंग कफ (Whooping Cough) में बच्चा अगर आग की तरफ देखे तो खांसी बढ़ जाती है, हालांकि आग के सेक से खांसी को आराम आना चाहिये।
ii. अनेक लक्षण सूर्य के ताप (sun's heat) से प्रकट होने लगते हैं, गर्म अंगीठी के सेक (warm fireplace heat) से रोग लक्षण बढ़ जाते हैं। ब्रायोनिया (Bryonia), ग्लोनायन (Glonoinum), जेल्सीमियम (Gelsemium) तथा नैट्रम कार्ब (Natrum Carb) में भी ऐसा ही होता है।
iii. ठंडे पानी से स्नान से भी इसके लक्षण बढ़ जाते हैं। डॉ० नैश लिखते हैं कि अगर रोगी कहे कि जब वह खूब नहाया और खूब तैरा, तब से उसके रोग का श्रीगणेश (beginning) हुआ, ऐसी हालत में ऐन्टिम क्रूड की तरफ ध्यान जाना उचित है।
iv. ठंडी हवा से गर्म कमरे में आने से खांसी बढ़ जाती है। ब्रायोनिया में भी ऐसा ही है।
v. नकुरे (corners) और मुंह के किनारे (corners of mouth) चिटके रहते हैं।
vi. नाखून चिटके, खुरखुरे, बदसूरत दीखते हैं, आसानी से टूट जाते हैं।
vii. जवानी में मुटापा (Obesity in youth) आ जाने पर यह दवा लाभ करती है।
viii. प्रेम का बदला न पाने से मानसिक कष्ट अथवा रोग में यह लाभप्रद है।
ix. एक लेखक ने ऐन्टिम क्रूड का वर्णन इन शब्दों में किया है: "Greedy, fat, sentimental, with sore corners to mouth and crippled feet."
शक्ति तथा प्रकृति
- 3, 6, 12, 30, 200 (शक्ति - potency)।
- औषधि 'सर्द' (Chilly-प्रकृति) के लिये है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. ऐन्टिम क्रूड का सबसे विशिष्ट पाचन लक्षण क्या है?
ऐन्टिम क्रूड का सबसे विशिष्ट लक्षण (Characteristic symptom) यह है कि रोगी की जीभ (tongue) पर दूध की तरह का मैला तथा मोटा सफेद लेप होता है, जो पेट की खराबी और अपचन को दर्शाता है।
Q2. ऐन्टिम क्रूड के रोगी का चिड़चिड़ापन कैसा होता है?
ऐन्टिम क्रूड का बच्चा इतना चिड़चिड़ा (Irritable) होता है कि अगर कोई अपरिचित व्यक्ति (Stranger) उसे छूए या उसकी तरफ देखे तो वह रोने लगता है। युवा व्यक्ति भी जीवन से उपराम और खिन्न महसूस करता है।
Q3. ऐन्टिम क्रूड में दर्द (Pain) और लक्षण किस तरह बदलते हैं?
इस औषधि में गठिया (Gout) का दर्द शांत होकर उल्टी या पेट के रोग जैसे अन्य रोग में बदल जाता है (Metastasis)। इसके अलावा, पैर के तलुवों में गट्टे (Corns) पड़ने से चलने में दर्द होना इसका एक खास लक्षण है।
यह सामग्री सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।