Abrotanum – एब्रोटेनम

संशोधित: 21 December 2025 ThinkHomeo

एब्रोटेनम (Abrotanum) एक प्रभावशाली होम्योपैथिक औषधि है, जो बच्चों की कमजोरी, मेटास्टेसिस, एक के बाद दूसरी बीमारी का उत्पन्न होना और गठिया जैसे रोगों में उपयोगी है। इसके लक्षण, उपयोग और विकल्प जानें।

Abrotanum – एब्रोटेनम

एब्रोटेनम (Abrotanum): व्यापक लक्षण और मुख्य रोग

  1. बच्चे के सूखे के रोग में नीचे से सूखना-  एब्रोटेनम (Abrotanum) होम्योपैथी में बच्चों में होने वाले सूखने के रोग (Marasmus) में बहुत उपयोगी है। इस रोग में सबसे पहले निचले अंगों में दुबलापन आना शुरू होता है और यह सूखापन नीचे से ऊपर की तरफ बढ़ता है। चेहरा सबसे बाद में सूखता है।

सूखने के रोग में अन्य मुख्य औषधियों से तुलना

  • एब्रोटेनम: इसमें सबसे पहले टाँगें (legs) सूखनी शुरू होती हैं, और ऊपरी धड़ (upper body) बाद में सूखता है।
  • सार्सापरिला एवं लाइकोपोडियम: इसमें सबसे पहले ऊपरी भाग (upper part) दुबला होता है, खासकर गर्दन, जबकि निचला भाग ठीक बना रहता है। लाइकोपोडियम के अन्य लक्षण, जैसे 4 से 8 बजे के बीच लक्षणों में वृद्धि, भी मौजूद हो सकते हैं।
  • नैट्रम म्यूर: लाइकोपोडियम की तरह इसमें भी पहले ऊपरी भाग (upper part) दुबला होता है और गर्दन पतली हो जाती है। इसके अन्य लक्षण हैं: नक्शेदार जीभ (mapped tongue), नमक खाने की तीव्र इच्छा, और खाने के बाद थकावट या नींद आना।
  • आयोडियम: इसमें पूरा शरीर सूखता जाता है और मुँह पर झुर्रियां (wrinkles) पड़ जाती हैं। पौष्टिक भोजन खाने पर भी बच्चा कमजोर होता जाता है। वह दिन भर खाने को माँगता है और खाने के बाद अपनी तकलीफ़ भूल जाता है। नेट्रम म्यूर के विपरीत, इसे खाने के बाद थकावट नहीं, बल्कि आराम महसूस होता है।
  • सिफिलीनम: इसमें भी पूरा शरीर क्षीण (emaciated) हो जाता है, बाल झड़ने लगते हैं (hair fall), और सूर्यास्त से सूर्योदय तक यानी रात के समय लक्षण बढ़ जाते हैं।
  • अर्जेंटम नाइट्रिकम: इसमें भी पूरा शरीर सूख जाता है और मुँह पर झुर्रियां (wrinkles) पड़ जाती हैं। मीठा खाने की प्रबल इच्छा (strong desire for sweets) इस औषधि का मुख्य लक्षण है।
  • कैल्केरिया कार्ब: इस रोग में सिर और पेट बड़े होते हैं, जबकि गर्दन और पैर पतले होते हैं। सिर पर बहुत पसीना आता है और अंडे खाने की इच्छा प्रबल होती है। शरीर मोटा होता है और पसीने से खट्टी गंध (sour smell) आती है। बच्चा जल्दी चलना-फिरना नहीं सीख पाता और जहाँ बैठा दिया जाए, वहीं पड़ा रहता है। जिन घरों में अंडे नहीं खाए जाते, वहाँ बच्चा चाक या मिट्टी खाना पसंद करता है।
  • इथूजा: इस औषधि के सूखे में बच्चा दूध पीते ही उल्टी (vomit) कर देता है।
  • एंटिम क्रूड: इस औषधि में भी बच्चा दूध या भोजन की उल्टी (vomit) करता है, लेकिन इसके साथ पतले दस्त (loose motions) भी आते हैं। जीभ पर अत्यधिक सफ़ेद परत (thick white coating on tongue) होती है और बच्चा चिड़चिड़ा होता है।
  • बैराइटा कार्ब: सूखे के साथ यदि बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास रुका हो (stunted growth), वह बौना या अविकसित हो (dwarfed), और गले या अन्य स्थानों में ग्रंथियाँ (glands) हों, तो यह औषधि अच्छा काम करती है।
  • सिना: अगर सूखे के साथ बच्चे को गुदा में खुजली (itching in anus) होती हो, वह बिस्तर में पेशाब (bedwetting) करता हो, पेट में कृमि (worms) हों, बार-बार नाक को उँगली से खुजलाता हो, उसका स्वभाव बहुत चिड़चिड़ा हो (irritable temperament), और वह झूले में लगातार झूलना चाहता हो, तो इस औषधि का विचार करना चाहिए।
  • पेट्रोलियम: सूखे में यदि बच्चे को ऐसे चकत्ते (rashes) आते हों कि वह रात में तो ठीक रहता हो और दिन में दस्तों (diarrhea) से परेशान हो, तो इस विलक्षण लक्षण (peculiar symptom) में पेट्रोलियम काम करता है। इसके अतिरिक्त, रोगी की साँस और मल से प्याज की गंध आती है, वह ठंडी हवा से बचता है, और उसमें एक्जिमा (eczema) की प्रवृत्ति होती है।
  • फॉस्फोरस: सूखे में ऐसे दस्त आते हैं जैसे नल से पानी अचानक गिरता हो (gushing diarrhea)।
  • साइलीशिया: बड़ा सिर और पूरा शरीर सूखा हुआ। सोने पर माथे पर पसीना आता है, जबकि बाकी शरीर सूखा रहता है।
  • सल्फर: सूखे में इस औषधि की अन्य औषधियों की तुलना में अधिक आवश्यकता पड़ सकती है। सल्फर का रोगी बहुत गंदा और मैला-कुचैला (dirty and untidy) होता है। इसमें जगह-जगह फोड़े-फुन्सियां (boils), बढ़ी हुई ग्रंथियाँ (enlarged glands), सख्त कब्ज (hard constipation) या लगातार दस्त, और शरीर से दुर्गंध आना (foul body odor) जैसे लक्षण दिखते हैं। इसके सारे अंग सूखते जाते हैं, लेकिन पेट फूल जाता है (distended abdomen)। पेट में जलन और गुड़गुड़ाहट (burning and rumbling) होती है। गर्दन, पीठ, और छाती की माँसपेशियाँ (muscles) भी सूखती हैं। कैल्केरिया कार्ब में भी पेट फूलता है।
  • ट्यूबरकुलिनम: यदि रोगी पौष्टिक भोजन लेने के बाद भी कमजोर होता जाए और उपर्युक्त औषधियों से लाभ न हो, तो ट्यूबरकुलिनम से लाभ मिल सकता है।

