Carbo Vegetabilis – कार्बो वेजिटेबिलिस (कोयला)

संशोधित: 27 December 2025 ThinkHomeo

Carbo Veg पेट की गैस (Gas), अपच और अत्यधिक कमजोरी की अचूक दवा है। इसे होम्योपैथी में 'मृत-संजीवनी' कहा जाता है। जानें इसके लक्षण, China और Lycopodium से तुलना।

Carbo Vegetabilis – कार्बो वेजिटेबिलिस (कोयला)

Carbo Vegetabilis, जिसे सामान्य भाषा में 'वानस्पतिक कोयला' (Vegetable Charcoal) कहा जाता है, होम्योपैथी में गैस, अपच और शरीर की टूटती हुई जीवन-शक्ति को संभालने वाली एक महत्वपूर्ण औषधि है।

व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग (Generals and Particulars)

  1. पेट के ऊपरी भाग में वायु का प्रकोप (Flatulence in upper abdomen) - Carbo Veg, China, Lycopodium की तुलना। पुराना अजीर्ण रोग (Chronic Indigestion), खट्टी तथा खाली डकारें आना।
  2. किसी कठिन रोग के पश्चात् (After severe illness) उपयोगी।
  3. सिर्फ़ गर्म हालत से जुकाम; अथवा गर्म से एकदम ठंडक में आने से होने वाले रोग (जैसे- जुकाम, सिर-दर्द आदि)।
  4. हवा की लगातार इच्छा (Air hunger) - न्यूमोनिया, दमा, हैज़ा आदि में।
  5. जलन, ठंडक तथा पसीना - भीतर जलन (Internal burning), बाहर ठंडक (External coldness) (जैसे- हैज़ा आदि में)।
  6. शरीर तथा मन की शिथिलता (Sluggishness) - रुधिर का रिसते रहना (Oozing of blood), विषैला फोड़ा, सड़ने वाला ज़ख्म (Gangrene), वैरीकोज़ वेन्ज (Varicose veins), थकान आदि।
  7. यह 'मृत-संजीवनी' (Corpse Reviver) दवा कही जाती है।

 

प्रकृति (Modalities)

लक्षणों में कमी (Better):

  • ठंडी हवा (Cold air) से।
  • पंखे की हवा (Fanning) से।
  • डकार (Eructation) आने से कमी।
  • पांव ऊंचे करके लेटने से।

लक्षणों में वृद्धि (Worse):

  • गर्मी (Heat) से रोगी को परेशानी।
  • रुधिरादि स्राव (Loss of vital fluids) जाने से रोग का बढ़ जाना।
  • वृद्धावस्था की कमजोरी (Senile weakness)।
  • गरिष्ठ भोजन (Rich food) से पेट में वायु का बढ़ जाना।

 

1. पेट के ऊपरी भाग में वायु का प्रकोप (Flatulence in Upper Abdomen)

  • यह औषधि वानस्पतिक कोयला (Vegetable Charcoal) है। 
  • डॉ. हनीमैन का कथन है कि पहले कोयले को औषधि-शक्तिहीन (Inert) माना जाता था, परन्तु कुछ काल के बाद श्री लोविट्स (Lowitz) को पता चला कि इसमें कुछ रासायनिक तत्व (Chemical properties) हैं जिनसे यह बदबू को समाप्त कर देता है। 
  • इसी गुण के आधार पर एलोपैथ इसे दुर्गन्धयुक्त फोड़ों पर महीन करके छिड़कने लगे, मुख की बदबू हटाने के लिए इसके मंजन की सिफारिश करने लगे, और क्योंकि यह गैस को अपने में समा लेता है, इसलिए पेट में वायु की शिकायत होने पर शुद्ध कोयला खाने को देने लगे। कोयला कितना भी खाया जाए वह नुकसान नहीं पहुँचाता है।
  • हनीमैन का कथन था कि स्थूल कोयले (Crude Charcoal) का यह असर चिर-स्थायी (Long-lasting) नहीं है। मुँह की बदबू यह हटायेगा परन्तु कुछ देर बाद बदबू आ जायेगी; फोड़े की बदबू भी जब तक यह लगा रहेगा तभी तक हटेगी; पेट की गैस में भी यह स्थायी इलाज नहीं है। 
  • स्थूल कोयला वह काम नहीं कर सकता जो शक्तिकृत (Potentized) कोयला कर सकता है। 
  • Carbo Veg पेट की गैस को भी रोकता है, और विषैले, सड़ने वाले जख्म—गैंग्रीन (Gangrene)—को भी ठीक करता है।
  • पेट की वायु के शमन में होम्योपैथी में तीन औषधियां मुख्य हैं: Carbo Veg, China तथा Lycopodium

 

⚖️ गैस और अपच की 3 महा-औषधियां: Carbo Veg vs China vs Lycopodium

  • डॉ. नैश (Dr. Nash) ने इन तीनों दवाओं को पेट की गैस के लिए सबसे प्रमुख माना है। मुख्य अंतर गैस के स्थान (Location) और डकार (Belching) से मिलने वाले आराम में है।
लक्षण / आधार (Criteria)Carbo Vegetabilis (कार्बो वेज)China (चायना)Lycopodium Clavatum (लाइकोपोडियम)
गैस का स्थान (Location of Gas)मुख्य रूप से पेट के ऊपरी हिस्से (Upper Abdomen) में। पसलियों के नीचे दबाव।पूरे पेट (Whole Abdomen) में गैस भर जाती है।मुख्य रूप से पेट के निचले हिस्से (Lower Abdomen) में। नाभि के नीचे।
डकार से आराम (Relief from Belching)डकार आने से रोगी को अस्थायी आराम (Relief) मिलता है।डकार आने से बिल्कुल आराम नहीं मिलता (No relief)।डकारें आती हैं (अक्सर खट्टी), पर पूरा आराम नहीं मिलता।
पेट की स्थिति (Sensation)पेट फूला हुआ और भारी लगता है। हवा ऊपर की ओर दबाव डालती है।पेट ढोल की तरह तन जाता है (Bloated like a drum)। छूने पर दर्द होता है।पेट में गुड़गुड़ाहट (Rumbling/Gurgling) होती है, जैसे अंदर कुछ उबल रहा हो।
भोजन और भूख (Food & Appetite)गरिष्ठ भोजन (Rich food/Fats) और दूध पचता नहीं। बासी भोजन से दिक्कत।फल (Fruits) और दूध से तकलीफ बढ़ती है। भूख लगती है पर खाना पचता नहीं।भूख बहुत तेज लगती है, लेकिन दो-चार कौर खाते ही पेट भर जाता है (Easy Satiety)।
दर्द और स्पर्श (Pain & Touch)कसाव महसूस होता है, कपड़े ढीले करने पड़ते हैं।पेट छूने पर दर्द (Sensitive to touch), लेकिन जोर से दबाने पर आरामपेट में खमीर उठने जैसा महसूस होता है। गर्म खाना पसंद है।
समय/वृद्धि (Aggravation Time)लेटने पर (Lying down) और रात में तकलीफ बढ़ती है।खाने के तुरंत बाद और रात में।शाम 4 बजे से 8 बजे तक (4 PM to 8 PM) तकलीफ सबसे ज्यादा होती है।
रोगी की चाहत (Desires/Craving)खुली हवा और पंखा (Fan) चाहता है। "हवा करो!"चटपटी चीजें चाहता है। (तरल पदार्थों के नुकसान से कमजोरी)।गर्म खाना और गर्म पानी (Warm food/drinks) पसंद करता है।
मुख्य पहचान (Keynote)"ऊपरी गैस + डकार से आराम""पूरा पेट फूला हुआ + डकार से आराम नहीं""निचली गैस + थोड़ा खाते ही पेट भरना"

 

💡 संक्षेप में निर्णय कैसे लें? (Quick Decision Guide)

  • Carbo Veg चुनें: यदि गैस पसलियों के पास फंसी हो, डकार लेने पर "हा... आराम मिला" जैसा महसूस हो, और रोगी पंखे की हवा मांगे।
  • China चुनें: यदि पूरा पेट गुब्बारे जैसा तन गया हो, डकार आने पर भी भारीपन न जाए, और पेट छूने पर रोगी को दर्द हो (पर दबाने पर अच्छा लगे)।
  • Lycopodium चुनें: यदि पेट के निचले हिस्से (बेल्ट वाली जगह) में गुड़गुड़ हो, रोगी को भूख तो लगे पर खाना देखते ही या थोड़ा खाते ही पेट "फुल" हो जाए, और शाम (4-8 PM) को हालत खराब हो