2. एक बीमारी के ठीक होने पर दूसरी का उत्पन्न होना (Metastasis)

अक्सर एक बीमारी के ठीक होने पर दूसरी बीमारी उत्पन्न हो जाती है। ऐसी स्थिति में एब्रोटेनम लाभ करता है। उदाहरण के लिए:

  • गठिया (gout/rheumatism) के रोगी को यदि दस्त आते रहें, तो दर्द कम हो जाता है, और कब्ज होने पर दर्द बढ़ जाता है।
  • कर्णमूल (mumps) की सूजन दबने से पुरुषों में अंडकोषों (testes) और स्त्रियों में स्तनों (breasts) की सूजन (swelling) हो जाती है।
  • मालिश से गठिया का दर्द दबने पर दिल की तकलीफ़ (heart trouble) हो सकती है।
  • गठिया या दस्त ठीक होने पर बवासीर (piles) के लक्षण उभर आते हैं।
  • दस्त अचानक बंद कर देने पर गठिया हो सकता है।

 

3. एब्रोटेनम एवं पल्सेटिला में अंतर

  • एक रोग के ठीक होने पर दूसरे रोग के प्रकट होने में एब्रोटेनम और पल्सेटिला दोनों ही उपयोगी हैं, लेकिन इनमें एक महत्वपूर्ण अंतर है। एब्रोटेनम में एक रोग के दबने से दूसरा बिल्कुल नया रोग पैदा होता है जिसका पहले रोग से कोई संबंध नहीं होता। उदाहरण के लिए, दस्त दबकर गठिया हो सकता है, या कर्णमूल (mumps) की सूजन दबकर अंडकोषों में सूजन (swelling) आ सकती है। 
  • एलोपैथी में इसे एक नया रोग कहते हैं परन्तु होम्योपैथी में इसे पुराने रोग का रूपान्तर मानते हैं। 
  • दूसरी ओर, पल्सेटिला में रोग अपना स्थान बदलता है (shifts location)। यदि गठिया का दर्द है, तो वह एक जोड़ से दूसरे जोड़ में चला जाता है। यदि सूजन है, तो वह एक ग्रंथि से दूसरी ग्रंथि में चली जाती है। संक्षेप में, पल्सेटिला में रोग वही रहता है, केवल उसका स्थान बदलता है; जबकि एब्रोटेनम में रोग अपना रूप ही बदल देता है।

4. अन्य लक्षण, शक्ति एवं संबंध

  • यह बच्चों की अंडवृद्धि (hydrocele) में लाभप्रद है।
  • यह बच्चों की नाल (umbilical cord) से खून बहने को रोकती है।
  • यह बच्चों को होने वाली नकसीर (epistaxis/nosebleed) में भी लाभदायक है।

👉प्रकृति (Constitution): यह औषधि 'सर्दी' (Chilly) प्रकृति के लिए है।

👉संबंध (Relation): प्लूरिसी (pleurisy) में यह एकोनाइट और ब्रायोनिया के बाद अच्छा काम करती है।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. एब्रोटेनम का उपयोग मुख्य रूप से किस रोग के लिए होता है? 

एब्रोटेनम का उपयोग बच्चों में सूखने के रोग, जिसे मैरास्मस (Marasmus) भी कहते हैं, के लिए होता है, खासकर जब दुबलापन पैरों से शुरू होकर ऊपर की ओर बढ़ता है।

Q2. एब्रोटेनम और पल्सेटिला में क्या अंतर है?

 एब्रोटेनम में एक बीमारी दबने पर एक बिल्कुल नई बीमारी उत्पन्न होती है (उदाहरण के लिए, दस्त के बाद गठिया)। जबकि, पल्सेटिला में बीमारी वही रहती है, केवल उसका स्थान बदल जाता है (जैसे, दर्द एक जोड़ से दूसरे जोड़ में चला जाता है)।

Q3. क्या एब्रोटेनम केवल बच्चों के लिए है? 

हाँ, एब्रोटेनम का उपयोग बच्चों में सूखने के रोग के लिए विशेष रूप से किया जाता है, लेकिन इसके कुछ अन्य लक्षण (जैसे रोग का स्थान बदलना) वयस्कों में भी देखे जा सकते हैं।

👉यह सामग्री सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

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