वायु के पेट में प्रकोप के विषय में विचार करते हुए इस लक्षण पर भी ध्यान रखना चाहिए कि Carbo Veg में 'पेट में कैद-हुई-हवा' (Incarcerated wind) का लक्षण भी है। आंतों में कभी एक जगह, कभी दूसरी जगह हवा इकट्ठी हो जाती है, देखने वालों को लगता है कि कोई ट्यूमर (Tumor) है, परन्तु यह हवा जब निकल जाती है तब वह वायु से उभरी हुई जगह भी ठीक हो जाती है।

पुराना अजीर्ण रोग, खट्टी तथा खाली डकारें आना: 

  • पुराने अजीर्ण रोग (Chronic Dyspepsia) में यह लाभकारी है। 
  • रोगी को खट्टी डकारें आती रहती हैं, पेट का ऊपर का हिस्सा फूला रहता है, हवा पसलियों के नीचे अटकती है और चुभन (Stitching pain) पैदा करती है। 
  • खट्टी के साथ खाली डकारें भी आती हैं। डकार आने के साथ बदबूदार हवा भी खारिज होती है। डकार तथा हवा के निकास से रोगी का चैन पड़ता है। 
  • पेट इस कदर फूल जाता है कि धोती या साड़ी ढीली करनी पड़ती है।

Carbo Veg में डकार से आराम मिलता है, परन्तु China और Lycopodium में डकार से आराम नहीं मिलता। 

Lycopodium के अजीर्ण रोग में पेट में खुदबुद-खुदबुद (Rumbling) हुआ करता है जैसे देगची चूल्हे पर चढ़ी हो। 

China के अजीर्ण में पेट ढोल की तरह फूल जाता है और रोगी जो कुछ खाता है सब गैस बन जाता है।

 

2. किसी कठिन रोग के पश्चात् उपयोगी (Sequelae of Disease)

  • डॉ. हेनरी गुएरेन्सी (Dr. Henry Guernsey) लिखते हैं कि अगर कोई रोग किसी पुराने कठिन रोग के बाद से चला आ रहा हो, तब Carbo Veg को स्मरण करना चाहिए। 
  • इस प्रकार किसी पुराने रोग के बाद किसी भी रोग के चले आने का अभिप्राय यह है कि जीवनी-शक्ति (Vital Force) की कमजोरी दूर नहीं हुई, और यद्यपि पुराना रोग ठीक हो गया प्रतीत होता है, तो भी जीवनी-शक्ति अभी अपने स्वस्थ रूप में नहीं आयी।

उदाहरणार्थ: 

  • अगर कोई कहे कि "जब से बचपन में कुकुर खांसी (Whooping Cough) हुई तब से दमा (Asthma) चला आ रहा है"; 
  • "जब से सालों हुए शराब के दौर में भाग लिया तब से अजीर्ण रोग से पीड़ित हूँ"; 
  • "जब से सामर्थ्य से ज्यादा परिश्रम किया तब से तबीयत गिरी-गिरी रहती है"; 
  • या “जब से चोट लगी तब से चोट तो ठीक हो गई किन्तु मौजूदा शिकायत की शुरुआत हो गई”
  • ऐसी हालत में चिकित्सक को Carbo Veg देने की सोचनी चाहिए। बहुत संभव है कि इस समय रोगी में जो लक्षण मौजूद हों वे Carbo Veg में पाये जाते हों क्योंकि इस रोग का मुख्य कारण जीवनी-शक्ति का अस्वस्थ और ह्रासमय (Depleted) होना है, और इस शक्ति के ह्रासमय(Depleted) होने से ही रोग पीछा नहीं छोड़ता।
  • डॉ. टायलर (Dr. Tyler) लिखती हैं कि 'किसी कठिन रोग के पश्चात् किसी अन्य रोग के शरीर पर जम जाने' के लक्षण पर उन्होंने Carbo Veg उन रोगों में देना शुरू किया जो किसी पिछली बीमारी के समय से चले आ रहे थे, परन्तु इससे कुछ लाभ न होता देखकर इस विचार को छोड़ दिया। परन्तु इसके बाद उन्होंने देखा कि अगर किसी रोग के इतिहास के पीछे यह लक्षण मौजूद है कि वह किसी अन्य रोग के समय से या पिछली किसी दुर्घटना से चला आ रहा है, और साथ ही 'मैटीरिया मेडिका' की छान-बीन करने से इस समय के रोग के लक्षण भी Carbo Veg में पाये जाते हैं, तो यह औषधि अवश्य लाभ करती है। 
  • गुएरेन्सी का अभिप्राय भी यह नहीं था कि बिना सोचे-समझे सिर्फ यह देखकर कि वर्तमान रोग पिछले किसी कठिन रोग के बाद से चला आ रहा है आँख मूँद कर Carbo Veg दे दो। पुराना इतिहास तो सिर्फ Carbo Veg की तरफ ध्यान खींचने में सहायक है। ऐसे इतिहास में यह देख लेना जरूरी है कि इस समय भी इस औषधि के लक्षण मौजूद हैं या नहीं। मुख्यतः तो मौजूद होंगे; अगर इस समय Carbo Veg के लक्षण मौजूद न हों, तो पिछले इतिहास के होते हुए भी इससे लाभ नहीं होगा।

3. सिर्फ गर्म हालत से जुकाम; अथवा गर्म से एकदम ठंडक में आने से होने वाले रोग

  • यह औषधि जुकाम-खांसी-सिरदर्द आदि के लिए मुख्य-औषधि है। रोगी जुकाम से पीड़ित रहा करता है।

Carbo Veg की जुकाम-खांसी-सिरदर्द कैसे शुरू होती है? 

  • रोगी गर्म कमरे में गया है, यह सोच कर कि कुछ देर ही उसने गर्म कमरे में रहना है, वह कोट (Coat) को डाले रहता है। शीघ्र ही उसे गर्मी महसूस होने लगती है, और फिर भी यह सोचकर कि अभी तो बाहर जा रहा हूँ—वह गर्म कोट को उतारता नहीं। इस प्रकार इस गर्मी का उस पर असर हो जाता है और वह (बाहर आने पर) छीकें मारने लगता है, जुकाम हो जाता है। नाक से पनीला (नाक बहना) पानी बहने लगता है और दिन-रात वह छींका करता है। यह तो हुआ गर्मी से जुकाम (flu) हो जाना।
  • औषधियों का जुकाम शुरू होने का अपना-अपना ढंग है। 
  • Carbo Veg का जुकाम नाक से शुरू होता है, फिर गले की तरफ जाता है, फिर श्वास-नलिका (Larynx) की तरफ जाता है और अन्त में छाती (Chest) में पहुंचता है। (जबकि Phosphorus की ठंड लगने से बीमारी पहले ही छाती में या श्वास-नलिका में अपना असर करती है)।
  • जब तक Carbo Veg के रोगी का नाक बहता रहता है, तब तक उसे आराम रहता है, परन्तु यदि गर्मी से हो जाने वाले इस जुकाम में वह ठंड में चला जाए, तो जुकाम एकदम बंद हो जाता है और सिर-दर्द शुरू हो जाता है। 
  • बहते जुकाम में ठंड लग जाने से, नम हवा में या अन्य किसी प्रकार से जुकाम का स्राव (नाक बहना) रुक जाने (Suppression) से सिर के पीछे के भाग में दर्द, आँख के ऊपर दर्द, सारे सिर में दर्द, हथौड़ों के लगने के समान दर्द होने लगता है। 
  • पहले जो जुकाम गर्मी के कारण हुआ था उसमें Carbo Veg उपयुक्त दवा थी, अब जुकाम के रुक जाने पर Carbo Veg के अतिरिक्त Kali Bichromicum, Kali Iodide, Sepia के लक्षण हो सकते हैं।

 

4. हवा की लगातार इच्छा (Air Hunger: Pneumonia, Asthma, Cholera)

  • यह औषधि 'गर्म-मिजाज़' (Hot) की है, यद्यपि Carbo Animalis ठंडे मिजाज़ (Chilly) की है। 
  • गर्म-मिजाज़ की होने के कारण रोगी को ठंडी और पंखे की हवा की जरूरत रहती है। 
  • कोई भी रोग क्यों न हो—बुख़ार, न्यूमोनिया, दमा, हैजा—अगर रोगी कहे "हवा करो, हवा करो" (Fan me), तो Carbo Veg को नहीं भुलाया जा सकता।

पहचान: अगर रोगी कहे कि "मुँह के सामने पंखे की हवा करो" (Fan hard/close) तो Carbo Veg, और अगर कहे कि "मुँह से दूर पंखे को रख कर हवा करो" (Fan from distance) तो Lachesis औषधि है।

  • Carbo Veg में जीवनी-शक्ति अत्यन्त शिथिल हो जाती है इसलिए रोगी को हवा की बेहद इच्छा होती है। अगर न्यूमोनिया में रोगी इतना निर्बल हो जाए कि कफ़ ( Cough-Phlegm) जमा हो जाए, और Antimonium Tart से भी कफ़ नहीं निकल रहा हो, उस हालत में अगर रोगी हवा के लिए भी बेताब हो, तो Carbo Veg देने से लाभ होगा।
  • दमे (Asthma) का रोगी सांस की कठिनाई से परेशान होता है। उसकी छाती में इतनी कमजोरी होती है कि वह महसूस करता है कि अगला सांस शायद ही ले सके। रोगी के हाथ-पैर ठंडे होते हैं, मृत्यु की छाया उसके चेहरे पर दीख रही होती है, छाती से सांय-सांय (Wheezing) की आवाज आ रही होती है, सीटी-सी बज रही होती है। रोगी हाथ पर मुंह रखे सांस लेने के लिए व्याकुल होता है और कम्बल में लिपटा खिड़की के सामने हवा के लिए बैठा होता है और कहता है 'पंखा करो'—पंखे की हवा में बैठा रहता है। ऐसे में Carbo Veg दिया जाता है।
  • न्यूमोनिया और दमे की तरह हैजे (Cholera) में भी Carbo Veg के लक्षण आ जाते हैं जब रोगी हवा के लिए व्याकुल हो जाता है। हैज़े के लक्षणों में Camphor, Cuprum और Veratrum Album बहुत उपयोगी हैं, परन्तु Carbo Veg भी इसमें कम उपयोगी नहीं है। 
  • हैज़े में जब रोगी चरम अवस्था (Collapse stage) में पहुँच जाए, हाथ-पैरों में ऐंठन तक नहीं रहती, रोगी का शरीर बिल्कुल बर्फ़ के समान ठंडा पड़ गया हो, शरीर पर ठंडा पसीना आने लगे, सांस ठंडी, शरीर के सब अंग ठंडे—यहां तक कि शरीर नीला (Blue/Cyanotic) पड़ने लगे, रोगी मुर्दे की तरह पड़ जाए, तब भी ठंडी हवा से चैन मिले किन्तु कह कुछ भी न सके—ऐसी हालत में Carbo Veg रोगी को मृत्यु के मुख से खींच ले आए तो कोई आश्चर्य नहीं।

 

5. जलन, ठंडक तथा पसीना - भीतर जलन, बाहर ठंडा

  • इस औषधि का विशेष-लक्षण यह है कि भीतर से रोगी गर्मी तथा जलन अनुभव करता है, परन्तु बाहर त्वचा पर वह शीत अनुभव करता है। (Camphor में भीतर-बाहर दोनों स्थानों से रोगी ठंडक अनुभव करता है परन्तु कपड़ा नहीं ओढ़ सकता)।
  • जलन Carbo Veg का व्यापक-लक्षण है—शिराओं (Veins) में जलन, बारीक-रक्त-वाहिनियों (Capillaries) में जलन, सिर में जलन, त्वचा में जलन, शोथ में जलन, सब जगह जलन—क्योंकि Carbo Veg लकड़ी का अंगारा ही तो है। परन्तु इस भीतरी जलन के साथ जीवनी-शक्ति की शिथिलता के कारण हाथ-पैर ठंडे, खुश्क या चिपचिपे, घुटने ठंडे, नाक ठंडी, कान ठंडे, जीभ ठंडी (Cold breath) होती है।
  • क्योंकि शिथिलावस्था में हृदय का कार्य भी शिथिल पड़ जाता है इसलिए रक्त-संचार के शिथिल हो जाने से सारा शरीर ठंडा हो जाता है। यह शरीर की पतनावस्था (Collapse) है। इस समय भीतर से गर्मी अनुभव कर रहे, बाहर से ठंडे हो रहे शरीर को ठंडी हवा की ज़रूरत पड़ा करती है। 
  • इस प्रकार की अवस्था प्रायः हैजे आदि सांघातिक रोग में दीख पड़ती है जब यह औषधि लाभ करती है।

 

6. शरीर तथा मन की शिथिलता (Sluggishness)

  • शिथिलता (Relaxation/Sluggishness) इस औषधि का चरित्रगत-लक्षण है। प्रत्येक लक्षण के आधार में शिथिलता, कमज़ोरी, असमर्थता बैठी होती है।

वैरीकोज़ वेन्ज (Varicose Veins): 

  • रुधिर की शिथिलता के कारण हृदय की तरफ़ जाने वाला नीलिमायुक्त अशुद्ध-रक्त (Venous blood) बहुत धीमी चाल से जाता है, इसलिए शिराओं में यह रक्त एकत्रित हो जाता है और शिराएँ फूल जाती हैं।  इस रक्त के वेग को बढ़ाने के लिए रोगी को अपनी टांगें ऊपर करके लेटना या सोना पड़ता है। रक्त की इस शिथिलता को Carbo Veg दूर कर देता है क्योंकि इसका काम रक्त-संचार की कमजोरी को दूर करना है।

शरीर पर प्रभाव: 

  • इस शिथिलता का प्रभाव रुधिर पर जब पड़ता है तब हाथ-पैर फूले दिखाई देते हैं क्योंकि रुधिर की गति ही धीमी पड़ जाती है, रक्त-शिराएं उभर आती हैं, रक्त-संचार अपनी स्वाभाविक-गति से नहीं होता। 
  • रक्त-संचार की शिथिलता के कारण अंग सूकने (Atrophy) लगते हैं, झुरियाने (Wither) लगते हैं, अंगों में सुन्नपन (Numbness) आने लगता है। अगर वह दायीं तरफ लेटता है तो दायां हाथ सुन्न हो जाता है, अगर बायीं तरफ लेटता है तो बायां हाथ सुन्न हो जाता है। 
  • रक्त-संचार इतना शिथिल हो जाता है कि अगर किसी अंग पर दबाव पड़े, तो उस जगह का रक्त-संचार रुक जाता है।

गैंग्रीन और फोड़े: 

  • रक्त-संचार की इस शिथिलता के कारण विषैले फोड़े, सड़ने वाले फोड़े, गैंग्रीन (Gangrene) आदि हो जाते हैं जो रक्त के स्वास्थ्यकर संचार के अभाव के कारण ठीक होने में नहीं आते। जहां से रुधिर बहता है वह रक्त-संचार की शिथिलता के कारण रिसता ही रहता है। क्योंकि रक्त-वाहिनियां शिथिल पड़ जाती हैं इसलिए जब भी कभी कोई चोट लगती है, तब वह ठीक होने के स्थान में सड़ने लगती है। फोड़े ठीक नहीं होते, उनमें से हल्का-हल्का रुधिर रिसा करता है, वे विषैले हो जाते हैं, और जब फोड़े ठीक न होकर विषैला रूप धारण कर लेते हैं, तब गैंग्रीन बन जाती है। 
  • जब भी कभी कोई रोग शिथिलता की अवस्था में आ जाता है, ठीक होने में नहीं आता, तब जीवनी-शक्ति को सचेष्ट करने का काम Carbo Veg करता है।

रुधिर का रिसते रहना (Oozing): 

  • रुधिर का नाक, जरायु, फेफड़े, मूत्राशय आदि से रिसते रहना—रुधिर का बहते रहना इस औषधि का एक लक्षण है। 
  • नाक से हफ्तों प्रतिदिन नकसीर बहा करती है। जहां शोथ (Inflammation) हुई वहां से रुधिर रिसा करता है। जरायु से, फेफड़ों से, मूत्राशय से रुधिर चलता रहता है, रुधिर की उल्टी (Vomiting of blood) भी होती है।

तुलना: 

  • यह रुधिर का प्रवाह वेगवान् (Active) प्रवाह नहीं होता जैसा Aconite, Belladonna, Ipecac, Hamamelis या Secale में होता है। इन औषधियों में तो रुधिर वेग से बहता है, Carbo Veg में वेग से बहने के स्थान में वह रिसता है (Passive hemorrhage), बारीक रक्त-वाहिनियों द्वारा धीमे-धीमे रिसा करता है।

स्त्री रोगों में: 

  • रोगिणी का मासिक धर्म (Menses) के समय जो रुधिर चलना शुरू होता है वह रिसता रहता है और उसका ऋतु-काल लम्बा हो जाता है। एक ऋतु-काल (मासिक धर्म)  से दूसरे ऋतु-काल तक रुधिर रिसता जाता है।
  • बच्चा जनने के बाद रुधिर(blood) बन्द हो जाना चाहिए, परन्तु क्योंकि इस औषधि में रुधिर-वाहिनियां शिथिल पड़ जाती हैं, इसलिए रुधिर बन्द होने के स्थान में चलता रहता है, धीरे-धीरे रिसता रहता है। 
  • ऋतु-काल, प्रजनन आदि की इन शिकायतों को तथा इन शिकायतों से उत्पन्न होने वाली कमजोरी को Carbo Veg दूर कर देता है। 
  • कभी-कभी जनने के बाद प्लेसेन्टा (Placenta) को बाहर धकेल देने की शक्ति नहीं होती। अगर इस हालत में रुधिर धीरे-धीरे रिस रहा हो, तो Carbo Veg की कुछ मात्राएँ उसे बाहर धकेल देंगी और चिकित्सक को शल्य-क्रिया करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 
  • अगर जच्चा (Mother) अत्यंत कमजोर हो जाए, पेट में हवा भरती रहे, उसकी शिराएं फूल जाएं, तो Carbo Veg की कुछ मात्राएं देने से वह प्रजनन के कष्ट को बर्दाश्त करने की सामर्थ्य पा जाती है, परन्तु इस औषधि का तभी प्रयोग करना चाहिए अगर लक्षण मौजूद हों। 
  • हृष्ट-पुष्ट, ताकतवर स्त्री को जो इस कष्ट को आसानी से बर्दाश्त कर सकती है, इस दवा के देने की जरूरत नहीं क्योंकि यह तो कमजोर स्त्री के लक्षणों पर ही दी जाती है। 
  • बच्चे को दूध पिलाने में भी अगर माता को दूध पिलाने में अत्यन्त कमजोरी, शिथिलता अनुभव हो, तो उसे Carbo Veg दिया जा सकता है।

शारीरिक तथा मानसिक थकान: 

  • शारीरिक-थकान तो इस औषधि का चरित्रगत-लक्षण है ही क्योंकि शिथिलता इसके हर रोग में पायी जाती है। शारीरिक-शिथिलता के समान रोगी मानसिक-स्तर पर भी शिथिल होता है। विचार में शिथिल, सुस्त, शारीरिक अथवा मानसिक कार्य के लिए अपने को तत्पर नहीं पाता।

 

7. यह दवा मृत-संजीवनी कही जाती है (Corpse Reviver)

  • इस औषधि को होम्योपैथ 'मृत-संजीवनी' कहते हैं। यह मुर्दों में जान फूंक देती है। इसका यह मतलब नहीं कि मुर्दा इससे जी उठता है, इसका यही अभिप्राय है कि जब रोगी ठंडा पड़ जाता है, नब्ज़ भी कठिनाई से मिलती है, शरीर पर ठंडे पसीने आने लगते हैं, चेहरे पर मृत्यु खेलने लगती है, अगर रोगी बच सकता है तब इस औषधि से रोगी के प्राण लौट आते हैं। 
  • Carbo Veg जैसी कमजोरी अन्य किसी औषधि में नहीं है, और इसलिए मरणासन्न-व्यक्ति (Moribund patient) की कमजोरी हालत में यह मृत-संजीवनी का काम करती है। 
  • उस समय 200 या उच्च-शक्ति की मात्रा देने से रोगी के जी उठने की आशा हो सकती है।

 

8. इस औषधि के अन्य-लक्षण

i. ज्वर की शीतावस्था में प्यास, ऊष्णावस्था में प्यास का न होना: 

  • यह एक विचित्र-लक्षण (Peculiar symptom) है क्योंकि शीत में प्यास नहीं होनी चाहिए, गर्मी की हालत में प्यास होनी चाहिए। सर्दी में प्यास और गर्मी में प्यास का न होना किसी प्रकार समझ में नहीं आ सकता, परन्तु ऐसे विलक्षण-लक्षण कई औषधियों में दीख पड़ते हैं। 
  • जब ऐसा कोई विलक्षण लक्षण दीखे, तब वह चिकित्सा के लिए बहुत अधिक महत्व का होता है क्योंकि वह लक्षण रोग का न होकर रोगी का होता है, उसके समूचे अस्तित्व का होता है। 
  • होम्योपैथी का काम रोग का नहीं, रोगी का इलाज करना है; रोगी ठीक हो गया तो रोग अपने-आप चला जाता है।

ii. तपेदिक की अन्तिम अवस्था: 

  • तपेदिक (Tuberculosis) की अन्तिम अवस्था में जब रोगी सूख कर कांटा हो जाता है, खांसी से परेशान रहता है, रात को पसीने से तर हो जाता है, साधारण खाना खाने पर भी पतले दस्त आते हैं, तब इस औषधि से रोगी को कुछ बल मिलता है, और रोग आगे बढ़ने के स्थान में टिक जाता है।

iii. वृद्धावस्था की कमजोरी: 

  • युवकों को जब वृद्धावस्था (Senility) के लक्षण सताने लगते हैं या वृद्ध व्यक्ति जब कमजोर होने लगते हैं, हाथ-पैर ठंडे रहते हैं, नसें फूलने लगती हैं, तब यह लाभप्रद है। 
  • रोगी वृद्ध हो या युवा, जब उसके चेहरे की चमक चली जाती है, जब वह काम करने की जगह लेटे रहना चाहता है, अकेला पड़े रहना पसन्द करता है, दिन के काम से इतना थक जाता है कि किसी प्रकार का शारीरिक या मानसिक श्रम उसे भारी लगता है, तब इस औषधि से लाभ होता है।

 

9. Carbo Veg का सजीव, मूर्त-चित्रण (Living Image)

  • डॉ. केंट (Dr. Kent) ने इस औषधि का मूर्त चित्रण निम्न शब्दों में किया है: 

"Carbo Veg का मरीज कॉफी, खट्टे, मीठे तथा नमकीन पदार्थों का शौकीन होता है। जो चीजें आसानी से पच जाएं और हितकारी हों, उनसे उसे नफरत होती है। 

अगर मैंने Carbo Veg की शारीरिक रचना का निर्माण करना हो तो मैं उसके पेट से प्रारंभ करूंगा।  इस रोगी की नीली-नीली शिराएं उभरी रहती—Varicose veins—हैं, हृदय का अशुद्ध रुधिर लाने का भाग कमजोर होता है, भिन्न-भिन्न अंगों में भारीपन, रक्त संचय (Congestion), पेट में वायु का भरना, उदर तथा आंतों की विकृति, सिर और मन की शिकायतें—संपूर्ण शारीरिक तथा मानसिक गठन में सुस्ती, जड़ता—ये सब जो Carbo Veg के चिह्न हैं—उन्हें पैदा करने के लिए मैं उसे घी, चरबी के पदार्थ, मिठाइयां, चटनी-आचार-मुरब्बे और जो कुछ भी हज़्म नहीं हो सकता वह भरपेट खिलाऊंगा, खूब शराब पीने को दूंगा। इस सबसे Carbo Veg का मरीज तैयार हो जाएगा। 

रोगी सालों अपचन के पदार्थ खाते-खाते जब शरीर से टूट जाएगा, तब मेरे पास आकर चिल्लायेगा—'डाक्टर, ओह डाक्टर! मेरा पेट, बस मेरा पेट, मेरे पेट को ठीक कर दो, मेरे पेट में जलन है, हवा भरी रहती है, डकार आते रहते हैं, हवा निकलती है तो बदबू से कमरा भर जाता है।'"

  • यह है डॉ. केंट का Carbo Veg के विषय में मूर्त-चित्रण। इसमें इतना और बढ़ाने की जरूरत है कि उक्त-लक्षणों के साथ रोगी अत्यन्त बलहीन, क्षीण दीखता हो, हवा के लिए तरसता हो, भीतर जलन और बाहर त्वचा पर ठंडक महसूस करता हो।

 

10. शक्ति तथा प्रकृति (Potency and Nature)

  • यह गहरी तथा दीर्घकालिक प्रभाव करने वाली औषधि है (Deep acting and long acting)।
  • शक्ति (Potency): 6, 30, 200।
  • प्रकृति (Nature): औषधि 'गर्म' (Hot) प्रकृति के लिए है (रोगी को गर्मी लगती है और ठंडक चाहिए)।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: क्या Carbo Veg गैस की समस्या को जड़ से ठीक कर सकती है? 

उत्तर: जी हां, यदि गैस पेट के ऊपरी हिस्से में बनती हो, डकार लेने से आराम मिलता हो, और पेट फूलकर तन जाता हो, तो Carbo Veg गैस की समस्या को जड़ से ठीक करने में सक्षम है।

प्रश्न 2: इसे 'मृत-संजीवनी' (Corpse Reviver) क्यों कहते हैं? 

उत्तर: क्योंकि यह उन रोगियों को भी बचा सकती है जो बीमारी के कारण बिल्कुल निढाल (Collapsed) हो चुके हों, जिनका शरीर बर्फ जैसा ठंडा पड़ गया हो, सांस उखड़ रही हो और जीने की आशा कम हो।

प्रश्न 3: क्या यह वैरीकोज़ वेन्ज (Varicose Veins) में काम आती है? 

उत्तर: बिल्कुल। चूंकि यह रक्त-वाहिनियों की शिथिलता को दूर करती है और रुके हुए रक्त-संचार को सुचारु करती है, इसलिए यह फूली हुई नसों और वैरीकोज़ वेन्ज के लिए बेहतरीन दवा है।

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